उत्तराखंडः डीजीपी की पहल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शिकायतों का समाधान, हरिद्वार में विवेचना अधिकारी पर गाज
उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं होने वाले लोगों की शिकायतों को आज पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने वर्चुअली सुना। साथ ही जिलों की पुलिस की ओर से की गई जांच की समीक्षा की। कई शिकायतों का समाधान भी किया गया। वीडियो कान्फ्रेसिंग में संबंधित जनपद प्रभारी, क्षेत्राधिकारी, जांच अधिकारी, विवेचना अधिकारी और शिकायतकर्ता मौजूद रहे। शिकायतें देहरादून, हरिद्वार, चमोली एवं ऊधमसिंहनगर जिले की थी।
समीक्षा के दौरान जनपद देहरादून के प्रकरण में कौलागढ़ निवासी एक महिला ने अपने पति के साथ हुई घटना के संबंध में थाना पटेलनगर पुलिस की ओर से हल्की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करने के आरोप लगाए। इस सम्बन्ध में मुख्यालय की ओर से करायी गयी जांच में अभियुक्तों के विरूद्ध विभिन्न थानों में अभियोग पंजीकृत होना पाया गया।
डीजीपी अशोक कुमार ने प्रकरण से सबंधित जांच पत्रावली की समीक्षा एवं सभी उपस्थित जनों का पक्ष सुनने के पश्चात विवेचना अधिकारी को दोषपूर्ण मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने। प्रकरण की जांच स्तर बढ़ाने की हिदायत देते हुए क्षेत्राधिकारी सदर को चेतावनी दी। साथ ही प्रकरण की जांच सक्षम अधिकारी से कराते हुए 15 दिवस के भीतर रिपोर्ट प्रेषित करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकदेहरादून को निर्देशित किया गया है।
जनपद ऊधमसिंहनगर के प्रकरण में खड़कपुर निवासी एक महिला ने कारागार सितारगंज के बंदी रक्षकों पर सजायाफ्ता बंदीयों के घर की महिलाओं का टेलीफोन नम्बर प्राप्त कर उनसे अश्लील बातें करना, बंदीयों को जेल में मोबाइल, ब्लूटूथ, नशीले पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए पैसे की सौदेबाजी करने और पैसे एकाउन्ट में मांगने का आरोप लगाए।
डीजीपी ने प्रकरण से सम्बन्धित जांच पत्रावली की समीक्षा एवं सभी उपस्थित जनों का पक्ष सुनने के पश्चात कहा कि प्रार्थना पत्र में आरोप गंभीर प्रवृति के हैं, लेकिन इसकी कोई जांच नहीं हुई। मात्र समझौते के आधार पर जांच को समाप्त कर दिया गया। जांच में न ही काल रिकार्डिंग और न ही बंदी रक्षकों के बैंक खातों को चेक किया गया। आरोपों की जांच गहराई से करनी चाहिए थी। प्रकरण की जांच स्तर बढ़ाने की हिदायत देते हुए क्षेत्राधिकारी सितारगंज को चेतावनी दी गयी। साथ ही प्रकरण की जांच एसओजी से भी कराने को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, ऊधमसिंहनगर को निर्देशित किया गया है।
जनपद हरिद्वार के प्रकरण में मंगलौर निवासी राजू त्यागी ने अपनी नाबालिग पुत्री को 02 माह से अधिक समय होने के बाद भी बरामद नहीं कर पाने सम्बन्धी शिकायती प्रार्थना पत्र पुलिस मुख्यालय प्रेषित किया गया था। इस सम्बन्ध में डीजीपी ने सम्बन्धित विवेचना को दूसरे थाने के सक्षम विवेचाधिकारी को स्थानान्तरित करते हुए नाबालिग को शीघ्र बरामद करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार को निर्देशित किया।
इसके अतिरिक्त महिला संरक्षण समिति, चमोली की ओर से प्रेषित एक शिकायती प्रार्थना पत्र में मुख्यालय द्वारा करायी गयी जांच में तत्समय एसओजी प्रभारी की संलिप्ता प्रकाश में आने पर डीजीपी ने उक्त उपनिरीक्षक के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने के लिए पुलिस अधीक्षक चमोली को निर्देशित किया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।