Video: उत्तरकाशी में जिला प्रशासन ने मूंदी आंखे, एकतरफा कर रहा कार्रवाई, कांग्रेस पर चला डंडा, भाजपा को छोड़ा
पांचों राज्यों में चुनावों की घोषणा के बाद से चुवानी राज्यों में चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी है। इन दिनों जिला प्रशासन की ओर से सड़कों, दीवारों आदि से राजनीतिक दलों की चुनाव प्रचार सामग्री हटाई जा रही है। वहीं, उत्तराखंड में गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र की ऐसी फोटो आ रही हैं, जिसे देखकर साफ कहा जा सकता है कि आचार संहिता के नाम पर जिला प्रशासन सिर्फ कांग्रेस के खिलाफ की कार्रवाई कर रहा है। भाजपा की प्रचार सामग्री या तो प्रशासन को नजर नहीं आ रही है। या फिर उसे न छेड़ने के लिए सख्त हिदायत की गई है।वैसे तो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का एक सबसे बड़ा काम ये होता है कि जिसकी सरकार हो, उसके सामने नतमस्क हो जाओ। सरकारी दरबारी यदि गलत करें तो आंखे मूंद लो। तभी तो हरिद्वार में धर्म संसद में दी गई हेट स्पीप के मामले में पुलिस ने ऐसी चुप्पी साधी है कि जैसे सब कुछ लोग भूला बैठे हैं। वहीं, ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। चुनाव के दौरान जब प्रशासन के हाथ में पावर आ जाती है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल वो ही अधिकारी कर पाते हैं, जिनके भीतर कुछ ईमान बचा हो। तभी तो एक तरफ कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को सत्ता परिवर्तन के बाद दूसरी सरकार बनने पर बार बार नेताओं के कोप का भाजन बनना पड़ता है।
अब गंगोत्री विधानसभा में पोस्टर, झंडे, बैनर हटाने के साथ ही जिला प्रशासन वाल राइटिंग पर पेंट पोत रहा है। पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता विजयपाल सिंह सजवाण के सचिव प्रताप प्रकाश पंवार का आरोप है कि प्रशासन निष्पक्ष कार्यवाही नहीं कर रहा है। ऐसा लगता है कि भाजपा के दवाब में ही कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कुछ फोटो और वीडियो के साथ ही प्रेस बयान जारी किया। इसमें साफ देखा जा सकता है कि एक दीवार में कांग्रेस के प्रचार पर पेंट लगाया हुआ है। उसी के बगल में भाजपा के प्रचार को छेड़ा तक नहीं गया। यही नहीं, एक शेल्टर की भीतर की दीवार पर कांग्रेस के प्रचार पर लाल रंग लगा दिया गया है। वहीं, इसके बाहर वाली दीवार पर भाजपा के प्रचार में की गई वाल राइटिंग भी प्रशासन के नजर नहीं आई।
उन्होंने कहा कि हर बार प्रचार सामग्री हटाने के लिए प्रशासन राजनीतिक दलों को सूचित करता था कि अपनी सामग्री हटा लें। यदि राजनीतिक दल नहीं हटाते थे, तब प्रशासन कार्यवाही करता था। इस बार ऐसा नहीं किया गया। वहीं, सामग्री हटाने में समान व्यवहार भी नहीं किया जा रहा है। जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यदि इसी तरह एकतरफा कार्रवाई की जाती रहेगी तो जिला मुख्यालय में धरने के लिए हमें बाध्य होना पड़ेगा।




