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December 13, 2024

सड़क हादसे में घायल को देख मत चुराएं नजरें, पहुंचाए अस्पताल, मिलेंगे पांच हजार, दावा- पहली योजना, राजस्थान में पहले लागू

सड़क हादसे में घायल को देख नजरें न चुराएं और उसकी मदद को तुरंत आए आएं। ऐसे में हम किसी व्यक्ति की जान बचाने में अपना योगदान दे सकते हैं। इस नेक काम के लिए आपको पांच हजार रुपये का पुरस्कार भी मिलेगा।

सड़क हादसे में घायल को देख नजरें न चुराएं और उसकी मदद को तुरंत आए आएं। ऐसे में हम किसी व्यक्ति की जान बचाने में अपना योगदान दे सकते हैं। इस नेक काम के लिए आपको पांच हजार रुपये का पुरस्कार भी मिलेगा। केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को गंभीर चोट लगने के एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाने वाले मददगारों के लिए एक योजना शुरू की है। जिसके तहत उन्हें 5000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों और परिवहन सचिवों को लिखे पत्र में कहा कि यह योजना 15 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2026 तक प्रभावी होगी। हालांकि, इस योजना को पहली बार की पहल बताकर प्रचारित किया जा रहा है, वहीं, सितंबर माह में राजस्थान सरकार भी इसी तरह की घोषणा कर चुकी है।
मंत्रालय ने ‘नेक मददगार को पुरस्कार देने की योजना’ के लिए दिशानिर्देश जारी किए। मंत्रालय ने कहा कि इस योजना का मकसद आपातकालीन स्थिति में सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने के लिए आम जनता को प्रेरित करना है। नकद पुरस्कार के साथ एक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि इस पुरस्कार के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर 10 सबसे नेक मददगारों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।
राजस्थान के सीएम भी कर चुके हैं ऐसी घोषणा
सितंबर माह से राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी ऐसी योजना शुरू कर चुके हैं। इसके तहत घायल लोगों की मदद करने वालों को गहलोत सरकार इनाम देगी। इनाम में उनको पैसों से साथ सर्टिफिकेट भी मिलेगा। इस योजना में घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले लोगों को सरकार की ओर से 5 हजार रुपए और प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिरंजीवी जीवन रक्षा योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत सड़क हादसे में घायल लोगों की मदद करने वालों से किसी तरह की पुलिस पूछताछ नहीं होगी। अगर कोई व्यक्ति मदद करने के लिए घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसे वहां पैसे भी नहीं देने होंगे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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