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July 4, 2025

नाम पट मामले में पुनर्विचार करे धामी सरकार: राजीव महर्षि

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मीडिया प्रभारी महर्षि ने कांवड़ यात्रा के मद्देनजर पारित किए गए नामपट अनिवार्यता के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है। साथ ही राज्य सरकार से इस तुगलकी फरमान को तत्काल वापस लेने की मांग की है। एक बयान में महर्षि ने कहा कि कारोबार कर रहे किसी भी व्यक्ति को नाम बताने में क्या हर्ज हो सकता है, लेकिन अगर कांवड़ जैसी पवित्र और श्रद्धाभक्ति पूर्ण यात्रा के मार्ग पर गलत मंशा से ऐसा करने का आदेश जारी किया जा रहा है, तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार का आदेश समझ से परे है और यह समाज की समरसता को खंडित करने का प्रयास प्रतीत हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह देखने में आ रहा है कि पिछले कुछ वर्षों से एक समुदाय विशेष का आर्थिक बहिष्कार करने के बयान कुछ छोटे बड़े नेताओं के आते रहे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि नाम जानने के पीछे सरकार का उद्देश्य क्या है। उन्होंने कहा कि क्या सरकार यही नियम जम्मू कश्मीर अथवा उत्तर पूर्व में लागू करना चाहेगी? इस मुद्दे पर भी लोग भाजपा की मंशा जानना चाहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने पूछा है कि आखिर यूसीसी की बात करने वाले अलग – अलग प्रदेश में अलग अलग नीति कैसे अपना सकते हैं? उन्होंने पूछा है कि क्या नार्थ ईस्ट के लिए भी यह नियम लागू किया जायेगा? उत्तराखंड कांग्रेस के मीडिया प्रभारी महर्षि ने पूछा कि सरकार यह भी स्पष्ट करे कि यदि नाम बताने के नियम से समुदाय विशेष के व्यापार को नुकसान होता है, तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी? क्या सरकार इसकी जिम्मेदारी लेगी? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटका कर देश को गैर जरुरी मुद्दों की ओर धकेला जा रहा है? महर्षि ने कहा कि उत्तराखंड इस समय गंभीर परिस्थिति से गुजर रहा है। आए दिन सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है, सैकड़ों मार्ग अवरुद्ध हैं लेकिन आलवेदर रोड का नारा देने वाली सरकार का ध्यान पीड़ितों की ओर न होकर इस गैर जरूरी मुद्दे पर केंद्रित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता आपदा पीड़ित प्रदेश के लोगों को राहत पहुंचाने की होनी चाहिए। वहीं, सरकार इस गैर जरूरी मुद्दे को आगे बढ़ा रही है। यह समाज के लिए विभाजनकारी आदेश है। उन्होंने समय रहते सरकार से तुगलकी फरमान को वापस लेने की मांग की है।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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