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February 10, 2025

मनीष सिसोदिया पर कांग्रेस का रुख अस्पष्ट, विपक्षी फूट का बीजेपी को लाभ, विपक्ष की फाइल तैयार, इनकी हुई दूध से धुलाई

केंद्र सरकार में बीजेपी की सरकार के खिलाफ भले की विपक्षी एकता बात उठती हो, लेकिन जैसी परिस्थितियां नजर आ रही हैं, उससे तो साफ है कि वर्ष 2024 में लोकसभा के चुनावों में बीजेपी को ही फायदा मिलने वाला है। क्योंकि एकता के नाम पर विपक्ष सिर्फ ट्विट या बयानबाजी को लेकर सीमित रहता है। यही नहीं, जब मौका आता है तो एक दूसरे का साथ देने की बजाय खुद को झमेले से किनारा कर लेता है। ऐसा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिहाज से देखें तो दोनों ही दल एक दूसरे का साथ देने की बजाय तमाशा देखकर मजा लूटते हैं। सच ये भी है कि फाइल विपक्ष के ढेरों नेताओं की तैयार है। हो सकता है अगला लोकसभा चुनाव जब लड़ा जाएगा तो विपक्ष को नेता ढूंढे नहीं मिलेंगे। क्योंकि कई ईडी और सीबीआई की कार्रवाई में जेल में हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मनीष की गिरफ्तारी पर कश्मकश में कांग्रेस
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस पार्टी अजीब कश्मकश में दिख रही है। कांग्रेस के नेताओं को ये समझ नहीं आ रहा है कि वो आम आदमी पार्टी के डिप्टी सीएम की गिरफ्तारी का विरोध करे कि नहीं। ज्यादातर कांग्रेस के नेता तो कुछ भी बोलने से कतरा भी रहे हैं। दरअसल दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने सोमवार को मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि सतेंद्र जैन और मनीष सिसोदिया का केजरावील को बचाव नहीं करना चाहिए। दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने सोमवार देर शाम को ट्विट कर गिरफ्तारी को गलत बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जयराम नरेश ने किया ट्विट
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने किसी व्यक्ति या मामले का उल्लेख किए बगैर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस का मानना रहा है कि मोदी सरकार में ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी संस्थाएं राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न का हथियार बन चुकी हैं। उन्होंने दावा किया कि ये संस्थाएं अपना पेशेवर होने का चरित्र खो चुकी हैं। विपक्षी नेताओं को चुनिंदा ढंग से निशाना बनाया जा रहा है ताकि उनकी प्रतिष्ठा खत्म की जाए। कांग्रेस ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब कथित शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को अदालत ने पांच दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सिसोदिया की गिरफ्तारी का कांग्रेस ने किया था स्वागत
उल्लेखनीय है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने सिसोदिया की गिरफ्तारी का स्वागत किया था। रविवार दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने आबकारी नीति घोटाला मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को स्वागत योग्य कदम करार देते हुए दावा किया था कि आप ने संपत्ति बटोरने के लिए सत्ता का इस्तेमाल किया। चौधरी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ‘भ्रष्ट सौदे’ के मुख्य साजिशकर्ता हैं और उन्हें (केजरीवाल को) भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कई मौकों पर दोनों दलों ने दिया बीजेपी को मौन समर्थन
एक तरफ ईडी और सीबीआइ जांच के नाम पर छापेमारी का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों की विरोध करती है, लेकिन जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ हुई तो आम आदमी पार्टी के नेताओं ने मौन साधे रखा। वहीं, सत्येंद्र जैन और अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर कांग्रेस मजे ले रही है। बीजेपी को सत्ता से हटाने की बात कहने वाले ये दल जब मौका पड़ता है तो विपक्ष भी बिखरा रहता है। इसका फायदा बीजेपी को मिलना स्वाभाविक है। दिल्ली एमसीडी में मेयर का चुनाव हो, या फिर डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव। कांग्रेस ने वोटिंग से खुद को अलग कर सीधे तौर पर बीजेपी को समर्थन देने का प्रयास किया। इन दोनों दलों को ये नहीं भूलना चाहिए कि वर्ष 24 के चुनाव से पहले तक दोनों ही दलों के कई नेता सीबीआइ और ईडी की कार्रवाई का शिकार हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन दलों के नेता फंसे जांच एजेंसियों के फेर में
मोदी सरकार के दौरान कांग्रेस समेत दूसरे कई विपक्षी दलों के नेता, जांच एजेंसियों के निशाने पर आ चुके हैं। इनमें विपक्षी नेताओं की संख्या सर्वाधिक है। गत वर्ष कांग्रेस नेता एवं मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि केंद्र सरकार अपनी जांच एजेंसियों की मदद से विपक्ष को एकत्रित नहीं होने दे रही। जैसे ही विपक्षी दल, सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं, उन्हें टारगेट पर ले लिया जाता है। स्वयं खड़गे को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। कांग्रेस के बड़े नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल भी ईडी की पेशी भुगत चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी, ईडी के शिकंजे में फंस चुके हैं। शिवसेना के संजय राउत ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। टीएमसी सांसद अभिषेक भी ईडी के रडार पर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी द्वारा पूछताछ की गई है। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन, ईडी मामले में हिरासत में हैं। अब दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। वे चार मार्च तक रिमांड पर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐजेंसियों की जांच में बढ़ती जा रही है विपक्षी नेताओ की संख्या
