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August 2, 2025

टिहरी गांव में आपदा से माता-पिता की हुई मौत, बच्चों के सिर पर ग्राफिक एरा ने रखा हाथ, लिया सिद्धार्थ व वंशिका की पढ़ाई का जिम्मा

उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय संस्थान ग्राफिक एरा ने टिहरी के गांव में मकान में दबकर मौत के शिकार बने राणा दंपति के दोनों बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी ले ली है। हाल ही में भारी बारिश के दौरान भूस्खलन से मकान ध्वस्त होने पर दंपती की मौत हो गई थी और बच्चों के सिर पर माता-पिता का साया उठ गया था। ऐसे वक्त में ग्राफिक ऐरा ने इन बच्चों के सिर पर हाथ रखा। इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने का निर्णय ग्राफिक एरा ने लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के अध्यक्ष डॉ कमल घनशाला ने राणा दंपति के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य की उच्च और तकनीकी शिक्षा की सबसे बड़ी संस्था होने के नाते यह हमारा पुनीत सामाजिक कर्तव्य है। इन दोनों बच्चों सिद्धार्थ राणा (14 वर्ष) व वंशिका राणा (12 वर्ष) की कक्षा 12 तक की फीस, किताब, ड्रेस आदि का व्यय ग्राफिक एरा वहन करेगा। माध्यमिक शिक्षा के बाद ये दोनों बच्चे ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी या ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट आदि कोर्स कर सकते हैं। यह शिक्षा निशुल्क होगी। उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में ग्राफिक एरा परिवार बच्चों के साथ खड़ा है। उनका भविष्य संवारने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

डॉ.  कमल घनशाला

गौरतलब है कि ग्राफिक एरा इससे पहले भी कई शहीदों के बच्चों के लिए इस तरह की व्यवस्था कर चुकी है। डॉ. कमल घनशाला ने इस संबंध में सिद्धार्थ और वंशिका के ननिहाल में पत्र भेजा है। ग्राफिक एरा की टीम ने रायपुर खादर में इन बच्चों के ननिहाल पहुंचकर इनकी मौसी पिंकी रावत को यह पत्र सौंपा। इस टीम में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलसचिव मेजर जनरल ओपी सोनी, निदेशक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोफेसर सुभाष गुप्ता व डिपार्टमेंट ऑफ़ हयूमैनिटिज़ एंड सोशल साइंसेज की विभागाध्यक्ष डॉ प्रभा लांबा शामिल थे। टिहरी के सकलाना पट्टी के ग्राम ग्वाड़ निवासी श्री राजेंद्र सिंह राणा और धर्म पत्नी सुनीता राणा का मकान के मलबे में दबकर निधन हो गया था। बीते शनिवार को उनके शव मलबे से निकाले गए।

Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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