क्या आप जानते हैं-ब्रह्मांड में जन्म ले रहे हैं दो नए ग्रह, यूरेनस के हैं 27 चंद्रमा, इनमें चार में है समुद्र, पढ़ें खबर
अंतरिक्ष में खोज करने वाले वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत घटना को कैमरे में कैद किया है। खगोल वैज्ञानिकों ने दो नए जन्म ले रहे ग्रहों को देखा है। ये धरती से 200 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित हैं। अभी ये सिर्फ एक छाया के रूप में देखे गए हैं, जो गैसीय वातावरण में मौजूद हैं। यह गैस एक डिस्क के आकार में फैली हुई है, जिसमें बहुत सारी धूल भी होने का अनुमान है। इन सब परिस्थितियों के अंदाजन वैज्ञानिकों ने इसे नए ग्रह बनने की प्रक्रिया का ही हिस्सा बताया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा ने रिकार्ड किया अद्भुत नजारा
नासा ने हबल टेलीस्कोप (Hubble Telescope) की मदद से 200 प्रकाशवर्ष दूर हो रही एक अद्भुत घटना को रिकॉर्ड किया है। स्पेस एजेंसी का कहना है कि उसने TW हाइड्रा को गैस के वातावरण में स्थित देखा है। यह एक छोटा तारा है जिसे रेड ड्वार्फ स्टार कहा है। यह तारा 1 करोड़ साल पुराना है जिसका घनत्व सूर्य का आधा बताया गया है। यहीं पर नए ग्रह जन्म रहे हैं। मिल्की वे आकाशगंगा में इस तरह के बहुत से तारे सामान्य रूप से मौजूद हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चार साल के अंतराल में नजर आई दूसरी परछाई
नासा के अनुसार ये जो दो परछाई देखी गई हैं, इनमें से एक को 2017 में देखा गया था। जबकि दूसरी 4 साल के बाद दिखाई दी। The Astrophysical Journal में इस खोज को प्रकाशित किया गया है। इस खोज से ये भी पता लगता है कि 4.6 अरब साल पहले जब पृथ्वी और सौर मंडल के अन्य ग्रह बन रहे होंगे, तो वे भी कुछ ऐसे ही दिखते रहे होंगे। शोधकर्ताओं ने कहा है कि शुरुआत में उन्हें लगा कि ये परछाई गलत स्थिति में आ गईं दो डिस्क के कारण आ रही है। ये दोनों ही शुरू में इतने पास थीं कि इन पर ध्यान जा पाना बहुत मुश्किल था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक दूसरे के करीब हैं दोनों ग्रह
बाद में शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ये जो दो डिस्क बनती दिखाई दे रही हैं, यह दोनों नए जन्म रहे ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के कारण हैं जिनका ऑर्बिट हल्का सा एक दूसरे से अलग चल रहा है। स्टडी से जुड़े वैज्ञानिक मिस्टर डेबेस के अनुसार, इससे पता चलता है कि दोनों ही ग्रह एक दूसरे के बहुत करीब हैं। उन्होंने कहा कि अगर ये एक दूसरे से बहुत तेज गति के अंतर से घूम रहे होते तो इनके बारे में बहुत पहले ही पता लग जाता। लेकिन इनके घूमने की गति में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है, और ये धीर से एक दूसरे से आगे निकलते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूरेनस यानी अरूण ग्रह के चारों ओर 27 चंद्रमा चक्कर लगा रहे हैं। इनमें टाइटेनिया का आकार सबसे बडा है। अब इन्हीं चांद को लेकर साइंटिस्ट्स ने अहम दावा किया है। खगोलशास्त्रियों की ओर से कहा जा रहा है यूरेनस के कम से कम 4 चांद ऐसे हैं, जिनमें पानी का अथाह भंडार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्पेस नासा एजेंसी ने हाल ही में अपने अध्ययन में कहा कि यूरेनस के बर्फीले चंद्रमा के भीतर पानी का अथाह स्रोत हो सकता है। आज से करीब 40 साल पहले नासा 1980 के दशक में यूरेनस पर ऐसे चंद्रमा की खोज की गई जो बर्फ से ढके थे। नासा ने इस बर्फीले चंद्रमाओं पर पानी के संकेत खोजने के लिए कंप्यूटर मॉडलिंग की मदद ली थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
टाइटनिया है सबसे बड़ा चंद्रमा
यूरेनस के 27 चंद्रमाओं में टाइटनिया सबसे बड़ा है, जिसका आकार 1580 किलोमीटर की दूरी तर है। पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में जुटी स्पेस एजेंसियों के एक्सपर्ट्स ने यूरेनस के मून को लेकर कई अहम मिशन लॉन्च किए। वैज्ञानिकों ने हाल ही में यूरेनस पर बड़े चंद्रमाओं पर तरल पानी की मौजूदगी का आकलन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चार चंद्रमा में हो सकते हैं महासागर
अध्ययन से पता चला है कि 27 चंद्रमाओं में से, कम से कम चार में महासागर हो सकते हैं जो कई किलोमीटर गहरे हैं और बर्फीली परतों से ढके हैं। ये दावा यूरेनस को चारों ओर भ्रमण करने वाले चांद एरियल, उम्ब्रील, टिटानिया, ओबेरॉन और मिरांडा को लेकर किया है। वैज्ञानिकों को इन चांद की आंतरिक और बाह्य संरचना का अध्ययन में ये बात पता चली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी किया गया है दावा
ये अध्ययन साइंस पत्रिका जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया। वैज्ञानिकों को पता चला कि यूरेनस के एक चंद्रमा की सतह में एक बड़ी जगह खाली से दिखी, जिसमें तरल पदार्थ होने के संकेत मिले। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में कहा कि भविष्य में यूरेनस के चंद्रमा की उपसतह महासागर को बनाए रखने में भविष्य में सक्षम नहीं होगी। इसके अलावा साइंटिस्ट्स ने कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए यूरेनस की सतह के नीचे क्लोराइड और अमोनिया के भंडार होने का भी दावा किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।