नहीं रहे समाजसेवी एवं नगर पालिका बोर्ड देहरादून के पूर्व अध्यक्ष दीनानाथ सलूजा, जानिए समाजसेवा में उनका योगदान
उत्तरांचल प्रेस क्लब (तब दून प्रेस क्लब) के लिए 1990 के दौर में भूमि और भवन आवंटित में दीनानाथ सलूजा जी का अहम योगदान रहा है। आज़ादी पूर्व स्थापित और आज़ादी बाद कई दशक तक दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ समेत विभिन्न स्थानों से प्रकाशित तकरीबन सभी प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं का शहर में सबसे बड़े नेटवर्क के जरिये वितरण कराने में उनके योगदान को कभी भूला नहीं जा सकता है। वह समाचार पत्रों का वितरण कराने वाली नेशनल न्यूज एजेंसी के स्वामी रहे। सलूजाजी काफी लंबे समय से बीमार थे।
उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल के मुताबिक, 89-90 और कुछ हद तक डेढ़ दशक पहले तक दीनानाथ सलूजा जी दूनघाटी के सामाजिक-सांस्कृतिक और वैर राजनीतिक मंचों का प्रमुख चेहरा होते थे। उत्तराखंड आंदोलन के शुरुआती दौर में भी वे प्रत्यक्ष और बाद में परोक्ष रूप से सक्रिय रहे। देहरादून में आंदोलन के संचालन के लिए एकदम शुरूआत में बनी संघर्ष समिति के निर्माण में भी उनकी भागीदारी रही।
दीनानाथ सलूजा जी 1989 से 1994 तक देहरादून नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष रहे। वे दून के ऐसे आखिरी पालिकाध्यक्ष थे, जो सभासदों के वोट से चुने गए थे। 1989 तक पालिकाध्यक्षों को सभासद ही चुनते थे, जबकि 1997 से पालिकाध्यक्ष का चुनाव सीधे आमजनता के वोट से होने लगा।
जितेंद्र अंथवाल के मुताबिक, नगर निगम परिसर स्थित लाला जुगमंदर दास प्रेक्षागृह (टाउनहॉल) का पहली बार आधुनिकीकरण सलूजा जी के ही कार्यकाल में किया गया था। उत्तरांचल प्रेस क्लब कार्यकारिणी क्लब भवन के निर्माण में भूमि आवंटन के जरिये महत्वपूर्ण योगदान देने वाले तत्कालीन पालिकाध्यक्ष, बेहद विनम्र, सौम्य, ईमानदार और सहज समाजसेवी दीनानाथ सलूजा जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उत्तरांचल प्रेस क्ल्ब उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
सलूजा जी की समाजसेवा को हमेशा रखा जाएगा याद
इतिहासकार देवकी नंदन पांडे ने सलूजा जी के बारे में विस्तार से लेख लिखा है। इसे उसी तरह सीधे प्रकाशित किया जा रहा है। सलूजाजी के निधन पर उन्होंने कहा कि-असीम धूमकेतु को प्रणाम, जो 25 दिसंबर 1938 से लेकर 23 मई 2022 तक पृथ्वी पर गुजरा।
बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे सलूजाः देवकी नंदन पांडे
उच्च मानवीय मूल्यों एवं सदाचारी आदर्शों के पोषक उत्तराखंड की विभूति, प्रखर समाजसेवी एवं बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी दीनानाथ सलूजा, राज्य की उस राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं, जिसमें धर्म, जाति एवं प्रदेश का कहीं संकेत नहीं। इसका संशक्त उदाहरण उनकी कार्येशैली रही है। पिता गिरधारी लाल सलूजा के मानवतावादी विचारधारा के व्यापक प्रभाव से दीनानाथ सलूजा के बाल हृदय में निस्वार्थ समाज सेवा तथा सदाचारी आदर्शों का प्रादुभाव हुआ। राष्ट्र के शिखर पुरुषों के स्नेहमय तथा मृदुल सम्पर्क से इनके सौम्य व्यक्तित्व की संरचना हुई। कवि नीरज जैसे उच्चकोटि के काव्यकार मनीषि ने इनके जीवन दर्शन का निर्माण किया तथा भक्तदर्शन जैसे महान राजनीतिज्ञ के सानिध्य ने इनके दृष्टिकोण और अभिव्यक्ति को एक विशिष्ट दिशा प्रदान की। इनकी उदार प्रवृति प्रवृत्ति इनके समाज प्रेम और राष्ट्र चिंतन की द्योतक है। इन्होंने कभी अपने व्यक्तित्व और कृतित्व पर जात-पांत, सम्प्रदाय भेद की छाप नहीं पड़ने दी। उन्मुक्त हृदय से देहरादून को अपनी निस्वार्थ- निश्च्छल सेवाओं की कर्मभूमि बनाया। यही कारण है कि बार-बार अवसर प्रदान होने पर भी इन्होंने कभी किसी राजनीतिक पार्टी का दामन थामना तो दूर, उससे पद प्राप्त करने या सम्मानित होने की लालसा भी मन में नहीं रखी।
