चिकित्सक की सलाहः कोरोना से ठीक होने पर भी तीन माह का पुनर्वास जरूरी, रेमडेसिविर नहीं है रामबाण
कोरोना से संक्रमित होकर स्वस्थ होने वाले कोई गलतफहमी न पालें। उन्हें स्वस्थ होने के बाद भी लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। साथ ही नियमों का पालन करना भी जरूरी है।

कोरोना से संक्रमित होकर स्वस्थ होने वाले कोई गलतफहमी न पालें। उन्हें स्वस्थ होने के बाद भी लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। साथ ही नियमों का पालन करना भी जरूरी है। चिकित्सकों का मानना है कि स्वस्थ होने के बाद भी व्यक्ति को एक से तीन माह तक पुनर्वास के नियमों का पालन करना जरूरी है। यहां एम्स कोविड नोडल अधिकारी एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पीके पांडा कोरोना को लेकर ऐसी ही जानकारी दे रहे हैं। साथ ही वह बचाव के उपाय भी बता रहे हैं।
रामबाण दवा नहीं है रेमडेसिविर इंजेक्शन
डॉ. पांडा के मुताबिक रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना के इलाज की रामबाण दवा नहीं है। न ही यह जीवनरक्षक दवा है। यह ठीक उसी तरह से कोविड के लक्षणों को कम करने के काम आती है, जिस प्रकार पैरासिटामोल दवा बुखार कम करने के काम आती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश ने इस मामले में जनसामान्य को सलाह दी है कि रेमडेसिविर की उपलब्धता नहीं होने पर परेशान होने की कतई जरुरत नहीं है। कोविड के उपचार का यह अंतिम विकल्प नहीं है। कोविड पाॅजिटिव रोगी को सबसे पहले को-मोर्बिलिटीज डिसीज का समय रहते उपचार करने पर ध्यान देना चाहिए। जरूरी यह है कि कोविड के लक्षण आने के बाद उपचार की प्रक्रिया निम्न 3 अलग-अलग चरणों में अपनाई जाए।
संक्रमण के पहले सात दिन
यदि कोई कोरोना संक्रमित हो जाता है तो उसे घबराना नहीं चाहिए। सिर्फ कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। संक्रमण के पहले सात दिन इन बातों पर ध्यान दीजिए।
1- अगले 15 दिनों के लिए प्रतिदिन टेबलेट विटामिन-सी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार शुरू करें।
2- बुखार की शिकायत होने पर टेबलेट पैरासिटामोल-650 एमजी का दिन में 4 से 6 बार 2 से 3 दिनों तक सेवन करें।
3- कोल्ड संबंधी दिक्कत होने पर टेबलेट मॉन्टेलुकास्ट-लेवो-सिट्रीजिन का दैनिक उपयोग करें
4- संक्रमित होने की स्थिति में पूरी तरह बेड रेस्ट आवश्यक है।
5- मानसिक तनाव और भय से पूरी तरह मुक्त रहें।
6- ज्यादा से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करें और आसानी से पचने वाले तरल खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
7- छाती के बल लेटने (प्रोनिंग पोजिशन) से इसमें आराम मिलता है। यह सभी उपाय कोविड के लक्षण आने के 7 दिनों के भीतर किए जाने बहुत जरूरी हैं, जिससे कि मरीज को समय पर लाभ मिल सके और बीमारी अगले चरण में गंभीररूप न ले पाए।
सात दिन के बाद रखें ये ध्यान
इस चरण को जीवन रक्षक (लाइफ सेविंग) ट्रीटमेंट कहा जाता है। इस चरण में चिकित्सकीय सलाह के अनुसार अगले सात दिन ( इम्योनॉलोजिकल फेज) साईटोकाईन स्ट्रोन के दौरान समय रहते चेस्ट एक्सरे/चेस्ट सीटी स्कैन, कम्लीट ब्लड काउंट टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी), लीवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी), सीआरपी, डी-डायमर, एलडीएच टेस्ट अनिवार्यरूप से कराए जाने चाहिए।
वायरस की घातकता का चलता है पता
इन तमाम परीक्षणों से शरीर में वायरस की घातकता का पता चलता है। इसके अलावा रोगी के शरीर का कौन-कौन सा अंग किस स्तर पर संक्रमित हो चुका है, इसका भी पता चल जाता है। एम्स के नोडल ऑफिसर कोविउ डॉ. पीके पण्डा ने बताया कि यदि सही समय पर रोगी को ऑक्सीजन, डेक्सोना, हेपारिन और प्रोनिंग लग जाए तो उसका जीवन बचाया जा सकता है।
दैनिक रूप से रखें शरीर की निगरानी
उन्होंने सलाह दी है कि इन परीक्षणों के अलावा कोविड संक्रमण की सही स्थिति जानने के लिए दैनिक रूप से रोगी के शरीर की विभिन्न निगरानी करने की जरुरत होती है। इनमें पल्स रेट (नाड़ी दर), ब्लड प्रेशर, रेसपिरेटरी रेट (सांस की गिनती), शरीर का तापमान और ऑक्सीजन सेचुरेशन आदि की निगरानी शामिल है।
रिकवरी के 14 दिनों के बाद
लॉंग कोविड सिंड्रोम (या पोस्ट-कोविड स्थिति) ऐसे लक्षणों की एक सीमा होती है, जो कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद, आमतौर पर संक्रमण के चार सप्ताह बाद तक रह सकता है। कोविड लंबे समय तक किसी को भी हो सकता है। इसके लक्षण न्यूनतम भी हो सकते हैं और यह बिना लक्षणों के भी लंबे समय तक रह सकता है। अच्छी बात यह है कि यह लक्षण समय के साथ बेहतर हो रहे हैं। हालांकि, इन लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को कम से कम 1 से 3 महीने के लिए अलग रहकर पुनर्वास का पालन करना होगा। इस दौरान जल्दी ठीक होने के लिए रोगी को सांस लेने के व्यायाम और शारीरिक व्यायाम पर ध्यान देने की बहुत जरूरत होती है। मीडिया में उपलब्ध वीडियो अथवा उपलब्ध जानकारियों के माध्यम से इस प्रकार के व्यायाम सीखे जा सकते हैं। अथवा जिन्होंने कोविड उपचार किया हो, ऐसे चिकित्सकों से भी परामर्श लिया जा सकता है।





