Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 12, 2024

तबादलों में अनियमितता के विरोध में अपर सचिव से मिला आइटीआइ कर्मचारी संघ का प्रतिनिधिमंडल, रखी अपनी बात

उत्तराखंड में हाल ही में हुए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में स्थानांतरणों को एक्ट के दुरुपयोग और उल्लंघन का आरोप लगाते हुए आइटीआइ कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने कौशल विकास एवं सेवायोजन की अपर सचिव रुचि मोहन रयाल से मुलाकात की।

उत्तराखंड में हाल ही में हुए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में स्थानांतरणों को एक्ट के दुरुपयोग और उल्लंघन का आरोप लगाते हुए आइटीआइ कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने कौशल विकास एवं सेवायोजन की अपर सचिव रुचि मोहन रयाल से मुलाकात की। साथ ही उनके समक्ष अपनी बात रखी। उन्होंने स्थानांतरणों में तत्काल रोक लगाने और नियम विरुद्ध किए गए तबादलों के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
उत्तराखंड राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल में पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष राजेंद्र, प्रदेश प्रांतीय उपाध्यक्ष मेजर सिंह पुंडीर, प्रांतीय महामंत्री पंकज सनवाल, नैनीताल जिला सचिव कैलाश पलरिया शामिल थे। उन्होंने अपर सचिव को अवगत कराया कि विभाग की ओर से जारी तबादला सूची में अनेक त्रुटियां इंगित हैं ।
संघ के प्रांतीय महामंत्री पंकज सनवाल ने बताया कि उन्होंने कई बार निदेशक से प्रत्यक्ष रूप में मिलकर एवं पत्राचार के माध्यम से उक्त बिन्दुओं की ओर विभाग का ध्यानाकर्षण कराया। साथ ही अनुरोध किया कि उक्त खामियों का निराकरण करने के उपरांत ही वार्षिक स्थानान्तरण किए जाए। इसके बावजूद विभाग ने उक्त बिन्दुओं की अनदेखी करते हुए स्थानान्तरण एक्ट के विरुद्ध वार्षिक स्थानान्तरणों में शिथिलता बरतते हुए स्थानान्तरण आदेश जारी कर दिए गए। इसके परिणामस्वरुप कई कार्मिकों में उक्त के कारण अत्यन्त नाराजगी व्याप्त है। अतः संघ पुरजोर मांग करता है, कि स्थानान्तरण एक्ट के अन्तर्गत नियमविरुद्ध हुए समस्त स्थानान्तरणों पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही दोषी अधिकारियों के विरुद्ध एक्ट का सरासर उल्लंघन किए जाने पर कठोर कार्यवाही की जाए।
उठाए ये बिंदु
1.स्थानान्तरण एक्ट 2017 की धारा 9 एवं धारा 12 में स्पष्ट किया गया है कि सुगम से दुर्गम, एवं दुर्गम से सुगम अनिवार्य स्थानान्तरण के लिए उपलब्ध रिक्तियों की उपलब्धता के क्रम में एक पात्रता सूची तैयार की जाएगी। इसके बावजूद विभाग की ओर से ऐसी पात्रता सूची बनाते समय कई व्यवसायों में कई कार्मिकों के सुगम एवं दुर्गम के दिनों की गणना करने में घोर अनियमितता बरती गई। इसके कारण जिन कार्मिकों का स्थानान्तरण होना निश्चित था, उनका नाम ही पात्रता सूची से गायब है। एवं जिनका स्थानान्तरण ही नहीं होना था, वह स्थानान्तरण के पात्र हो गए। जो कि अत्यन्त ही आपत्तिजनक एवं स्थानान्तरण एक्ट का घोर उल्लंघन है।
उन्होंने उदाहरण दिया कि कला, गणित सुगम से दुर्गम पात्र कार्मिकों की सूची, विधुतकार दुर्गम से सुगम, दुर्गम से सुगम पात्र कार्मिकों की सूची, किन्तु अन्य व्यवसायों/संवर्गों की सूची में भी गड़बड़ी की आशंका व्याप्त है।
