दवाओं के इस्तेमाल में मधुमेह रोगियों को सावधान रहने की जरूरत, नहीं तो हो सकती है मुसीबतः डॉ. रविकांत
एम्स ऋषिकेश के जनरल मेडिसिन विभाग के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रविकांत ने मधुमेह से ग्रसित रोगी के लिए दवाओं के इस्तेमाल में सावधानी बरतने की सलाह दी है। डायबिटीज के मरीज के लिए उन्होंने सम्बंधित दवाओं की क्वालिटी, सेवन की विधि और जरूरी सावधानियों पर गंभीरता बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मधुमेह में उपयोग की जाने वाली दवाएं
डॉ. रविकांत ने बताया कि मधुमेह में उपयोग होने वाली दवाएँ दो प्रकार से कार्य करती हैं। ये दवाएं या तो शारीर से इंसुलिन निकालती हैं। जैसे ग्लिमिपिरिड अथवा शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करती हैं, जैसे की मेटफोर्मिन। आजकल मधुमेह के नियंत्रण के लिए कई नई प्रकार के दवाएं आ गई हैं, जो पहले की दवाइयों की अपेक्षा ज्यादा सेफ हैं। एसजीएलटी 2 इनहुबिटर्स, जीएलपी 1 एनालॉग्स, थियोजोलिडाइनायड्स आदि बाजार में नए युग की मधुमेह विरोधी दवाएं हैं।
उम्र के हिसाब से दवाओं का इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि मधुमेह की दवाएँ देते वक्त उम्र को ध्यान में रखना अतिआवश्यक है। क्योंकि, वृद्धावस्था में शुगर कम होने की संभावनाएँ अधिक होती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंसुलिन के प्रकार
इंसुलिन चार प्रकार के होते हैं। तुरन्त असर करने वाला (त्वरित), जल्दी असर करने वाला, लंबी देर असर करने वाला, 24 घंटे में असर करने वाला। बाजार में मिश्रित इंसुलिन भी उपलब्ध हैं। इनमे दो प्रकार के इंसुलिन को मिला कर बनाये गए इंसुलिन भी शामिल हैं। सुविधा के लिए मिश्रित इंसुलिन काफी प्रचलित हैं। जैसे 30/70, 25/75 या 50/50 का मिश्रण। 30/70 में 30 प्रतिशत त्वरित या जल्दी असर करने वाला एवं 70 प्रतिशत लंबी देर असर करने वाला इंसुलिन है। बाजार में प्रचलित इंसुलिन-40 यूनिट प्रति 1 एम.एल. या 100 यूनिट प्रति 1 एम.एल. के हिसाब से कांच की शीशी अथवा पैन में प्रयोग करने वाली रिफिल के रूप में उपलब्ध है। तालिका सं. 7 एवं चित्र सं. 11 में इंसुलिन की विस्तृत जानकारी एवं उसके कार्य क्षमता का समय एवं खाने से संबंध दर्शाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंसुलिन का इंजेक्शन चमड़ी के नीचे एवं मासपेशियों के ऊपर लगाना चाहिए। इंसुलिन को घर में फ्रीज अथवा ठंडे स्थान पर रखें। फ्रीज नहीं होने पर पानी के कुलहड़ में रख सकते हैं। इन्सुलिन लगाने का सर्वोत्तम स्थान पेट की चमड़ी है। इसके बाद जांघ या कूल्हे तथा अन्त में बांह की चमड़ी। इंसुलिन लगाने के बाद उस स्थान को मसले नहीं। इंसुलिन लगाने के बाद सीरिंज को तुरन्त बाहर न निकालें कुछ सेकंड रुक कर निकले। जब पैन का प्रयोग करे तो 15-20 सेकंड रुक कर सुई निकालें। इंसुलिन लगातार एक ही स्थान पार लगाने से चमड़ी खराब हो सकती है। अतः जगह बदल कर लगाते रहें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंसुलिन में रखें इस बात का ख्याल
चिकित्सक के परामर्श द्वारा उचित इंसुलिन भोजन से पूर्व लगाना चाहिए। इंसुलिन इन्जेक्शनों को और भी सुविधायुक्त बना दिया गया है, इंसुलिन पैन से इन्जेक्शनों को लगाना भी काफी आसान एवं दर्द रहित होता है। इंजेक्शन लगाने से पहले हाथ अच्छी तरह धोलें उसके बाद इंसुलिन की शीशी को दोनों हथेलियों के बीच में रख कर आगे पीछे घुमाएँ। चमड़ी को साफ करने के उपरान्त सीरिंज में जिस मात्रा मे इंसुलिन लगाना है, उतनी हवा खीच लें और इस हवा को शीशी में डाल दें। अब सीरिंज से निर्धारित मात्रा में इंसुलिन खींचें और चमड़ी को उँगलियों से पकड़ कर इंसुलिन की सीरिंज सीधे लगायें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंसुलिन के कार्य
इंसुलिन के अभाव में वजन गिरने लगता है। मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। इंसुलिन का कार्य केवल शुगर कंट्रोल करना नहीं है। लिवर, मांसपेशियां, शरीर में वसा के भंडार भी इंसुलिन कि कार्यस्थली है। संक्रमण में अंग प्रत्यारोपण के बाद, शल्य चिकित्सा के समय, टाइप-2 में जब गोलियां निष्क्रिय या बेअसर हो, डायबिटिक कीटो एसिडोसिस (डीकेए) एवं हाइपर ऑसमोलर कोमा में केवल इन्सुलिन का इस्तेमाल करें। टाइप-1, गर्भावस्था एवं प्रत्यारोपण के बाद की स्थिति में इंसुलिन का प्रयोग करना आवश्यक होता है। इन परिस्थितियों में प्रारम्भ में इंसुलिन लगाने के बाद गोली द्वारा पुनः इलाज किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सही समय और भोजन पर ध्यान
इंसुलिन से हाइपोग्लाइसीमिया की सम्भावना गोलियों की अपेक्षा अधिक होती है। किन्तु इंसुलिन द्वारा हाइपोग्लाइसीमिया कम समय के लिए होता है। यदि सही समय या भोजन और सही मात्रा में इंसुलिन का उपयोग किया जाए तो हाइपोग्लाइसीमिया को सम्भावना को नहीं के बराबर किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिथक-मेरे डॉक्टर ने मुझे इंसुलिन पर रखा। इसका मतलब है कि मैं अपने रक्त शर्करा के प्रबंधन पर अच्छा काम नहीं कर रहा हूँ।
तथ्य- टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को इंसुलिन का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि उनका शरीर अब इस महत्वपूर्ण हार्मोन का उत्पादन नहीं करता है। टाइप 2 मधुमेह प्रगतिशील है, जिसका अर्थ है कि समय के साथ शरीर कम इंसुलिन बनाता है। फिर आपको रक्त शर्करा को स्वस्थ श्रेणी में रखने के लिए इंसुलिन का उपयोग करने की आवश्यकता है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।