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July 30, 2025

किसान और संविधान दोनों खतरे में, फिर से जाएंगे दिल्ली गाजीपुर बॉर्डरः दौलत कुवर

उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के संयोजक दौलत कुवर ने कहा कि किसान आंदोलन और संविधान दोनों खतरे में है। इसे बचाने के लिए वे फिर से दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में भाग लेने जाएंगे।

उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के संयोजक दौलत कुवर ने कहा कि किसान आंदोलन और संविधान दोनों खतरे में है। इसे बचाने के लिए वे फिर से दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में भाग लेने जाएंगे।
प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरीके से दिल्ली में चल रहे हैं शांतिपूर्ण किसान धरने को कुचलने के लिए भारत सरकार तरह तरह के षड्यंत्र रच रही है, इससे तो यह सिद्ध हो गया है भारत सरकार जनता के द्वारा नहीं ईवीएम मशीन के द्वारा बनी हुई सरकार है। इसके मुखिया भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने आज तक 142 शहीद किसानों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त नहीं की।
उन्होंने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण चल रहा है किसान आंदोलन को कुचलने के लिए गुंडों को भेजकर ऐतिहासिक लाल किले पर निर्दोष पुलिस वालों को पिटवा गया। वहां पर तोड़फोड़ की गई ताकि यह आरोप भी शांतिपूर्ण आंदोलन पर लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की मंशा गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल नहीं हुई। दिल्ली लाल किले के ऊपर एक धर्म विशेष का झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू भाजपा के एजेंट हैं और जिन लोगों ने भी हमारी ऐतिहासिक धरोहर लाल किले पर तोड़फोड़ की है वह सारे भाजपा ने बुलाए थे।
उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर 2020 को चकराता, विकासनगर, सहसपुर विधानसभा से 373 मंच के कार्यकर्ता दिल्ली के सिंधु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे। उसके बाद 24 जनवरी 2021 को इन्हीं विधानसभाओं से 256 लोग दोबारा से गाजीपुर बॉर्डर और सिंधु बॉर्डर पर पहुंचे।
कार्यकर्ताओं की स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वह 27 जनवरी को सभी कार्यकर्ताओं को लेकर अपने साथ विकासनगर तक लाए। इसके बाद जिस तरीके की घटना उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार टिकैत के साथ में करना चाह रही थी, उनको दोबारा समर्थन देने के लिए वह अपने साथियों के साथ दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर जा रहे हैं। अब तब तक वापस नहीं आएंगे जब तक तीनों काले कानून केंद्र सरकार वापस नहीं लेती है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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