Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 8, 2024

छोटी की खता की दे दी इतनी बड़ी सजा, जानकर सिहर उठेंगे आप

सर्दी की रात के करीब साढ़े 11 बजे का समय। हल्की बूंदाबांदी ने मौसम को और ठंडक बना दिया। हाईवे और मुख्य मार्गों को यदि छोड़ दिया जाए तो शहर से लेकर गांव की सड़कें लगभग सुनसान थी। चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था। कहीं-कहीं सायरन बजाते पुलिस के वाहन सड़कों के सन्नाटे को तोड़ रहे थे। इतनी सर्दी भरी रात को भी पुलिस चुपचाप थाने में नहीं बैठी थी और पूरे सहारनपुर जिले की पुलिस रात को सड़कों पर दौड़ रही थी। साथ ही पुलिस के कई अधिकारी व सिपाही अपनी किस्मत को भी कोस रहे थे कि वे क्यों पुलिस में भर्ती हुए। किसी और डिमार्टमेंट में होते तो इस सर्द भरी रात को बच्चों के साथ बिस्तर में लंबी तान कर सो रहे होते। पर ड्यूटी में मुस्तैद रहना उनकी मजबूरी भी थी और फर्ज भी था। इस फर्ज को फोन की एक कॉल ने जगा दिया। यह कॉल पुलिस के लिए चुनौती बन गई।
पुलिस कंट्रोल रूम में रात करीब 11 बजे सूचना आई कि मोटर साइकिल सवार तीन बदमाशों ने शहर में तमंचे की नोक पर कई लोगों से लूटपाट की। वे गांव की सुनसान सड़क की तरफ भाग निकले। इसी कॉल के बाद जैसे ही कंट्रोल रूम से सूचना फ्लैश हुई तो पूरे जिले की पुलिस हरकत में आ गई। उस समय पुलिस कप्तान डॉ. रोहित एक पार्टी में दो पैग के साथ भोजन छकने के बाद अपने घर को लौट रहे थे। तभी वायरलैस पर लूट की सूचना मिली तो वे खुद भी अपनी कार सड़कों पर दौड़ाने लगे। साथ ही जिले की पुलिस को तलाशी अभियान चलाने, मोटर साइकिल सवारों पर नजर रखने के निर्देश देने लगे। वायरलैस सेट का माइक कप्तान साहब ने हाथ में लेकर मुंह से सटाया हुआ था। वह सीओ व अन्य थाना इंचार्जों से उनकी लोकेशन भी पूछ रहे थे। खुद उन्होंने अपनी कार चिलकाना रोड की तरफ दौड़ा रखी थी।
सहारनपुर जिले की चिलकाना रोड से करीब दस किलोमीटर हटकर एक गांव में अधिकांश घरों में लाइट बुझी हुई थी। कई घरों में ग्रामीण गहरी नींद में थे। सिर्फ हरिचरण के घर में कोहराम मचा हुआ था। क्योंकि हरिचरण के 25 वर्षीय जवान बेटे को जवान बेटे योगेश को सांप ने डस लिया था। अगल-बगल के घरों के कुछ लोग उनके यहां थे। बेटे को सांप ने शाम को काटा था। घर से करीब दस किलोमीर दूर एक डॉक्टर को दिखाने पर उसने सांप के काटे घाव पर चीरा लगाकर दवा भी दे दी थी। रात तक वह ठीक था, लेकिन 12 बजे से बाद से योगेश का दिल घबरा रहा था। परिवार में महिलाएं इसलिए घबराई हुई थी कि शायद अब योगेश न बचे।
तभी हरिचरण से पड़ोस का युवक हरीश बोला-चाचा डरने की कोई बात नहीं है। वह अभी मोटर साइकिल से पास के कस्बे में जाकर डॉक्टर को ले आएगा। सब ठीक हो जाएगा।
इतनी रात को कैसे जाओगे बेटा। ऊपर से बारिश हो रही है- हरिचरण बोला।
हरीश ने कहा-ये बारिश आज पहली बार थोड़े ही हो रही है। मैं आध घंटे में डॉक्टर को लेकर आता हूं।
हरिचरण ने सलाह दी कि रात का समय है, यूं कर उसके छोटे बेटे विनोद को भी साथ लेता जा। लौटते समय डॉक्टर समेत तीन लोग मोटर साइकिल में आ ही जाओगे।
हरीश ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की। हरिचरण का 18 वर्षीय बेटा विनोद पीछे से बैठ गया। तभी विनोद ने कहा कि भैया रुको, मैं घर से एक मिनट में आया। विनोद भीतर गया और उसी वक्त वापस आ गया। हरीश ने मोटर साइकिल स्टार्ट कर दी।
फिर चलते समय विनोद से पूछा- तुम क्यों वापस गए।
विनोद ने कहा- रात का समय है। कहीं बदमाश मिल गए तो क्या होगा। इसलिए ये कट्टा लेने गया था।
