बीरोंखाल को जल्द घोषित करें जिला, समिति ने दी नेताओं के साथ चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी
उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित बीरोंखाल को जिला बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। बीरोंखाल जिला निर्माण एवं जनविकास समिति के पदाधिकारियों ने देहरादून स्थित हिंदी भवन में प्रेस वार्ता के जरिये चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इसी तरह क्षेत्र का उपेक्षित रखा और बीरोंखाल को जिला बनाने की घोषणा नहीं की तो जनआंदोलन किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समिति के संयोजक एवं सेवानिवृत्त शिक्षा उपनिदेशक पान सिंह बिष्ट ने बताया कि पौड़ी गढ़वाल के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित विकासखंड रिखणीखाल, नैनीडांडा, बीरोंखाल, पोखड़ा व थलीसैंण पांचों ही विकासखण्ड मुख्यालय पौड़ी से 100 किलोमीटर से भी दूर हैं। दूरस्थ क्षेत्र नैनीडांडा के अनेकों गांव 200 किमी से भी दूर होने के कारण जिला मुख्यालय पौड़ी से कोई भी काम करवाने के लिए आमआदमी को चार-पांच दिन का समय लग जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रवासियों की स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य समस्याओं को सुनने के लिए कोई प्रशासनिक व्यवस्था नहीं है। कहने को तो यहां पर तीन-चार तहसीलें धुमाकोट, बीरोंखाल, थलीसँण, सब तहसील पोखड़ा एवं रिखणीखाल हैं, किन्तु यहां पर कोई भी सक्षम अधिकारी तैनात नहीं। लोगों को रोजमर्रा की परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं। ऐसे में यदि इन विकासखण्डों को मिलाकर केन्द्रीय स्थल बीरोंखाल में जनपद इकाई का गठन नहीं किया जाता, तो आगामी चुनाव में जनता जनप्रतिनिधियों का विरोध व बहिष्कार करेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समिति के महासचिव मोहन सिंह कंडारी के अनुसार बीरोंखाल जनपद निर्माण की मांग अति पुरानी है। इसके लिए समय-समय पर थलीसैंण, बीरोंखाल, धुमाकोट-नैनीडांडा, पोखड़ा व रिखणीखाल विकासखण्ड मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन व जनांदोलन चलते रहे हैं। बीरोंखाल में इन सभी विकासखण्डों की सहभागिता से सन् 2015 से 2016 तक 335 दिनों का अनवरत धरना कार्यक्रम चला था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री के आश्वासन पर सात नवम्बर, 2016 को धरना स्थगित कर दिया गया था। इसके बावजूद सरकार ने अपना आश्वासन पूरा नहीं किया। यहां तक कि मुख्यमंत्री, राज्यपाल को इस सम्बन्ध में प्रस्तुत ज्ञापनों का भी प्रत्युत्तर नहीं दिया गया। इसके कारण यहां की जनता में गहरा आक्रोश है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके कारण पुनः जन आंदोलन खड़ा होने जा रहा है, जिसके लिए उत्तराखण्ड की बहरी सरकार जिम्मेदार है। विकासखण्ड पोखड़ा निवासी एवं इस समिति में विकासखण्ड संयोजक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता महिपाल कण्डारी ने बताया कि इन पांचों विकासखण्डों में उनका विकासखण्ड पोखड़ा जनपद मुख्यालय पौड़ी से निकटतम वाला विकासखण्ड है। इसकी पौड़ी मुख्यालय से दूरी 100 किमी से भी दूर है। किसी जमाने में पोखड़ा स्थल अपनी शैक्षिक सुविधाओं एवं सामाजिक चेतना के लिए एक जाना-माना नाम था, किन्तु अब राजनैतिक व प्रशासनिक अव्यवस्थाओं के कारण यह क्षेत्र हर प्रकार से पिछड़ गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि आगामी त्रिस्तरीय चुनावों का बहिष्कार किया जायेगा। तथा क्षेत्र में जन प्रतिनिधियों का प्रवेश बाधित किया जायेगा। शीघ्र ही राजधानी देहरादून में धरना प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे तथा विधानसभा का घेराव किया जायेगा। सूबेदार मोहन सिंह रावत ने क्षेत्रीय विधायक सतपाल महाराज का विरोध करते हुए कहा कि सतपाल महाराज को इस क्षेत्र से सिर्फ चुनाव जीतने के अलावा जन समस्याओं व क्षेत्र के विकास से कुछ भी मतलब नहीं है। आगामी चुनाव में उनका बहिष्कार किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
संयुक्त उपाध्यक्ष मोहन कुमार बहुखंडी ने कहा कि अंग्रेजी शासन में बीरोंखाल क्षेत्र इतना पिछड़ा हुआ नहीं था, जितना अब उत्तराखण्ड बनने के बाद पिछड़ गया है। गांव वीरान हो चले हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आर्थिकी कारणों से बड़ी तेजी से पलायन हो रहा है। इसका कारण कुशासन व अनियमित नियोजन है। आगामी चुनावों में इसका प्रभाव पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सतीश बौड़ाई ने कहा कि थलीसैंण में नागचूलाखाल के आदमी को चमोली, रूद्रप्रयाग जिलों में घूमकर मुख्यालय पहुंचना पड़ता है, जबकि बीरोंखाल जनपद बनने पर वहां का आदमी मात्र 1-2 घंटे में बीरोंखाल पहुंच सकता है। इसी तरह की स्थिति रिखणीखाल व नैनीडांडा के भी बहुत से गांवों की है। इसलिए भी बीरोंखाल जनपद का गठन परम आवश्यक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समिति के उपाध्यक्ष कर्नल सूरजपाल सिंह नेगी ने आक्रोश व्यक्त किया कि बार-बार के ज्ञापन एवं निवेदनों के बावजूद भी उत्तराखण्ड सरकार का क्षेत्र की जनता की इस जरूरी मांग पर ध्यान न देने की कीमत नेताओं को चुकानी पड़ेगी। कैप्टन डीपी बलूनी ने कहा कि यद्यपि मैं तो द्वारीखाल का निवासी हूँ, किन्तु बीरोंखाल, धुमाकोट व पोखड़ा आदि वासियों की इस जायज मांग का समर्थन करता हूँ। रणजीत सिंह बिष्ट ने कहा कि कि क्षेत्रीय जनता की यह जरूरी मांग अनसुनी की जा रही है। आगामी चुनावों में जन प्रतिनिधियों को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वार्ता में के दौरान भूपेन्द्र सिंह रावत, आलम सिंह रावत, बलवन्त सिंह रावत, कैलाश मड़वाल, प्रेम सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह रावत, राजेन्द्र सिंह, सत्यप्रकाश बौड़ाई, बेलम सिंह रावत, दिनेश बौड़ाई, दयाल सिंह चंद, बलराम जुयाल, भूपाल सिंह रावत व दिनेश रावत आदि भी उपस्थित रहे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।