विद्यार्थी जीवन से ही समाजसेवा का दिया परिचय
दीनानाथ सलूजा ने विद्यार्थीं जीवन से ही समाजसेवा एवं राष्ट्र भक्ति का परिचय दिया। इसी आस्था से इनके आदर्श जीवन का संगठन और निर्माण आरम्भ हो गया था। पन्द्रह वर्ष की अल्पवय से ही शिक्षा अध्ययन के साथ-साथ पिता के व्यवसाय में सहयोग देने वाले दीनानाथ सलूजा का जन्म 25 दिसम्वर सन् 1938 को देहरादून में हुआ। उन्होंने डीएवी पीजी कालेज, देहरादून से एमकाम की परीक्षा उत्तीण की और पिता के व्यवसाय में पूर्ण रूपेण सहयोग देते हुए समाचार पत्र व पत्रिकाओं के विक्रय संस्थान नेशनल न्यूज एजेन्सी को व्यवसाय के उच्च शिखर तक पहुंचाने में जुट गये।
खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान
सलूजा जी की बहुमुखी प्रतिभा मात्र व्यवसाय में बंधकर नहीं रह सकी। अत: रचनात्मक दुष्टिकोण, सकारात्मक सोच, संगठन क्षमता, विविध रूचियों और पारदर्शी आचरण से इन्होंने साहित्य, संस्कृति और क्रीड़ा के क्षेत्र में
अभिरूचि व्यक्त की और यशोपार्जन किया। क्रीड़ा के क्षत्र में विशेष रूचि का प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय स्तर
के फूटवाल मैचों का आयोजन किया। कई वर्षों तक वह देहरादून स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। देहरादून शतरंज एसोसिएशन की स्थापना कर अन्तर जिला और अन्तरराज्यीय चैम्पियनशिप का आयोजन किया।
सामाजिक क्षेत्र में भी देहरादून को दिलाई पहचान
उनके लायंस क्लब शिवालिक के अध्यक्षीय काल में सम्पूर्ण उत्तरी भारत में लायंस क्लब शिवालिक को सेवा क्षेत्र में सर्वोच्च क्लब के रूप में मान्यता मिली। शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। हिन्दी साहित्य स्मिति के अध्यक्ष के रूप में दीनानाथ सलूजा ने स्मरणीय कवि सम्मेलनों का आयोजन कराया। गढ़वाल विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य और नारी शिल्प मंन्दिर कालेज के ट्रस्टी के रूप में उनकी सेवाये चिरस्मरणीय हैं।
राजनीतिक सफर
वह सन 1971 में नगरपालिका देहरादून के सदस्य निर्वाचित हुए तथा कुछ समय पश्चात ही पालिका के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए। वह सन 1989 में पालिका के अध्यक्ष निर्वाचित किये गये । पांच वर्षो तक इस पद पर कार्य करते हुए नागरिकों की भरपूर सेवा की। वर्षों से लंबित पड़ी प्रेस क्लब व हिन्दी साहित्य समिति की भवन सम्बन्धी मांग की पूरा कर पत्रकार वर्ग व हिन्द्री प्रेमियों की भावनाओं को उन्होंने सम्मान दिया। निसन्देह सलूजा जी का जीवन आदरणय ही नहीं, अपित् अनुकरणीय भी है। इन सार्थक कार्यो तथा सहयोग के लिए देश के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इन्हें अनेक बार पुरस्कृत भी किया है। हालांकि सलूजा जी नगर पालिका बोर्ड में रहे, लेकिन उन्होंने किसी राजनीतिक दल का दामन नहीं थामा। वह सभी दलों के लोगों में प्रिय थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।