कट्टा (देशी तमंचा) का नाम सुनकर हरीश का दिल उछल पड़ा। वह बोला- इसकी क्या जरूरत थी और तुम्हारे पास कहां से आया। इसे फेंक दो।
इस पर विनोद बोला- भैया आजकल गांवों में डकैती की घटनाएं काफी बढ़ रही हैं। इससे निपटने के लिए युवकों ने सुरक्षा के लिए हथियार रखे हैं। ऐसे हथियार तो घर-घर में मिल जाएंगे।
इस पर हरीश ने कहा- फिर भी बगैर लाइसेंस के हथियार रखना गैरकानूनी है। इससे कभी व्यक्ति मुसीबत में पड़ सकता है। फिर भी आगे से ख्याल रखो कि ऐसे हथियार न रखो। यदि किसी बदमाश ने तुम्हें मारने की ठान रखी हो तो हथियार कुछ नहीं करेंगे। रास्ते भर योगेश को हरीश समझा रहा था कि वह गलत कर रहा है, वहीं योगेश अपनी बात को सही ठहराने में तर्क में कुतर्क देता रहा।
हरीश पछता रहा था कि वह अपने साथ योगेश को क्यों लाया। गणेशराम का इकलौता बेटा था हरीश। जो एक साल पहले ही सेना में भर्ती हुआ था। पहली छुट्टी में वह गांव आया था। उसके माता-पिता का इरादा था कि छुट्टियों के दौरान ही उसका रिश्ता भी तय कर दिया जाए। इसके लिए कुछएक स्थानों पर बातचीत भी चल रही थी। शायद दो-तीन दिन के भीतर टीके की रस्म भी पूरी हो जानी थी, पर नियति को कुछ ओर मंजूर था।
डॉक्टर फिरोज को जब हरीश ने योगेश की हालत बताई तो वह बोला कि सांप के काटने से मरीज ज्यादा घबरा जाता है। उस पर जहर का असर होता तो पहले ही हो जाता। अब तो सिर्फ वहम है। फिर भी वह साथ चलकर उसे दवा दे देगा। उसकी हालत में निश्चित ही सुधार होगा। डॉ. फिरोज रात को ही तैयार हुए और उनके साथ मोटर साइकिल में बैठकर गांव की तरफ चल दिए। गांव से करीब दो किलोमीटर निकट जब वे पहुंचे तो उस समय रात के दो बज चुके थे।
तभी पीछे से पुलिस की सायरन बजाती कार की आवाज सुनाई दी। हरीश ने योगेश से कहा कि पुलिस आ रही है, कट्टे को सड़क किनारे झाड़ी में फेंक दो। योगेश ने कहा भैया डरने की बात नहीं। घर पहुंच ही चुके हैं। मोटर साइकिल की स्पीड तेज कर दो। हरीश ने स्पीड तो बढ़ाई, लेकिन वह कट्टे को फेंकने को भी जोर देता रहा। डॉ. फिरोज को जब कट्टे का पता चला तो वह भी हरीश की तरह योगेश को समझाते रहे। योगेश भी ढीठ था, वह कट्टा फेंकने को राजी न हुआ। वह बोला कि पुलिस तो गश्त कर रही है। यह उनकी नियमित ड्यूटी है। तुम चलते रहो।
हरीश मोटर साइकिल की स्पीड जितनी तेज करता, सायरन बजाती पुलिस कार उतनी ही तेजी से उनका पीछा करती। कार निकट आ रही थी। साथ ही कार में लगे छोटे लाउड स्पीकर से उन्हें रुकने को कहा जा रहा था, पर घबराहट में उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था। हरिचरण के घर के घेर (आहते) तक कार उनके पास पहुंच गई।
तीनों के मोटर साइकिल से उतरते कि कार के भीतर से कप्तान साहब की रिवालवर आग उगलने लगी। तीनों युवक आहते में ही ढेर हो गए। कप्तान साहब सादी वर्दी में थे। अपनी सफलता पर खुशी से चौड़े होते हुए उन्होंने कार से बाहर कदम निकालने को दरवाजा खोला। तभी वायरलैस पर सूचना फ्लैश हुई कि रात 11 बजे जारी की गई लूट की सचूना फर्जी थी। यह दूसरे जनपद के सीओ ने फ्लैश कराई थी। जो पुलिस की मुस्तैदी परखने के लिए मात्र टेस्ट रिपोर्ट थी। गलती का अहसास होते ही कप्तान साहब ने कार का दरबाजा बंद किया और वहां से खिसक गए। हरिचरण का बेटा योगेश जिसे सांप ने डंसा था, वह भी तब तक दम तोड़ चुका था। वहीं घर के आहते में तीन और बेकसूरों की लाश पड़ी थी।

भानु बंगवाल
पढ़ने के लिए क्लिक करेंः सेलरी आई और बाबा चबाने लगा कष्ट, मुंह से छुड़ाया सेलरी का एक हिस्सा, पढ़िए रोचक घटना

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page