क्या आप जानते हैं कि ताश की गड्डी में चार बादशाह में एक की क्यों नहीं होती मूंछ, जानिए ताश के पत्तों की रोचक जानकारी

ताश ऐसा खेल है, जो मनोरंजन के लिए खेला जाता है, तो कहीं कहीं इसका इस्तेमाल जुआ खेलने में भी होता है। वहीं, बगैर ताश के पत्तों से जादू का खेल के बगैर भी किसी जादूगर का शो पूरा नहीं होता है। ताश के पत्ते दिमाग का इस्तेमाल करना सिखाते हैं और समय काटने के लिए लोगों के लिए इसका खेल उपयोगी साबित होता है। साथ ही इस खेल में ज्यादा जगह भी नहीं घिरती है। सिर्फ चार या कुछ ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था हो तो आप ताश के पत्तों का आनंद उठा सकते हैं। चाहे जमीन पर बैठकर या फिर कुर्सी पर बैठकर सामने मेज पर ताश खेला जा सकता है। बिस्तर तक में बच्चे ताश खेलते नजर आ जाएंगे। अब आइए ऐसी जानकारी हम आपको बताते हैं, जिस पर आपने कभी ध्यान नहीं दिया होगा। वैसे तो ताश की गड्डी में दो जोकर के अलावा 52 पत्ते होते हैं। जोकर का उपयोग किसी खेल में नहीं होता है। इन 52 पत्तों में चार बादशाह भी होते हैं। हालांकि, बादशाह अलग अलग तरह के होते हैं, लेकिन आपने कभी गौर किया कि इन बादशाह में एक बादशाह की मूंछ नहीं होती है। यानि की चार बादशाह में तीन की मूंछ होती है और एक की मूंछ गायब है। ये मूंछ किस घटना या दुर्घटना में सफाचट हो गई, इस लेख में हम इसकी ही जानकारी दे रहे हैं। इससे पहले आप ताश के पत्तों के बारे में जान लीजिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ताश के पत्तों की खासियत
ताश खेलने के लिए 52 पत्ते होते हैं। इसमें इक्के यानि कि एक नंबर से लेकर दहला यानि कि दस नंबर तक के पत्ते होते हैं। हर पत्ते की संख्या चार होती है, लेकिन दो दो पत्ते एक ही रंग के होते हैं। यानि दो पत्ते लाल और दो काले। इनमें भी एक संख्या वाले पत्तों की संख्या चार होती है। साथ ही ये चार पत्ते अलग अलग चिह्न वाले होते हैं। इसी तरह संख्या के अलावा बादशाह, बेगम और गुलाम होते हैं। इनमें हर पत्ता चार चिह्न वाला होता है। ये चिह्न है पान, चिड़ी, ईंट और हुकुम। यानी सब पत्तों की संख्या को जोड़ा जाए तो 4 प्रकार के 13-13 पत्तों की संख्या कुल मिलाकर 52 हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस चिह्न वाले पत्ते में नहीं होती बादशाह की मूंछ
लगभग हर ताश के पत्तों में आप यदि लाल पान के बादशाह की शक्ल पर गौर करोगे तो आपको नजर आएगा कि उसकी मूंछ नहीं है। कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि जब ताश का खेल शुरू हुआ था, तब लाल पान के बादशाह की मूंछ हुआ करती थी। फिर ऐसा हुआ कि बादशाह की मूंछ गायब हो गई। आज जो पत्ते अस्तित्व में हैं, उनका डिजाइन 15वीं सदी के फ्रांस में बनाया गया था। तब पत्तों को डिजाइन करते समय एक गड़बड़ी के चलते बादशाह की मूंछ गायब हो गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उस दौरान राजाओं की मूंछें हुआ करती थीं। तब कार्ड का डिजाइन लकड़ी के ब्लॉक के जरिये किया गया। इसी को कापी करके ही नए ब्लॉक बनाए जाते थे। फिर इसे प्रिंटिंग प्रेस में छापा जाता था। ब्लॉक तैयार करते समय लकड़ी में डिजाइन हाथों से उकेरा जाता था। समय के साथ लकड़ी के ब्लॉक खराब हो जाते और डिजाइन भी धुंधला हो जाता। ऐसा ही लाल पान के बादशाह वाले ब्लॉक के साथ भी हुआ। समय के साथ लकड़ी पर से मूंछ का निशान गायब हो गया और डिजाइनर ने इस पत्ते को बिना मूंछ के ही डिजाइन कर दिया। ये सिलसिला जारी रहा। यूं तो कई देशों ने अपने अनुसार डिजाइन को बदल लिया, पर मूल डिजाइन यही चलता रहा। रूस में किंग ऑफ हार्ट की मूंछ बनाई जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कुल्हाड़ी नजर आती है खंजर
