पांच हजार रुपये मानदेय सहित विभिन्न मांगों को लेकर भोजन माताओं का विधानसभा कूच, पुलिस ने रोका, जानिए क्या हैं मांग
उत्तराखंड में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विभिन्न कामगार संगठनों के साथ ही विपक्षी राजनीतिक दलों का विधानसभा के समक्ष धरने और प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। संगठन अपनी समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रदर्शनों का सहारा ले रहे हैं। इसके तहत आज उत्तराखंड की भोजनमाताओं ने विधानसभा कूच किया। रिस्पना पुल के पास पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस पर भोजना माताओं ने सड़क पर ही धरना दिया।
सीटू के संबद्ध उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन की प्रांतीय महामंत्री मोनिका ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने भोजन माताओ का मानदेय बढ़ा कर 5000 रुपये करने की घोषणा की थी। एक महीने के पश्चात भी शाशनादेश जारी नही किया गया है। उन्होंने कहा कि जब तक शासनादेश जारी नही किया जाता भोजनमाताएं आंदोलन करती रहेंगी। उन्होंने आशंका जतायी कि कहीं यह घोषणा कोरी न हो।
उन्होंने बताया कि इस मांग को लेकर 19 अगस्त को जिला मुख्यालयों के समक्ष प्रदर्शन किया गया था। भोजमाताओ की मुख्य मांग पांच हजार रुपये मानदेय की घोषणा का शासनादेश जल्द जारी करने की है।आज देहरादून में नेहरू कालोनी स्थित फव्वारा चौक पर भोजनमाताएं एकत्र हुईं और यहां से दोपहर एक बजे विधानसभा के लिए कूच किया गया। कुछ दूर पर ही पुलिस ने उन्हें बैरिकेड पर दिया। इस पर सड़क पर ही धरना दिया गया। साथ ही सभा भी आयोजित की गई।
प्रदर्शन में ये रहे शामिल
प्रदर्शन मे सीटू अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह नेगी, सचिव लेखराज, भोजनमाता संगठन की अध्यक्ष रोशनी बिष्ट, महामंत्री मोनिका, सुनीता, रेखा राणा,भगवन्त पयाल, अनन्त आकाश, देवानन्द नौटियाल, टीका प्रसाद, विमला देवी कौशल, कृष्णा, अनिता, सोहन सिंह पोखरियाल, सुमन, ऐश्वर्या जुयाल, ज्योति, बबिता, निर्लेश, भावना, अनिशा, सुशीला, लक्ष्मी, रिहाना, दुलारी, गुड्डी, समेंटरी, प्रतिमा, अंजना, मंजू , नीलम, समा, ऊष्मा, नीलम, अनिता, ज्योति, उर्मिला, भूपेन्द्र, कमला, दीपा, मन्जू , नीता, विमलेश, उर्मिलेश, बबीता, राजेश्वरी आदि शामिल थीं।
ये हैं मांगे
-19 जुलाई 2021 को शिक्षा मंत्री की ओर से भोजन माताओं के मानदेय को 5000 रुपये करने की घोषणा का शासनादेश जारी किया जाए।
-भोजन माताओं की न्यूनतम वेतन, समाजिक सुरक्षा की मांग को पूरा किया जाए।
-न्यूनतम वेतन 18000 रुपये किया जाए।
-प्रदेश में विद्यालयों को बंद करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
-मध्याह्न भोजन योजना का निजीकरण बंद किया जाए। इसे एनजीओ को नही दिया जाए।
-भोजन माताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं से अतिरिक्त कार्य न लिया जाए।
-भोजन माताओं को न निकाला जाया तथा निकाली गई भोजन माताओं को कार्य पर वापस रखा जाए।
-भोजन माताओं को 45 व 46वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशो के अनुसार मजदूर/ कामगार घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं को सेवानिवृती पर ग्रजूवटी व पेंशन दी जाए।
-भोजन माताओं के बोनस का भुगतान अविलंब किया जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।