रिस्पना और बिंदाल एलिवेटेड कॉरिडोर को लेकर देहरादून सिटीजन फोरम चिंतित, जनभागीदारी की अनुपस्थिति पर उठाए सवाल

देहरादून शहर के जागरूक नागरिकों के संगठन, देहरादून सिटीजन फोरम ने राजधानी देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर को लेकर गहरी चिंता जताई। साथ ही इस मुद्दे को लेकर जनभागीदारी की अनुपस्थिति को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। साथ ही माना कि ये परियोजना देहरादून के प्राकृतिक और शहरी परिदृश्य को व्यापक रूप से प्रभावित करेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री धामी की कैबिनेट में भी प्रस्ताव पारित हो चुका है। इन सड़कों के निर्माण के लिए मलिन बस्तियों में रह रहे काफी संख्या में परिवार प्रभावित होंगे। कई घरों में ध्वस्तीकरण के निशान लगा दिए गए हैं। साथ ही लोगों को संबंधित विभागों की ओर से नोटिस भेजे जा रहे हैं। इन सड़कों के निर्माण और लोगों को बेदखल करने का विभिन्न विपक्षी दल और सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं। साथ ही वे प्रभावितों को समुचित मुआवजा, पुनर्वास की व्यवस्था आदि की मांग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून सिटीजन फोरम की बैठक वक्ताओं ने कहा कि 6200 करोड़ रुपये की परियोजना की संकल्पना और योजना प्रक्रिया में नागरिकों की पूरी तरह से अनुपस्थिति चिंताजनक है। यह परियोजना देहरादून के प्राकृतिक और शहरी परिदृश्य को व्यापक रूप से प्रभावित करने वाली मानी जा रही है। प्रशासन ने समाज के सभी वर्गों के साथ कोई व्यापक नागरिक बैठकें नहीं की हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। साथ ही ये आपत्तिजनक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) और पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। देहरादून सिटीजन फोरम का मानना है कि किसी भी निर्णय से पहले शहर भर में बैठकों की श्रृंखला आयोजित की जानी चाहिए। बैठक का मुख्य केंद्र बिंदु परियोजना को लेकर पारदर्शिता की कमी और लागत-लाभ विश्लेषण के अभाव पर था। सदस्यों ने सवाल उठाया कि क्या कोई वैकल्पिक और कम विध्वंसकारी समाधान ठीक से तलाशे गए हैं। क्या यह परियोजना वास्तव में देहरादून और उसके नागरिकों के दीर्घकालिक हितों को दर्शाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
26 किलोमीटर लंबा प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर रिस्पना और बिंदाल नदी पर बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसे आमतौर पर मसूरी की ओर पर्यटकों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए माना जा रहा है। इस संदर्भ में सदस्यों ने एकमत होकर कहा कि शहरी योजना का प्राथमिक उद्देश्य नागरिकों, पर्यावरण और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरतों को प्राथमिकता देना होना चाहिए, न कि केवल पर्यटकों की सुविधा को। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सदस्यों ने यह भी गहरी चिंता जताई कि यह परियोजना शहर की पहले से ही तनावग्रस्त और प्रदूषित नदियों पर और बुरा प्रभाव डाल सकती है। कई सदस्यों ने यह भी उल्लेख किया कि सहस्त्रधारा रोड जैसी हाल की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का प्रभाव आज तक ठीक से अध्ययन नहीं किया गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि इनका समावेश वर्तमान यातायात प्रबंधन योजनाओं में किया गया है या नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सदस्यों ने सवाल किया कि जब राज्य सरकार नदी पुनर्जीवन की बात करती है, तो फिर इतनी बड़ी निर्माण परियोजना कैसे इन नाजुक नदी क्षेत्रों में उचित मानी जा सकती है। ऐसी परियोजनाएं अक्सर नदी तल को पक्का कर देती हैं। इससे जैव विविधता को नुकसान पहुंचाता है। साथ ही इसका प्रभाव जल प्रवाह पर भी पड़ता है। बैठक में यह भी कहा गया कि जब एक ओर पर्यटकों के पंजीकरण से उनकी संख्या नियंत्रित करने की बात हो रही है, फिर दूसरी ओर मसूरी के लिए 5-6 नए मार्ग, रोपवे और एलिवेटेड कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट क्यों बनाए जा रहे हैं। यह विरोधाभास और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की कमी दर्शाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फोरम का मानना है कि शहरी समाधान भविष्य की जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या प्रवृत्तियों को ध्यान में रखकर 100 वर्षों की दृष्टि से बनाए जाने चाहिए, न कि केवल वर्तमान यातायात समस्याओं को हल करने के लिए, वो भी पर्यटक-केंद्रित सोच के साथ। बैठक के दौरान, सदस्यों ने सुझाव दिया कि छोटे-छोटे समूह बनाकर इस मुद्दे का गहराई से अध्ययन किया जाए। विशेष रूप से पर्यावरणीय प्रभाव और नागरिक-हितैषी वैकल्पिक योजनाओं पर चर्चा और अध्ययन होना चाहिए। इसका उद्देश्य नागरिकों को विषय की बेहतर समझ देना और इन जानकारियों को आम जनता और संबंधित अधिकारियों के समक्ष रखना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फोरम ने दोहराया कि किसी भी शहर के लिए निर्णय प्रक्रिया के केंद्र में वहां के लोग होने चाहिए। इतनी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं बिना जन संवाद, सामुदायिक भागीदारी या स्वतंत्र मूल्यांकन के नहीं चलाई जानी चाहिए। फोरम ने एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना पर पुनर्विचार की मांग की है और आग्रह किया है कि सरकारी एजेंसियां नागरिकों के साथ पारदर्शी और सहभागी प्रक्रिया में शामिल हों, उसके बाद ही कोई कदम आगे बढ़ाया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में तय किया गया कि देहरादून सिटीजन फोरम आने वाले समय में और बैठकें तथा जनजागरूकता सत्र आयोजित करेगा। ताकि एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण तैयार किया जा सके। इससे देहरादून के लिए एक सतत और समावेशी भविष्य सुनिश्चित हो सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में फ्लोरेंस पांधी, परमजीत कक्कड़, अनूप नौटियाल, रितु चटर्जी, हिमांशु अवस्थी, रिंकू सिंह, अक्षत चौहान, महाबीर सिंह रावत, मौसमी भट्टाचार्य, कैप्टन वाई. भट्टाचार्य, लेफ्टिनेंट कर्नल सनी बख्शी, सुनील नेहरू, अजय दयाल, सारा दयाल, अलका मधान, भारती पी. जैन, रमन्ना कुमार, पूर्णिमा वर्मा, ध्रुव बत्रा, मनुज अग्रवाल, राकेश कपूर, अक्षय अग्रवाल और एस.एस. रसाइली आदि उपस्थित थे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।