-विधुतकार सुगम से दुर्गम पात्रता सूची के क्रमांक 1 पर अंकित संजीव कुमार के सुगम दुर्गम के दिनों की गणना सही किए जाने के लिए प्रधानाचार्य की ओर से विभाग को पत्र भी भेजा गया, किन्तु विभाग ने उनके सुगम दुर्गम के दिनों की गणना में कोई सुधार नहीं किया। साथ ही अनुदेशक स्थानान्तरण सूची के क्रमांक 12 के अनुरूप स्थानान्तरण कर दिया गया।
-विधुतकार दुर्गम से सुगम पात्रता सूची के क्रमाकं 1 पर अंकित राजेन्द्र पाल के दुर्गम से सुगम के दिनों की गणना में उनके द्वारा दुर्गम अवधि में लिए गए चिकित्सा अवकाश (कुल 135 दिनों का जो कि स्वयं निदेशक महोदय ने स्वीकृत किया गया था) को दुर्गम अवधि में से नहीं घटाया गया। साथ ही उनका अनिवार्य स्थानान्तरण अनुदेशक स्थानान्तरण सूची क्रमांक 16 के क्रम में दुर्गम से सुगम आईटीआई पिरानकलियर (हरिद्वार) कर दिया गया। जहां पर पद रिक्तता की सूचना सुगम संस्थानों के रिक्त पदों की विभाग की वेबसाइट पर प्रदर्शित सूची में है ही नहीं। अर्थात स्थानान्तरण एक्ट का दोहरा उल्लंघन विभाग ने उक्त स्थानान्तरण में किया है।
-इसी तरह कला गणित सुगम से दुर्गम की पात्रता सूची में क्रम संख्या 3 पर अंकित नौशाबा परवीन के सुगम में दिनों की संख्या 3908 अंकित करते हुए उनका अनिवार्य स्थानान्तरण अनुदेशक स्थानान्तरण सूची क्रमांक 4 के क्रम में आईटीआई चमियाला कर दिया गया है। उन्हीं के समान सुगम में कुल दिनों की संख्या 3908 वाले दो अनुदेशकों का नाम पात्रता सूची में ही नहीं डाला गया। जो कि स्थानान्तरण एक्ट पर विभाग की ओर से किए गए स्थानान्तरणों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
2.विभाग ने स्थानान्तरण एक्ट की धारा 10 (ख) का उल्लंघन करते हुए दुर्गम में तैनात किन्तु सुगम संस्थानों में विगत दो वर्ष से अधिक समय से सम्बद्ध कार्मिकों की सेवा दुर्गम में ही मानते हुए पात्रता सूची में प्राथमिकता दे दी। वहीं, स्थानान्तरण एक्ट की धारा 10 (ख) के पन्तुक में स्पष्ट किया गया है कि इस अवधि की गणना करते समय केवल वही अवधि ली जाएगी, जिसमें कार्मिक वास्तविक रुप में दुर्गम स्थान पर कार्यरत रहा हो। यदि वह सुगम स्थान पर सम्बद्ध रहा हो तो सम्बद्धता अवधि तथा एक माह से अधिक अवधि के लिए अवकाश पर रहा हो तो इस अवधि को दुर्गम स्थान की तैनाती की अवधि में सम्मिलित नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद विभाग ने उक्त धारा का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए पात्रता सूची तैयार की। इसके कारण कई कार्मिकों के सुगम में सम्बद्धता को दुर्गम में गणना कर ली गई, किन्तु कई की दुर्गम में ही गणना की गई। इसके कारण कई कार्मिकों को इसका गलत लाभ मिल गया तो कई कार्मिक पात्रता सूची में स्थान ही नहीं बना सके। (उदाहरणार्थ कला गणित दुर्गम से सुगम के पात्र कार्मिकों की सूची, किन्तु कई अन्य व्यवसायों की सूचियों में भी उक्त के कारण गड़बड़ी व्याप्त है।)
अनुदेशक विषय कला गणित दुर्गम से सुगम के लिए अंकित पात्रता सूची क्रमाकं संख्या 2 पर अंकित राजेश कुमार की समस्त 3907 दिनों की सेवा दुर्गम में दर्शाई गई है, जबकि राजेश कुमार सचिव (प्रभारी) कौशल विकास एवं सेवायोजन उत्तराखंड के आदेश संख्या 1024 दिनांक 27.11.2019 तत्क्रम में नोडल प्रधानाचार्य नई टिहरी के आदेश संख्या 2552-63स्था0 टिहरीकार्मिक समायोजन2019-20 दिनांक 05.12.2019 के क्रम में उक्त तिथि से स्थानान्तरण आदेश की तिथि तक सुगम संस्थान नई टिहरी में सम्बद्ध रहे हैं। उक्त अवधि की गणना भी विभाग ने उनके दुर्गम अवधि में करते हुए गलत स्थानान्तरण किया। जो कि स्थानान्तरण एक्ट की धारा 10 (ख) स्पष्ट उल्लंघन है ।
