बैंक संबंधी काम हो तो दो दिन इन बैंकों में ना जाएं, यहां लटके हो सकते हैं ताले, देखें सूची, एटीएम हो सकते हैं खाली
आपको यदि बैंक संबंधी काम है तो दो दिन 15 व 16 मार्च को इन बैंकों में मत जाना। इसका कारण है कि इन बैंकों में ताले लटके हो सकते हैं। क्योंकि यहां के कर्मचारी और अधिकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर रहेंगे। माना जा रहा है कि एटीएम भी खाली रह सकते हैं। कारण बैंक अधिकारियों के हड़ताल में शामिल होना है। ये हड़ताल यूनाइटेड फेडरेशन आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू ) के आह्वान पर पूरे देश भर में आहूत की जा रही है। इसे लेकर उत्तराखंड में भी बैंक कर्मियों ने कमर कस ली है। हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में है। इनमें ऐसे बैंक शामिल हैं, जहां सरकारी शेयर 51 से 90 फीसद तक है।
इन बैंकों में लगेंगे ताले
1. State Bank of India,
2. Bank of Baroda
3. Punjab National Bank,
4. Canara Bank,
5. Union Bank of India,
6. Indian Bank
7. Indian Overseas Bank,
8. UCO Bank,
9. Bank of Maharashtra
10. Punjab and Sind Bank,
11.Central Bank Of India
12. Bank of India
काले कपड़े पहनकर करेंगे बैंककर्मी प्रदर्शन
सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फेडरेशन आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू ) के आह्वान पर उत्तराखंड में भी बैंक कर्मियों की हड़ताल है। इसमें फेडरेशन से संबंधित नौ यूनियन भाग ले रही हैं। इस दौरान कर्मचारियों के काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन करने की बात कही जा रही है।
शामिल हो रही हैं ये यूनियन
NCBE (workmen employees unions)
AIBEA (workmen employees unions)
BEFI (workmen employees unions)
NOBW (workmen employees unions)
INBEF (workmen employees unions)
AIBOC (officers unions)
AIBOA (officers unions)
NOBO (officers unions)
INBOC (officers unions)
निकालेंगे जुलूस
यूएफबीयू के उत्तराखंड संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने बताया कि सरकार की ओर से बैंकों के निजीकरण करने संबंधी फैसले का यूएफबीयू समूचे देश में विरोध कर रही है। 15 मार्च व 16 मार्च को यूएफबीयू से जुड़े सभी बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। दोनों ही दिन उत्तराखंड में हड़ताल रहेगी। देहरादून में प्रातः 10.00 बजे से सेंट्रल बैंक की एस्लेहाल शाखा से शहर में जुलूस निकाला जाएगा। ये जुलूस एस्लेहाल से प्रारम्भ होकर गांधी पार्क, कुमार स्वीट शॉप से होते हुए घंटाघर से वापिस होकर इसी मार्ग से पुनः ऐस्लेहाल पहुंचकर समाप्त होगा।
इस कारण हो रही है हड़ताल
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजीपतियों के हाथों में सौपने की साजिश की जा रही है। उन्होंने इसे आम जनता की गाढ़ी कमाई को निजी हाथों में लूटने देने की साजिश बताया। कहा कि विगत इतिहास में निजी बैंकों के डूबने से जनता की गाढ़ी कमाई पर पहले भी डाका डाला गया है। वहीं, सरकारी बैंकों ने पिछले छै वर्षों में औसतन डेढ़ से दो लाख करोड़ का ऑपरेटिंग लाभ कमाकर जनहितों के लिए सरकार को दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने ही पिछले केवल चार वर्षों में ही लगभग आठ लाख करोड़ का डूबत लोन बट्टे खाते में डालकर कॉरपोरेट घरानों का इसमें से अधिकांश हिस्सा माफ करने में लगा दिया है।
नाकामी छिपाने को ऐसा कर रही सरकार
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार सरकारी संस्थानों को बेचकर अपने घाटे और नाकामी को छिपाने में लगी है। ऐसे में एक दिन सारे देश की जनता की कमाई से खड़े किए गए उद्यमों पर कुछ चंद लोगों का कब्जा हो जाएगा। तब सरकार क्या झोला उठाकर तपस्या के लिए हिमालय की कंदराओं में पश्चाताप के लिए भाग जाएगी।
कहा कि बैंककर्मी ऐसी कार्पोरेट सरकार का अपने आखरी दम तक विरोध करेंगे। चाहे उन्हें लंबी हड़ताल करनी पड़े। चाहे जेल भरो आंदोलन का रुख अख्तियात क्यों न करना पड़े। भविष्य में सरकार अपना रुख जनता के बैंकों के प्रति सकारात्मक नहीं करती है, तो आंदोलन को अन्य संगठनों के साथ भी जोड़कर इसे जोड़ा जाएगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।