कोरोना वॉरियर्स जोखिम में डाल रहे जान, कई महीनों से नहीं मिला वेतन: जुगरान

जिस कोरोना महामारी में अपने भी साथ छोड रहे हैं, तो ऐसे में कुछ ऐसे संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी हैं, जो लोगों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं हैं। कोरोना महामारी में अपनी जान की बाजी लगाने वाले ये फ्रंटलाइन वॉरियर्स पूरे प्रदेश में अलग अलग विभागों में संविदा पर कार्यरत हैं। इसके बावजूद यही लोग आज कई महीनों से वेतन ना मिलने से परेशान हैं। अपनी जान को जोखिम में डालकर इस महामारी में काम करने वाले वॉरियर्स को सरकार से कई महीनों से वेतन ना मिलने पर उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी नेता रवींद्र जुगरान ने सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो लगातार इस महामारी में अपने परिवार और अपने लोगों की जान की परवाह न करते हुए दिन रात काम कर रहे हैं, उनकी परवाह सरकार को बिलकुल नहीं है। ये सीधे तौर पर ऐसे लोगों के साथ सरकार द्वारा भद्दा मजाक किया जा रहा है।
आप नेता रवींद्र जुगरान ने कहा प्रदेश में कर्मचारियों की भारी कमी है। इसके चलते सरकार ने उपनल, एनएचएम और पीआरडी के माध्यम से कई कर्मचारियों को अलग अलग विभागों में संविदा पर रखा है। जो इस महामारी में लगातार दिन रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन कर्मचारियों को वेतन ना मिलने से अब इनके सामने महामारी में आर्थिक संकट पैदा हो गया है। वेतन ना मिलने वाले कर्मचारियों में नर्सिंग स्टॉफ,लैब टैक्निशियन, वार्ड ब्यॉय, ओटी टेक्नीशियन, वाहन चालक, समेत डाटा ऑपरेटर शामिल हैं। जो इस महामारी में लगातार वॉरियर्स की तरह अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
आप नेता रवींद्र जुगरान ने कहा कि राज्य सरकार इस महामारी को कंट्रोल करने में पूरी तरह नाकाम रही है। कहा कि इन कर्मचारियों का वेतन इतना ज्यादा भी नहीं कि सरकार इनको समय पर वेतन ना दे पाए। लगता है कि सरकार जबरन संविदाकर्मियों के साथ अन्याय करने में आमदा है। ताकि ये संविदा कर्मी खुद ही अपने पदों से इस्तीफा दे दें। इससे सरकार की नियत का पता चलता है।
रविंद्र जुगरान ने सरकार से मांग करते हुए कहा किजल्द से जल्द ऐसे कोरोना वॉरियर्स को सरकार उनका वेतन दें। ताकि इन कोरोना वॉरियर्रस का मनोबल न टूटे और इनको और इनके परिवार पर आर्थिक संकट न पैदा हो। इसके अलावा जुगरान ने मांग की हौ क् सूबे की 1900 आंगनबाडी कार्मिकों को 3 महीने का वेतन नही मिला उनको जल्द से जल्द वेतन जारी हो। इसी तरह पीआरडी के लगभग 1500 जवानों की ड्यूटी अस्पतालों, वैक्सीनेशन सेंटर और कोविड केयर सेंटरों में लगाई गई है। उन्हें भी वेतन नहीं मिल पा रहा है। रोडवेज के 6 हजार कर्मी भी 4 महीने से वेतन के लिए परेशान हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।