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December 3, 2024

उत्तराखंड में मूल निवास और सशक्त भू-कानून के लिए हरिद्वार की सड़कों पर उतरा जनसैलाब, 26 नवंबर से होगी भूख हड़ताल

उत्तराखंड में मूल निवास और सशक्त भू कानून को लेकर किए जा रहे आंदोलन को जोरदार जनसमर्थन मिलने लगा है। स्थायी मूल निवास-1950 और सशक्त भू कानून लागू करने की मांग को लेकर हरिद्वार की सड़कों पर रविवार को प्रदर्शनकारियों का जनसैलाब उमड़ आया। ऋषिकुल से हर की पैड़ी तक निकली स्वाभिमान रैली में बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की। रैली की अगुवाई कर रहे संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने हरकी पैड़ी पहुंच कर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए घोषणा की कि मूल निवास-1950 और मजबू भू कानून की मांग को लेकर 26 नवंबर से ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट में भूख हड़ताल प्रारंभ की जायेगी। ये भूख हड़ताल तब तक जारी रहेगी, जब तक उत्तराखण्ड में सशक्त भू कानून लागू नहीं हो जाता। उन्होंने यह कि कहा कि सशक्त भू कानून का जो ड्राफ्ट सरकार के पास है उसे जनता के बीच सार्वजनिक किया जाय। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

स्वाभिमान रैली की शुरुआत ऋषिकुल से हुई। इसके बाद शिवमूर्ति, वाल्मीकि चौक, पोस्ट आफिस से अपर रोड होते हुए रैली हर की पैड़ी पहुंच कर जनसभा में परिवर्तित हो गयी। रैली में शामिल प्रदर्शनकारी- सुन ले दिल्ली देहरादून, हमे चाहिए भू कानून, गुड़, गन्ना, गंगा को बचाना है, मजबूत भू कानून लाना है। जल, जंगल, जमीन हमारी, नहीं चलेगी, धौंस तुम्हारी, जैसे जोशीले नारे लगा रहे थे। रैली में चल रही महिलाएं और युवा परंपरागत वादयंत्रों की थाप पर आन्दोलन के जनगीत गा कर लोगों में जोश भर रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर मूल निवास, भूकानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि अनेकों बलिदान एवं संघर्षों के बाद हमे उत्तराखंड राज्य मिला है, लेकिन हमारे राज्य के जल, जमीन, जंगलों पर पूंजीपति और बाहरी लोग कब्जा कर रहे हैं। हमारे संसाधनों की खुली लूट की जा रही है। उत्तरखंड की भावी पीढ़ी का भविष्य अंधकार हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मोहित डिमरी ने कहा राज्य के मूल निवासियों और कई दशकों से यहां निवास कर रहे लोगों के बच्चों को सरकारी गैर सरकारी नौकरियों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वहीं, बाहरी से आये लोग फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाकर हमारे हकों पर डाका डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने ही राज्य में मूल निवासियों के सामने आज पहचान का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में बाहरी लोगों के राज्य में आने से यहां सांस्कृतिक परंपराओं पर भी खतरा मंडरा रहा है। जिससे आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि हरिद्वार से गुरुकुल नारसन तक के किसान और दशकों से व्यवसाय कर कर लोग भी उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधन वाले उत्तराखंड में बाहरी लोगों का आगमन होने के कारण खेतीबाड़ी करने वाले उत्तराखंड के किसान भूमिधर से भूमिहीन हो रहे हैं। उनको बहला फुसला कर उनकी बेशकीमती जमीनों को बाहरी लोग नेता और नौकरशाहों के सिंडीकेट के साथ मिलकर कौड़ियों कर भाव खरीदकर उनको उनकी जड़ों से दूर कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सचिव प्रांजल नौडियाल, गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि यहां के कल कारखानों में उत्तराखंड के युवाओं और मूल निवासियों को रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं। स्वाभिमान रैली के आरंभ होने से पूर्व ऋषिकुल में भी अनेक नेताओं ने प्रर्दशनकारियों को संबोधित किया। रैली में रूड़की, पथरी, लालढांग, श्यामपुर, नवोदयनगर, शिवालिकनगर, टिहरी विस्थापित कालोनी, सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगों ने भाग लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने नेतृत्व में आयोजित इस रैली को पहाड़ी महासभा, उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारी संयुक्त संघर्ष समिति हरिद्वार, उत्तराखंड चिह्नित राज्य आन्दोलनकारी संघर्ष समिति हरिद्वार, कुमाऊँनी एकता परिषद शिवालिकनगर, उत्तराखण्ड चिह्नित राज्य आन्दोलनकारी संघर्ष समिति रुड़की, पर्वतीय बंधु समाज समिति नवोदक नगर, जिला एवं शहर व्यापार मंडल अध्यक्ष राजीव पराशर, महामंत्री संजीव नैयर, सैनी सभा हद्विार के सम्राट सैनी, रोड़ धर्मशाला के अध्यक्ष सेवाराम, सिडकुल ट्रांसपोर्ट ऐसोसियेशन के अध्यक्ष सुधीर जोशी, सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी कल्याणकारी समिति के प्रेमलाल साह, व्यापार सभा हरकी पैड़ी, भारती किसान यूनियन के अध्यक्ष पद्म सिंह रोड़, पूर्व सैनिक संगठन में अध्यक्ष दिनेश सकलानी, उदय भारत सिवित सोसाइटी की हेमा भंडारी, राजेन्द्र चौटाला, सहित बड़ी संख्या में विभिन्न संस्थाओं और लोगों ने समर्थन दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रैली में प्रमुख रूप से पहाड़ी महासभा के अध्यक्ष तरूण व्यास, महासचिव जसवंत सिंह बिष्ट, पर्वतीय बंधु समाज समिति के अध्यक्ष मान सिंह रावत, कोषाध्यक्ष मयंक पोखरियाल, अतोल गुसांई, जय किशन न्यूली, डॉ. हरिनारायण जोशी, गंगादत्त मिश्रा, सुभाष पुरोहित, भगवती पंत, संजय नैथानी, प्रकाश चन्द जोशी, जेपी जुयाल, एसपी बौठियाल, शिवरामपुरी, तेजसिंह रावत, अंजु उप्रेती, सरोजनी जोशी, मंगली रावत, सुषमा कोटनाला, निशा जोशी, भुवनेश पाठक, दीपक नौटियाल, महावीर नेगी, मुकुल जोशी, हर्ष प्रकाश काला, कमला बमोला आदि शामिल रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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