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December 27, 2024

धनतेरस आज, खरीददारी का ये है शुभ मुहूर्त, जानिए क्यों खरीदे जाते हैं आज के दिन बर्तनः आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी

पंच कल्याणी महापर्व दीपावली की शुरुआत धनतेरस से हो गई है। आज मंगलवार यानी कि दो नवंबर कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को धनतेरस मनाया जा रहा है।

पंच कल्याणी महापर्व दीपावली की शुरुआत धनतेरस से हो गई है। आज मंगलवार यानी कि दो नवंबर कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को धनतेरस मनाया जा रहा है। अर्थात देव और असुर संग्राम में जब देवता निरंतर असुरों से हारते रहे, तो उन्होंने भगवान विष्णु के पास जाकर इसका समाधान निकाला। समाधान में भगवान विष्णु ने देवताओं को कहा कि देव और असुर मिलकर के अमृत का लालच देकर समुद्र मंथन करें। जिस समुद्र मंथन से प्रायः 14 रत्नों की उत्पत्ति हुई। उसी में से एक रत्न के रूप में धनवंतरी जी की उत्पत्ति हुई। धनवंतरी जी आयुर्वेद अर्थात आरोग्यता के ईष्ट हैं। इसी दिन समस्त विश्व में धनवंतरी जी की पूजा की जाती है।
धन त्रियोदशी में खरीदा जाता है अक्षय पात्र
अक्षय पात्र से आशय ये है कि उस दिन नया बर्तन खरीदकर के एक नई शुरुवात की जाती है। इस दिन को लोग नए-नए वाहन, नया घर, नए वस्त्र, नए आभूषण की खरददारी करते हैं। जीवन में नवीनता लाने के लिए दीपावली से पहले लोग घरों में रंग रोगन आदि भी करते हैं। साथ ही साज सज्जा की जाती है। ताकी बदलते मौसम में घर स्वच्छ रहें और किसी भी प्रकार बीमारियों का घर में प्रवेश न हो।
धनतेरस की कथा, क्यों खरीदते हैं तांबें और पीतल के बर्तन
पांडवकाल में एक बार द्रोपदी को जब लगा कि जब पांडव उनका सबकुछ जुए में हार चुके हैं, तो उस समय द्रोपदी ने भगवान सूर्यनारायण की उपासना की। प्रसन्न होकर भगवान सूर्य नारायण ने कहा कि तुम्हारे जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव न हो, इसलिए मैं तुम्हें अक्षय पात्र देता हूं। यह अक्षय पात्र भगवान सूर्य नारायण ने द्रोपदी को देकर उनकी और उनके परिवार की रक्षा की। कहा जाता है कि यह तांबे और पीतल से निर्मित पात्र था। इस दिन की जो परंपरा है, तांबे और पीतल का बर्तन जरूर खरीदना चाहिए। जिनके घरों में तांबे या पीतल के बर्तन होते हैं, उनके घरों में कभी भी किसी भी प्रकार का अन्न का, धन का अभाव नहीं पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में हर किसी को तांबे और पीतल का बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए। तांबे और पीतल के बर्तन में ही देवताओं की पूजा की जाती है। ये पूरी तरह शुद्ध पात्र होता है।
धातु की खरीददारी जरूर करें, न खरीदें कांच के बर्तन
इस दिन ऐसी धातु और संपत्ति जरूर खरीदें जिसका भाव आगे आने वाले समय में बढ़े। जैसे सोना, चांदी, वाहन, जमीन आदि। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि इस दिन वह कांच, चीनी मिट्टी के बर्तन, क्राकरी आदि न खरीदें। ये खंडित और टूटने वाली वस्तु है। इसलिए इसकी खरीददारी से बचना चाहिए। बहुत जरूरी हो तो अन्य दिन इसे खरीदा जा सकता है।
इसी दिन से की जाती है गोमाता की पूजा
धनतेरस के दिन से ही गोमाता की पूजा शुरू की जाती है। दीपावली के अगले दिन गोवर्द्धन पूजा तक चलती है। गोमाता की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि 33 कोटी देवताओं का निवास गोमाता में होता है। कहा जाता है कि हमारे त्योहार हर वर्ष खुशियों से भरे रहें, उसके लिए गोमाता को मनाया जाता है। किसी भी प्रकार का अनिष्ट, कष्ट से रक्षा के लिए गोमाता की पूजा की जाती है। गोमाता को भोग बनाकर, जौ के पिंड बनाकर खिलाए जाते हैं। ताकी हमारे पूर्वजों को भी हम गोमाता के माध्यम से तृप्त कर सकें। इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वो गोमाता को गो ग्रास, गो पिंड अवश्य खिलाएं। समस्त ग्रहों की शांति के लिए ये श्रेष्ठ, उत्तम, दिव्य व दुर्लभ उपाय है।
घर की करें साज सज्जा, द्वार भाग पर बनाएं रंगोली
धनतेरस से ही घर की साज सज्जा शुरू करने का भी विधान है। इस दिन द्वार भाग की साज सज्जा की जाती है। फूलों की माला, शुभ दीपावली की रंगोली और हर प्रकार से घर की सुंदरता को बढ़ाने के उपाय किए जाते हैं।
पहाड़ों में बनाए जाते हैं भैलू
दीपावली की तैयारियों में धनतेरस से ही पहाड़ों में भैलू बनाए जाते हैं। भेलू के लिए चीड़ की लकड़ी का छोटा गट्ठर बनाया जाता है। इसे पेड़ की बेल या छाल से बांधा जाता है। इसका एक सिरा लंबा छोड़ दिया है। छोटी दीपावली और बड़ी दीपावली के दिन इस पर आग लगाकर इसे घुमाया जाता है। मौके पर पूरे गांव के लोग एकत्र होते हैं। ढोल दमाऊ बजते हैं और लोग उत्सव मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो अपने ऊपर भेलू घुमाता है, उसके ऊपर से दीपावली के दिन सारे संकट दूर हो जाते हैं।
धनतेस में खरीददारी का शुभ मुहूर्त
दो नवंबर को शुभ धनतेरस का त्योहार है। इस दिन सोना-चांदी के आभूषण खरीदने का समय शाम छह बजकर 20 मिनट से लेकर आठ बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा चौघड़िया के शुभ लाभ मुहूर्त को भी देखा जा सकता है। इस दिन सुबह 11 बजकर 30 मिनट के बाद से दोपहर एक बजकर 23 मिनट, दो बजकर 45 मिनट से शाम चार बजकर सात मिनट, इसके बाद शाम को छह बजे से रात आठ बजे तक तक खरीदारी कर सकते हैं।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी
(धर्मज्ञ, ज्योतिष विभूषण, वास्तु, कथा प्रवक्ता)
चंद्रविहार कारगी चौक, देहरादून, उत्तराखंड।
फोन-9760690069
-9410743100

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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