भूलकर भी इस फूल को सूंघने की ना करें गलती, हो जाओगे बेहोश, भेड़िया का दुश्मन नाम का ये फूल रोगों की भी दवा
अक्सर फूल अपनी सुगंध से इंसान को आकर्षित करते हैं। फूलों से ही कई प्रकार के सुगंधित तेल और सेंट आदि बनाए जाते हैं। कुछ फूल ऐसे होते हैं, जिनकी खुश्बू हमें पसंद नहीं होती है। तीखी खुश्बू दुर्गंध के रूप में महसूस होती है। वहीं, आपने कभी ऐसा भी सुना कि इस फूल को सूंघने की गलती मत करना। नहीं तो आपको अचानक गहरी नींद आ जाएगी। या आप बेहोश हो सकते हो। हमारे आस-पास ऐसे पौधे या पेड़ मौजूद हैं, जिनके सेवन से व्यक्ति बेहोश के साथ-साथ जान भी गंवा सकता है। ये लेख इसलिए भी जरूरी है कि अगर आप भी किसी पार्क में बैठे हैं, जहां ढेर सारे पेड़-पौधे हों तो उन्हें बहुत ही सोच-समझकर सूंघे या हाथ लगाएं। क्योंकि हम ऐसे पौधे के फूल के बारे में बता रहे हैं जिसे सूंघने से इंसान की मौत हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस पौधे में है बेहोश करने की क्षमता
आक के पौधे शुष्क, उसर और ऊंची जगहों पर देखने को मिलते हैं। इस पौधे या फिर यूं कहें कि इस वनस्पति को लेकर साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा बहुत ही विषैला होता है और इसके सेवन मात्र से किसी व्यक्ति की मौत हो सकती है। आयुर्वेद में इस बात को सत्य करार दिया गया है। साथ ही इसकी गणना उपविषों में की गई है। आयुर्वेद के मुताबिक, इस पौधे का सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उल्दी-दस्तके साथ-साथ मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पौधे से बनाए रखें दूरी
आक के पौधे को देशी भाषा में अकौआ के नाम से जाना जाता है। आक का पौधा बहुत ही विषैला होता है कि इसको सूंघने मात्र से आप बेहोश हो सकते हैं। साथ ही इसे ज्यादा सूंघने मात्र से आपको मौत का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में इस पौधे से दूरी बनाए रखें। यह हमारे मस्तिस्क की नसों को भी सूखा देता है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आक के इस पौधे को मंदार’, ‘अर्क’ और अकौआ भी कहा जाता है। इसका पेड़ छोटा और छत्तादार होता है। इस पेड़ के पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे-मोटे होते हैं। इसके पत्ते हरे सफेद होते हैं, लेकिन पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियां भी होती हैं। इस पेड़ पर लगने वाले फल आम जैसे होते हैं, जिनमें रूई लगी हुई होती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है। यह दूध विष का काम करता है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर ये पेड़ सूख जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसे पेड़ पर लगने वाले फूलों के नाम
इस फूल वाले पौधे का नाम है एकोनिटम। हालांकि इस पेड़ पर खिलने वाले फूल को कई नाम से जाना जाता हैं जैसे – भेड़िए का दुश्मन, शैतान की हेलमेट, क्वीन ऑफ़ प्वायजन्स आदि।
दुनिया का सबसे खतरनाक पौधा
इसके नाम की खासियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एकोनिटम दुनिया का सबसे ख़तरनाक पौधा है क्योंकि ये आपके दिल की गति को धीमा कर देता है जिससे किसी भी व्यक्ति की मौत हो सकती है। इतना ही नहीं इसका सबसे ज़हरीला हिस्सा होता है जड़। हालांकि इसके पत्तों में भी जहर पाया जाता है। बता दें कि इन दोनों में ही न्यूरोटॉक्सिन होता है। ये वो जहर होता है, जो दिमाग पर असर करता है और इसे त्वचा भी सोख सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आयुर्वेद में बताए गए हैं इस पौधे के फायदे भी
आयुर्वेद में भले ही इस पौधे को विष से भरा यानी की जहरीला करार दिया गया है, लेकिन इसके कुछ फायदे भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आक का सेवन उचित मात्रा में और योग्य तरीके से किया जाए तो अनेक रोगों में बड़ा उपकारी साबित हो सकता है। इसका आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है। इस पौधे का इस्तेमाल शरीर में होने वाले फोड़े और फुंसियों के लिए किया जाता है। इसके अलावा आक का पौधे के पत्ते और इसका फल भगवन शिव को समर्पित किया जाता है।
