उत्तराखंड में गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी तथा हिन्दी के चार नवोदित लेखकों को हर वर्ष सम्मानित करेगी धामी सरकार
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार की ओर से प्रथम बार लोक भाषाओं व लोक साहित्य में कुमाऊंनी, गढ़वाली, उत्तराखंड की बोलियों व उपबोलियों के लेखकों को प्रोत्साहित करने की घोषणा की। इसके साथ ही हिन्दी, पंजाबी एवं उर्दू में दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन व अनवरत साहित्य सेवा के लिए प्रतिवर्ष उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्ष 2014 के बाद पहली बार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की बैठक हुई। सचिवालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित की गई उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उक्त घोषणा की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार की ओर से प्रथम बार लोक भाषाओं व लोक साहित्य में कुमाउनी, गढ़वाली, अन्य उत्तराखंड की बोलियों व उपबोलियों, पंजाबी एवं उर्दू में दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन व अनवरत साहित्य सेवा तथा हिन्दी में उत्कृष्ट महाकाव्य, खण्डकाव्य रचना, काव्य रचना, कथा साहित्य व अन्य गद्य विधाओं के लिए प्रतिवर्ष उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके साथ ही गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी तीन लोक भाषाओं तथा हिन्दी भाषा में 4 नवोदित उदयीमान लेखकों को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा। आगामी मई माह में भव्य समारोह आयोजित कर उत्कृष्ट साहित्यकारों को उक्त पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड के ऐसे रचनाकारों, जो अर्थाभाव के कारण अपनी पुस्तकों का प्रकाशन नही करा पाते हैं, उन्हें उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की ओर से आर्थिक सहायता के रूप में आंशिक अनुदान दिए जाने के प्रस्ताव पर भी स्वीकृति दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बैठक में राज्य में नेशनल बुक ट्रस्ट के साथ मिलकर पुस्तक मेले का आयोजन तथा पुस्तक मेले में साहित्यिक संगोष्ठियों के आयोजन पर भी स्वीकृति दी गई। इसके साथ ही राज्यभर में सुविख्यात लेखकों की व्यखानमालाएं आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी लोक भाषाएं एवं बोलियां हमारी पहचान और गौरव है। राज्य सरकार स्थानीय भाषाओं, बोलियों व संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरन्तर प्रयासरत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा साहित्यिक एवं शोध पत्रिकाओं के प्रकाशन पर भी सहमति बनी। इसके साथ ही लोक भाषाओं के मानकीकरण के लिए कार्यशालाओं व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भी स्वीकृति दी गई। सम्बन्धित अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड में विभिन्न क्षेत्रों में गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी बोलियो को बोलने वाले व लिखने वाले अलग-अलग हैं। उनके लेखन में शब्दों का औच्चारणिक विभेद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गढ़वाली एवं कुमाउनी बोली भाषा के औच्चारणिक एवं वर्तनी के मानकीकरण की अत्यंत आवश्यकता है। यह शिविर गढ़वाल एवं कुमाउं मण्डल में आयोजित किए जाएंगे। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा उत्तराखण्ड में जनपद तथा राज्य स्तरीय भाषायी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। बैठक में भाषामंत्री सुबोध उनियाल, सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी, अपर सचिव एवं निदेशक उत्तराखंड भाषा संस्थान स्वाति भदौरिया, सदस्य डा. सुलेखा डंगवाल, प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, डॉ. सुधा पाण्डेय, डॉ. हरिसुमन बिष्ट, प्रो. देव पोखरिया एवं अन्य सदस्य मौजूद रहे।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।