सीएए के खिलाफ वामदलों और जनसंगठनों का प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 लागू होने के खिलाफ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वामदलों और जनसंगठनों से जुड़े लोगों ने जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इसे भेदभावपूर्ण, अन्यायपूर्ण और विभाजनकारी बताया। साथ ही जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वामदलों के साथ ही विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि देहरादून में जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष एकत्र हुए और जोरदार नारेबाजी की गई। इस मौके पर जिला भूमि अध्याप्ति अधिकारी स्मृति परमार को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कही गई ये बात
ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की नियमवाली की अधिसूचना जारी कर दी गयी है। दिसंबर 2019 में पास किये गये भेदभावकारी, विभाजनकारी और अन्यायपूर्ण नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू करने वाली नियमावली की अधिसूचना 2024 चुनावों की अधिसूचना जारी होने से से ठीक पहले जारी करना एक राजनीतिक साजिश का संकेत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आगे कहा गया है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद सीएए की ‘क्रोनोलॉजी’ समझाते हुए कहा था कि इस कानून को लागू करने के बाद एनआरसी, एनपीआर को देशव्यापी स्तर पर लाया जायेगा। इसके माध्यम से दस्तावेज न दिखा पाने वाले नागरिकों को नागरिकता के अधिकार से वंचित कर दिया जायेगा। ऐसे में साफ है कि सीएए नागरिकों को धर्म के आधार पर बांटने के मकसद से लाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
साथ ही कहा गया है कि एनआरसी भ्रामक रूप से गैरमुस्लिम ‘शरणार्थियों’ को नागरिकता देने और मुसलमानों की नागरिकता छीनने, उन्हें देशनिकाला देने तक की बात करता है। असम में की गयी एनआरसी की कवायद और देश में जगह—जगह चलाये जा रहे बुलडोजर ध्वस्तीकरण अभियानों से स्पष्ट हो चुका है कि आदिवासियों और वनवासियों समेत सभी समुदायों के गरीब इससे प्रभावित होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि भारत संवैधानिक रूप से एक धर्मनिरपेक्ष देश है। 1955 के नागरिकता अधिनियम में भारत का नागरिक होने के लिए धर्म का कहीं जिक्र नहीं था, लेकिन सीएए के जरिये नागरिकता को धर्म से जोड़ा जा रहा है। यह पूरी तरह से आलोकतांत्रिक और संविधान विरोधी है। देश से बाहर के कुछ धर्मों के उत्पीड़ितों को नागरिकता देने के घोषित उद्देश्य से अधिक यह देश में धर्म विशेष के नागरिकों को उत्पीड़ित करने का औज़ार बनेगा। ऐसे में सीएए और उसकी हाल में अधिसूचित नियमवाली के साथ ही आगे आने वाले पूरे पैकेज यानि सीएए-एनआरसी-एनपीआर को भी खारिज किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन करने वालों के नाम
प्रदर्शन में सीपीआई (मालै) के प्रदेश महामंत्री इन्द्रेश मैखुरी, सीपीआई (एम) के जिलासचिव राजेन्द्र पुरोहित, देहरादून सचिव अनन्त आकाश, आयूपी के अध्यक्ष नवनीत गुंसाई, चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल, किसान सभा कै कमरूद्दीन, माला गुरूंग, आल इण्डिया लायर्स यूनियन (एआईएलयू) से एडवोकेट शम्भू प्रसाद ममगाई, अब्दुल राऊत, अनुराधा सिंह, सीआईटीयू से किशन गुनियाल, भगवन्त पयाल, रविन्द्र नौडियाल, गुरू प्रसाद पेटवाल, महेन्द्र राय आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।