नोटः यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस पौधे के लाभ
आक के पेड़ को मदार के पेड़ के रूप में भी जाना जाता है। इसके अधिकांश भाग- पत्ते, फूल, जड़ें और बीज, का उपयोग हर्बल या आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि आक के पौधे को छूने मात्र से कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज हो सकता है, इसे खाने की भी ज़रुरत नहीं पड़ती। आक का पौधा एक सामान्य घरेलू उपचार है। इसके तेल या पत्तियों का उपयोग मांसपेशियों या जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जोड़ों के दर्द का उपचार
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर पोस्ट किए गए कैलोट्रोपिस गिगेंटिया (आक के पत्तों का वैज्ञानिक नाम) पर एक अध्ययन से पता चलता है कि आक के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। अपने इस गुण के कारण यह गठिया या घुटने के दर्द की समस्या वाले लोगों के लिए यह बहुत अच्छा होता है। अध्ययन के अनुसार इसका उपयोग रुमेटेड पेन के लिए किया जा सकता है। यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपचार हो सकता है, जो कोविड के कारण होने वाले मांसपेशियों या जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं। दर्द वाली जगह पर थोड़ा सा तेल लगाएं। इसे सूखे आक के पत्ते से ढक दें और ऊपर पट्टी से लपेट दें। ऐसा 5-6 दिनों तक करने से इन्टरनल और बाहरी सूजन दोनों कम हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कीड़े के काटने का उपचार
यदि आप ट्रेक पर हैं या सांप या बिच्छू ने काट लिया है, तो आपको बस एक आक का पत्ता ढूंढना है। अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, इसमें जहर विरोधी प्रभाव होते हैं। इसके पत्तों के लेप को काटे हुए स्थान पर लगाने से घाव का उपचार हो जाता है। वैज्ञानिक क्रिश्चियन अग्यारे ने जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलॉजी, 2016 में लिखा है कि आक ऐसे घावों को भर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मधुमेह रोगियों में इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करता है
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर 2011 के एक अध्ययन से पता चलता है कि आक के पत्तों में हाइपोग्लाइसेमिक होता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है और मधुमेह रोगियों में इंसुलिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। इन पत्तों का उपयोग मधुमेह के इलाज के लिए हर्बल दवाओं के रूप में किया जा सकता है। एक अन्य घरेलू उपाय यह है कि अपने पैरों की नोंक पर दो आक के पत्ते लगाकर उनके ऊपर मोज़े पहनें। ऐसा पूरे दिन के लिए करें और अगली सुबह ब्लड शुगर टेस्ट करें। दावों के अनुसार, शर्करा स्तर में कमी आएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए अच्छा
आक के फूल या बीज का सेवन करने से कब्ज, गैस, सूजन और पाचन संबंधी समस्याओं जैसे पेट की समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। इसके फूल एक अच्छे रेचक के रूप में कार्य करते हैं और आसान पाचन को बढ़ावा देते हैं।
सांस से जुड़ी बीमारियों में मदद करता है। एक अध्ययन के अनुसार, हाई एल्टीट्यूड पैथोफिजियोलॉजी, 2018 के प्रबंधन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, आक के फूलों या जड़ों (धूप में सुखाकर पाउडर में बनाया जाता है) का सेवन सांस संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपचार है। जैसे अस्थमा, सर्दी, खांसी, राइनाइटिस आदि। कभी धूप तो कभी बदलते मौसम में आपको कई बीमारियां घेर लेती हैं। ऐसे में इस तरह की तमाम समस्याओं से बचने के लिए अपने बड़ों की बात सुनें और इस घरेलू उपाय को ज़रूर आजमाएं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब (subscribe) कर सकते हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।