दो दशकों में केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर आए विपक्षी नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सोनिया गांधी से लेकर मनीष सिसोदिया तक, अनेक बड़े नेता जांच एजेंसी के फेर में आ चुके हैं। यूपीए के शासनकाल (2004-2014) में सीबीआई ने जिन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया, उनमें विपक्ष के नेताओं की संख्या लगभग 60 फीसदी थी। उस उस दौरान 72 नेताओं को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा। इस हिसाब से जांच के दायरे में आए 43 नेता, विपक्षी दलों के थे। एनडीए सरकार में यह संख्या बढ़कर 95 फीसदी तक पहुंच गई है। 2014 से लेकर गत वर्ष तक लगभग 125 बड़े नेता सीबीआई जांच के फेर में आए हैं। खास बात है कि इनमें से लगभग 120 नेता विपक्षी दलों के हैं। ईडी का रिकॉर्ड भी कुछ ऐसा ही है। पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय एजेंसी ‘ईडी’ के 112 छापे पड़े थे। कांग्रेस के मुताबिक, एनडीए सरकार यानी पीएम मोदी की सरकार में ईडी की 3010 से अधिक छापेमारी हुई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूपीए में लगभग 43 विपक्षी नेताओं से की पूछताछ
यूपीए सरकार में सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे कई बड़े मामलों की जांच की थी। मनमोहन सिंह सरकार के दौरान सीबीआई ने लगभग 43 विपक्षी नेताओं से पूछताछ की थी। इनमें भाजपा के 12 नेता भी शामिल थे। मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भी उस वक्त सीबीआई जांच के दायरे में आ गए थे। वे उस समय गुजरात सरकार में मंत्री थे। जांच एजेंसी ने उन्हें सोहराबुद्दीन शेख की कथित मुठभेड़ में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। सीबीआई जांच के दायरे में आए एनडीए के दूसरे बड़े नेताओं में जनार्दन रेड्डी, बीएस येदियुरप्पा और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस भी थे। एमके स्टालिन और मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी सीबीआई जांच हुई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ईडी को बताया ‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’
जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र में शरद पवार के भतीजे अजित पवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। पूर्व मंत्री नवाब मलिक, ईडी मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। अवैध रेत खनन मामले में पंजाब के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी से ईडी पूछताछ कर चुकी है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, विपक्ष के जो नेता मुंह बंद कर लेते हैं या भाजपा ज्वाइन कर लेते हैं, वे ईडी की कार्रवाई से बच जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने इस एजेंसी को भाजपा का ‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ बताया था। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, भाजपा में शामिल हो गए। उनके केसों में जांच एजेंसी शांत है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, नारायण राणे, रमन सिंह, मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी नेता, जिनके पीछे जांच एजेंसी पड़ी रहती थी, आज वे सब बाहर क्यों हैं। जांच एजेंसी उनसे पूछताछ क्यों नहीं कर रही। ईडी ने गत सप्ताह छत्तीसगढ़ में पीसीसी कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव, गिरीश देवांगन, आरपी सिंह, विनोद तिवारी और सन्नी अग्रवाल के निवास एवं कार्यलयों पर रेड की है। कांग्रेस पार्टी के मुताबिक, मोदी सरकार में ईडी ने जिन राजनेताओं के यहां पर रेड की है या उनसे पूछताछ की है, उनमें 95 फीसदी विपक्ष के नेता हैं। इसमें सबसे ज्यादा रेड कांग्रेस पार्टी के नेताओं के घरों और दफ्तरों पर की गई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कई मुख्यमंत्री भी आए जांच एजेंसी के रडार पर