3.शासन स्तर से यूकेडब्ल्यूडीपी संस्थानों में स्थानान्तरण सत्र शून्य किए जाने के उपरांत विभाग ने पत्रांक संख्या 5066/डीटीईयू/वार्षिक स्था0/2022 दिनांक 29.06.2022 के क्रम में दिनांक 30 जून 2022 को अन्तिम बार अनिवार्य स्थानान्तरण के लिए पात्र कार्मिकों की सूची विभागीय वेबसाइट www.dsde.uk.gov.in पर प्रकाशित करते हुए 4 जुलाई 2022 तक पात्र कार्मिकों से पुनः विकल्प आमंत्रित किए। कार्मिकों द्वारा भरे गए विकल्पों को वेबसाइट पर प्रकाशित ही नहीं किया गया। जो कि स्थानान्तरण एक्ट की धारा 23(7) का स्पष्ट उल्लंघन है। इससे स्थानान्तरणों की पारदर्शिता पूर्णतः संदेहास्पद है ।
4.व्यवसाय विद्युतकार के सुगम से दुर्गम की विभाग द्वारा प्रकाशित रिक्तियों में यमकेश्वर में विकल्प सं 1 में थ्त्यूड़ एवं विकल्प सं 2 में यमकेश्वर संस्थान का विकल्प भरने वाले सुगम से दुर्गम अनिवार्य़ स्थानान्तरण के लिए पात्र अनुदेशक नवीन परमार का स्थानान्तरण उक्त विकल्पों में न करते हुए क्रम सं 7 में दिए गए विकल्प आईटीआई गोपेश्रवर के लिए अनुदेशक स्थानान्तरण सूची के क्रम स.13 के अन्तर्गत कर दिया गया।
5.स्थानान्तरण एक्ट की धारा 7(घ) (एक) में स्पष्ट किया गया है कि वरिष्ठ कार्मिकों को अनिवार्य स्थानान्तरण से मुक्त रखा जाएगा एवं एक्ट की धारा 3 (ज) में 55 वर्ष से अधिक आयु के कार्मिक को वरिष्ठ कार्मिक परिभाषित किया गया है। इसके बावजूद स्थानान्तरण सूची के क्रम संख्या 17 में अंकित वरिष्ठ कार्मिकथान सिंह बिष्ट, अनुदेशक आईटीआई टांडी (नैनीताल) को भी अनिवार्य रुप से दुर्गम से सुगम में स्थानान्तिरत कर दिया गया है। उक्त कार्मिक की ओर से वरिष्ठ कार्मिक की छूट प्रदान किए जाने के लिए एवं तैनाती वर्तमान संस्थान में ही रखे जाने के लिए प्रत्यावेदन भी प्रधानाचार्य के माध्यम से विभाग को प्रेषित किया गया था। इसके बावजूद बिष्ट का स्थानान्तरण कर दिया गया ।
6.व्यवसाय फिटर के अनिवार्य स्थानान्तरणों के अन्तर्गत सुगम से दुर्गम पात्रता सूची में कुल 17 अनुदेशक पात्र थे, जबकि दुर्गम से सुगम की पात्रता सूची में कुल 5 अनुदेशक पात्र थे। उक्त व्यवसाय में संघ के एक पदाधिकारी जिन्हें स्थानान्तरण एक्ट के अन्तर्गत स्थानान्तरण से छूट भी प्राप्त नहीं है, उन्हें स्थानान्तरण से बचाने के लिए उक्त व्यवसाय में मात्र 1 स्थानान्तरण सुमग से दुर्गम किया गया, जबकि मुख्य सचिव द्वारा दिनांक 30 जून 2022 को जारी आदेश में अधिकतम 15 प्रतिशत स्थानान्तरण किए जाने के लिए निर्देशित किया गया था। विभाग ने स्वयं ही प्रत्येक व्यवसाय के लिए स्थानान्तरणों की सीमा निर्धारित किए जाने के लिए अलग अलग मानक तय कर लिए। इससे कार्मिकों में गहरी नाराजगी व्याप्त है ।
7.व्यवसाय डाटा एन्ट्री आपरेटर के सुगम से दुर्गम के लिए 2 अनुदेशक, जबकि दुर्गम से सुगम सूची में कुल 3 अनुदेशक स्थानान्तरण हेतु पात्र थे। सुगम से दुर्गम में कोई स्थानान्तरण न करते हुए सीधे अनुरोध के आधार पर एक स्थानान्तरण किया गया, जो कि स्थानान्तरण एक्ट की धारा 17(1) का स्पष्ट उल्लंघन है। इसमें स्पष्ट किया गया है, कि इस अधिनियम के अन्तर्गत स्थानान्तरण के प्रस्तावों पर गठित स्थानान्तरण समित की ओर से निम्न क्रमानुसार विचार किया जाएगा। अर्थात पहले सुगम से दुर्गम अनिवार्य स्थानान्तरण तत्पश्चात अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण एवं तत्पश्चात दुर्गम से सुगम अनिवार्य स्थानान्तरण। कई व्यवसाय के अनुदेशक तो स्थानान्तरण की राह की तकते रह गए, जबकि स्थानान्तरण समिति ने स्थानान्तरण एक्ट की धाराओं को तार तार करते हुए सीधे और सीधे अनुरोध के आधार पर ही स्थानान्तरण कर दिये।