इसके साथ ही आप यदि राजा को गौर से देखोगे तो उसके हाथ में खंजर नजर आता है। हकीकत ये है कि राजा के हाथ में कुल्हाड़ी थी। ये भी लकड़ी के ब्लॉक की वजह से घिस कर खंजर की तरह दिखने लगी। लकड़ी के ब्लॉक का असर मूंछ के साथ बादशाह की कुल्हाड़ी पर भी पड़ गया। शुरुआत में लाल पान के बादशाह के हाथ में एक कुल्हाड़ी थी। मगर कार्ड को ब्लॉक से कॉपी किया गया, तो कुल्हाड़ी का अगला हिस्सा धुंधला होने लगा और हाथ में सिर्फ चाकू की तरह तस्वीर नजर आने लगी। तब से कुल्हाड़ी, खंजर का रूप लेने लगी। अब इस डिजाइन को देखकर लगता है कि बादशाह खुद को चाकू घोंप रहा है। इस वजह से इस पत्ते को किंग ऑफ हार्ट को सुसाइड किंग भी कहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ताश के पत्तों से जुड़ी कुछ रोचक बातें
ताश के पत्तों का इतिहास 1,000 साल से ज़्यादा पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत 9वीं शताब्दी में चीन में हुई थी।
– ताश के पत्तों का चलन सबसे पहले यूरोप में शुरू हुआ था।
-ताश के पत्तों की डिजाइनिंग इस बात पर निर्भर करता था कि इन्हें कहां पर डिज़ाइन किया गया है।
-वैसे देखा जाए तो ताश के पत्तों में चार नहीं, बल्कि दो ही रंग होते हैं। काला और लाल। हालांकि, पत्ते के चार चिह्न होते हैं- हुकुम, चिड़ी, पान, और ईंट। अब इन्हें चार रंग क्यों कहते हैं, इसका पता नहीं चल पाया।
-हर चिह्न में 13 पत्ते होते हैं। इनकी कुल संख्या 52 होती है।
-ताश के पत्तों में एक से दस तक के अंक होते हैं। हर अंक भी चार होते हैं। हालांकि, एक अंक को इक्का कहते हैं। इसे A से दर्शाया जाता है।
-इक्का को ताश का सबसे बड़ा पत्ता माना जाता है।
-ज़्यादातर चाल-चलन वाले खेलों में, इक्का राजा से भी ज़्यादा गिना जाता है.
-संख्यात्मक मूल्य पर आधारित खेलों में, इक्का आम तौर पर 1 या 11 गिना जाता है।
-इक्का शब्द का मतलब हिन्दी में ‘एक’ होता है। अंग्रेज़ी में इक्के को ऐस (Ace) कहते हैं, जिसका लैटिन भाषा में मतलब होता है-एक चीज़।
-टेनिस में इक्का शब्द उस शॉट के लिए इस्तेमाल होता है जो सर्व करते समय बिना रुके निकल जाए।
-ताश के पत्तों में दो जोकर भी होते हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं किया जाता।
-ताश के पत्तों के पीछे की ओर सभी पत्ते एक जैसे होते हैं।
-ताश के पत्तों का इस्तेमाल हाथ की सफ़ाई, भविष्यवाणी, गूढ़लेखन, बोर्ड गेम, या ताश के घर बनाने में भी किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ताश में 52 पत्तों का रहस्य
इसे अलग अलग गणनाओं पर आधारित माना जाता है, कि ताश में 52 पत्ते ही क्यों हैं। तो बता दें कि ये 52 कार्ड साल के 52 सप्ताह को दर्शाते हैं। इसके अलावा आपने देखा होगा कि ताश की गड्डी में दो ही रंग के पत्ते होते हैं – काला और लाल। दरअसल, ताश की गड्डी में ये दो रंग दिन और रात को दर्शाते हैं। लाल कार्ड दिन को, तो काला कार्ड रात को दर्शाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह से की गई गणना
इसके अलावा आपने देखा होगा कि हर सेट में तीन फेस कार्ड यानि कि गुलाम, बेगम और बादशाह होते हैं। ऐसे में पूरे सेट में कुल 12 फेस कार्ड होते हैं, जो साल के 12 महीनों को दर्शाते हैं। एक साल में 52 सप्ताह होते हैं और 4 ऋतुएं होती हैं। प्रत्येक ऋतु के तीन माह माने जाते हैं। इसी आधार पर ताश के 52 पत्ते 52 सप्ताह का प्रतिनिधित्व करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसे इस तरह भी गिना जाता है कि प्रत्येक चिह्न में 13 कार्ड्स। गड्डी में कुल मिलाकर 52 कार्ड। यानि कि साल में 52 सप्ताह। कुल 364 दिन। जब हम गड्डी के प्रत्येक कार्ड पर अंकित चिह्नों का योग करते हैं तो हमें 364 का आंकड़ा प्राप्त होता है। जब हम इनके साथ जोकर के 1.25 के मान को जोड़ते हैं, तो हमें सभी चिह्नों का योग 365.25 के बराबर मिलता है। जो वास्तव में हमारे कैलेंडर में एक वर्ष के दिनों की संख्या होती है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।