मकर संक्रांति पर हरिद्वार में गंगा सहित अन्य नदियों में उमड़ी भीड़, नहीं दिखी शारीरिक दूरी, खिचड़ी का वितरण

मकर संक्रांति पर्व पर उत्तराखंड सहित देशभर में श्रद्धालुओं में स्नान को लेकर उत्साह देखा गया। उत्तराखंड में हरिद्वार, ऋषिकेश सहित अन्य स्थानों पर गंगा घाटों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। वहीं, अन्य नदियों में भी श्रद्धालुओं में उत्साह देखा गया। सुबह से ही हरिद्वार और उधमसिंह नगर सहित अन्य मैदानी इलाकों में कोहरा भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं सका। हांलाकि कहीं कोविड 19 के नियमों का पालन होता नजर नहीं आया। जगह जगह खिचड़ी का वितरण किया गया। मकर संक्रांति के साथ ही कुंभ की भी शुरुआत हो गई है।
मकर संक्रांति हरिद्वार में हरकी पैड़ी सहित क्षेत्र के सभी स्नान घाटों पर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के स्नान का क्रम शुरू हो गया। हालांकि, कोविड-19 गाइडलाइन के चलते इनकी संख्या पिछले कुंभ स्नान के लिहाज से कम है।
श्रद्धालु सुबह से ही गंगा स्नान के लिए स्नान घाटों पर पहुंचने लगे और हर हर गंगे जय मां गंगे के जय घोष के साथ मकर संक्रांति पर्व का पुण्य प्राप्त करने को गंगा में डुबकी लगाने लगे। उन्होंने इसके साथ गंगा पूजन और दान पुण्य का लाभ भी अर्जित किया। इस दौरान हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड सहित स्नान घाटों पर स्नान के मद्देनजर कोविड-19 पालन होता नजर नहीं आया। कुछेक जागरूक श्रद्धालुओं को छोड़कर आमतौर पर शारीरिक दूरी और मास्क की गाइडलाइन का भी पालन भी नहीं दिखा। हालांकि, सभी जगहों पर प्रशासनिक कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती नजर आई। इन सबके बीच खास यह कि जैसे-जैसे दिन निकलता जा रहा है, वैसे-वैसे कोहरा बढ़ रहा है। साथ ही बढ़ रही है स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या। इसमें बच्चे बूढ़े महिलाएं और पुरुष सभी शामिल हैं। सभी का एकमात्र उद्देश्य मकर संक्रांति के पुण्यकाल में पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य को अर्जित करना और गरीबों में दान पुण्य करना।
ऋषिकेश के त्रिवेंणीघाट परिसर के चारों तरफ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। कोरोना महामारी के दृष्टिगत चौपहिया वाहनों का त्रिवेणीघाट क्षेत्र में प्रवेश प्रतिबंध किया गया था। हालांकि घाट की सीढ़ियों आदि में लोगों के खड़े होने के गोले बनाए गए थे, लेकिन किसी ने शायद ही इन गोलों की तरफ देखा। स्नान के दौरान कोरोना नियम शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ी। पुलिस लोगों को मास्क के प्रति लाउडस्पीकर से सजग कर रही थी।
उत्तरांचल प्रेस क्लब ने किया खिचड़ी वितरण
उत्तरांचल पे्रस क्लब में मकर संक्रांति के हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर क्लब में खिचड़ी वितरण कार्यक्रम किया गया। इसमें क्लब सदस्यों ने बढ़चढ़कर भागीदारी की। इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष प्रदीप गुलेरिया व महामंत्री गिरिधर शर्मा ने सभी को मकर संक्रांति की बधाई दी।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष प्रदीप गुलेरिया ने कहा कि सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत ही महत्व है। पौष मास में जब सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, तभी इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन जप, तप, दान और स्नान का विशेष महत्व है।
इस अवसर पर क्लब महामंत्री गिरिधर शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेन्द्र सिंह नेगी, कनिष्ठ उपाध्यक्ष राजकिशोर तिवारी, कोषाध्यक्ष विकास गुसाईं, सम्पे्रक्षक लक्ष्मी बिष्ट, कार्यकारिणी सदस्य अजय राणा, चांद मोहम्मद, भगवती प्रसाद कुकरेती, अमित शर्मा के साथ ही क्लब सदस्य सेवा सिंह मठारू, इन्द्रदेव रतूड़ी, भूपत सिंह बिष्ट, नारायण परगाईं, नवीन कुमार, प्रिया गुलाटी, अंकुर अग्रवाल, निशांत चैधरी, विजय जोशी, कृष्ण कांत, भगत सिंह रावत सहित कई सदस्य मौजूद थे।
इस बार है खास महत्व
इस वर्ष मकर संक्रांति पर्व का महत्व इसके गुरुवार को होने के कारण और भी बढ़ गया है। क्योंकि सूर्य, बृहस्पति और अन्य पांच ग्रहों के साथ षडग्रही योग बना रहा है। यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री के अनुसार इससे पहले 1962 में अष्ट ग्रहों का योग बना था और आठ ग्रहों की युति एक साथ हुई थी। इसके अलावा हरिद्वार में इस वर्ष गुम होने के कारण भी मकर संक्रांति पर्व का महत्व ज्यादा है। हालांकि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और राज्य सरकार दोनों ने इसे कुंभ के स्नान का दर्जा नहीं दिया है।
मकर संक्रांति का महत्व
माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है। इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है।
इसलिए मनाई जाती है मकर संक्रांति
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया कि मकर संक्रांति के पर्व को लेकर कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं।इस विषय की जो सबसे प्रचलित मान्यता है, वह यह है कि हिंदू धर्म के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है, तो उसे संक्रांति कहा जाता है और इन राशियों की संख्या कुल मिलाकर बारह हैं। इनमें मेष, मकर, कर्क, तुला जैसी चार राशियां सबसे प्रमुख हैं और जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का यह विशेष पर्व मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में पुण्यदायी है यह दिन
इस दिन को हिंदू धर्म में काफी पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किया जाने वाला दान अन्य दिनों के अपेक्षा कई गुना अधिक फलदायी होता है। इसके साथ ही यदि मकर संक्रांति के इस पर्व को समान्य परिपेक्ष्य में देखा जाये तो इसे मानने का एक और भी कारण है। यह वह समय होता है, जब भारत में खरीफ (शीत श्रृतु) के फसलों की कटाई की जाती है। क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए यह फसलें किसानों के आय तथा जीवनयापन का एक प्रमुख जरिया है। इसीलिए अपने अच्छी फसलों के प्राप्ति के लिए, वह इस दिन का उपयोग ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए भी करते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।