8.कुल स्थान्तरणों पर ध्यानाकर्षण करते हुए उन्होंने तर्क दिया कि इतनी भारी मात्रा में अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण किए गए हैं। वह भी बिना कोई पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए बिना ही कर दिए। विभागीय वेबसाइट पर किसी भी अनुरोध के प्रार्थना पत्र, सूची अथवा कारण का कोई हवाला नहीं दिया गया।
(क) अनुदेशकों के कुल 31 स्थानान्तरण हुए। इनमें से 11 स्थानान्तरण अनुरोध के आधार पर, 8 स्थानान्तरण पारस्परिक, जबकि मात्र 12 स्थानान्तरण ही सुगम दुर्गम के आधार पर किये गए हैं। जबकि वर्षो से दुर्गम में सेवारत कार्मिक पारदर्शी स्थानान्तरण की राह देख रहे थे।
(ख) कार्यदेशकों के कुल 10 स्थानान्तरणों में से 6 अनुरोध के आधार पर, जबकि मात्र 4 सुगम दुर्गम के आधार पर हुए।
(ग) प्रधानाचार्यों के कुल 3 स्थानान्तरणों में से 2 अनुरोध के आधार पर, जबकि मात्र 1 दुर्गम से सुगम किया गया।
(घ) मिनिस्ट्रीयल संवर्ग में कुल 8 स्थानान्तरणों में 6 अनुरोध के आधार पर, जबकि मात्र 2 सुगम दुर्गम के आधार पर किये गए हैं।
9.कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग के अन्तर्गत ही सेवायोजन प्रखण्ड में भी अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण किए गए। किन्तु उनके द्वारा विभागीय वेबसाइट पर अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण चाहने वाले कार्मिकों के प्रार्थना पत्र, कारण सहित प्रकाशित भी किए गए। किन्तु इसी विभाग के प्रशिक्षण प्रखण्ड में स्थानान्तरण एक्ट के किसी भी बिन्दु का पालन न करते हुए एवं स्थानान्तरणों में कोई पारदर्शिता न बरतते हुए मनमर्जी से एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए समस्त संवर्गों में स्थानान्तरण किए गए। यहां तक कि विगत दिनों विभागीय मंत्री महोदय द्वारा संबद्धता समाप्त किए जाने के उपरांत जिन अधिकारियों/कार्मिकों को मूल संस्थान भेजा जाना था, उन्हें अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरित कर पुनः सुगम में ही स्थानान्तरित कर दिया गया है। यहां तक कि स्थानान्तरण प्रक्रिया में कार्य कर रहे अधिकारी और कर्मचारी भी अपना अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण करवाकर मनमाफिक तैनाती पाने में कामयाब हो गए।
तत्काल प्रभाव से लगाई जाए रोक
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि बिन्दुओं के क्रम में यह स्पष्ट है कि विभाग की ओर से स्थानान्तरण एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन कर ही वार्षिक स्थानान्तरण किए गए हैं। तत्क्रम में संघ मांग करता है कि तत्काल प्रभाव से शासन स्तर से स्थानान्तरण एक्ट के विपरीत एवं इसका स्पष्ट उल्लंघन कर विभाग में हुए स्थानान्तरणों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। एवं शासन स्तर से स्थानान्तरण एक्ट का उल्लंघन करने वाले स्थानान्तरण समिति में सम्मिलित अधिकारियों/कर्मचारियों की जांच हेतु जांच कमेटी गठित करते हुए स्थानान्तरण एक्ट की धारा 24 (3) में उल्लेखित प्राविधानों के अन्तर्गत उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 (समय समय पर यथासंशोधित) के संगत प्राविधानों के अन्तर्गत सम्बन्धितों पर कठोरतम कार्यवाही की जाए।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page