बिहार में नीतीश सरकार में जमीन घोटाले को लेकर आरजेडी नेताओं के घरों पर सीबीआई की छापेमारी हुई थी। इनमें एमएलसी सुनील सिंह, सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय शामिल थे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के रडार पर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में ईडी ने सीएम भूपेश बघेल के करीबियों पर छापा मारा है। उनकी ओएसडी सौम्या चौरसिया को गत दिसंबर में ईडी ने गिरफ़्तार कर लिया था। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को पहले ही सीबीआई के मामले में सजा हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को गत वर्ष गिरफ्तार कर लिया गया था। यूपी के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव का नाम कथित माइनिंग घोटाले से जुड़ा था। सीबीआई केस में उनका नाम लिखा गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ भी पेंटिंग और चिट फंड मामले को लेकर सीबीआई जांच चल रही है। कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी के शिवकुमार भी ईडी के निशाने पर आ चुके हैं। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के भाई भी केंद्रीय जांच एजेंसी के रडार पर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

क्या है भाजपाई ‘वाशिंग मशीन’ का राज
कांग्रेस के मुताबिक, 2014 से लेकर अब तक ईडी ने कांग्रेस पार्टी से जुड़े 24 नेताओं के यहां रेड डाली हैं। टीएमसी के 19, एनसीपी 11, शिवसेना के 8, डीएमके छह, बीजद छह, राजद पांच, बीएसपी पांच, सपा पांच, टीडीपी पांच, इनेलो तीन, वाईएसआरसीपी तीन, सीपीएम दो, एनसी दो, पीडीपी दो, एआईएडीएमके एक, एमएनएस एक और एसबीएसपी एक से जुड़े नेताओं पर जांच एजेंसी ने हाथ डाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि घोटाले करने वाले जो नेता भाजपा में चले गए, वे भाजपाई वाशिंग मशीन यानी ‘ईडी’ में धुलकर साफ हो गए। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट बताती है कि गत आठ वर्ष में लगभग 225 चुनावी उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। पिछले चार-पांच साल में जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी है, उनमें से 45 फीसदी नेताओं ने भाजपा ज्वाइन की है। ऐसे नेताओं में हार्दिक पटेल, कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह, गुलाम नबी आजाद, जयवीर शेरगिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुनील जाखड़, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, कीर्ति आजाद, अदिति सिंह, कैप्टन अमरिंदर सिंह, उर्मिला मातोंडकर, हिमंत बिस्व सरमा, हरक सिंह रावत, जयंती नटराजन, एन बिरेन सिंह और अजित जोगी आदि शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी में शामिल होने से दूध के धुले हो गए ये नेता
ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं है, जिनकी पहले ईडी या सीबीआइ से जांच चल रही थी। ऐसे नेताओं ने खुद को जांच से बचाने के लिए सबसे सरल उपाय से अपनाया कि वे खुद बीजेपी में शामिल हो जाएं। ऐसे नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद उन पर लगे आरोपों की फाइल गायब हो गई। आइए हम बताते हैं ऐसे नेताओं में कौन कौन हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हेमंत बिस्वा सरमा
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा 2016 चुनाव से ठीक पहले अगस्त 2015 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। इससे ठीक एक महीने पहले ही भाजपा ने एक बुकलेट जारी कर हेमंत बिस्वा शर्मा पर घोटाले के आरोप लगाए थे। इसमें प्रमुख वाटर सप्लाई स्कैम था इसके प्रभारी मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ही थी। जांच सामने आया था अमेरिकी कंपनी ने कुछ अफसरों और नेताओं को घूस देकर ये ठेका हासिल किया है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में सारदा चिटफंड घोटाले के मामले में भी नवंबर 2014 में हेमंत बिस्वा सरमा से सीबीआई ने पूछताछ की थी। भाजपा में शामिल होने के बाद उनसे फिर कभी पूछताछ नहीं हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नारायण राणे
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम नारायण राणे जब कांग्रेस में थे तो भाजपा उन पर खूब हमलावर थी। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चला और केंद्रीय एजेंसियों की ओर से लगातार छापे भी मारे गए। बाद में उन्होंने महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष पार्टी गठित की। एनडीए का हिस्सा भी रहे। बाद में भाजपा में शामिल हो गए ओर पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बना दिया। मनी लॉड्रिंग के अलावा उन पर कई अन्य आरोप भी लगे थे, जिनकी जांच सीबीआई कर रही थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुभेंदु अधिकारी
ममता सरकार में मंत्री रहे भाजपा नेता सुभेंदु अधिकारी का नाम नारदा स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया था। उस समय सुभेंदु टीएमसी से सांसद थे। मामले में ममता सरकार के 4 मंत्री, सांसद और टीएमसी का एक विधायक रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे। मामले में टीएमसी के कुछ नेताओं की गिरफ्तारी भी हुई थी। जांच सीबीआई कर रही थी। इसी बीच सुभेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल हो गए थे और नंदीग्राम से ममता बनर्जी को हराकर जीत हासिल की थीय़ इस मामले में मुकुल रॉय भी आरोपी थे। उन्होंने भी भाजपा ज्वाइन की थी। हालांकि अब वे एक बार फिर टीएमसी में वापस पहुंच गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बुक्कल नवाब
यूपी भाजपा के नेता और एमएलसी बुक्कल नवाब का नाम भी इस सूची में शामिल है। 2012 की सपा सरकार में बुक्कल नवाब की तूती बोलती थी, लेकिन सरकार जाते ही इस्तीफा देकर वह भाजपा में शामिल हो गए। खास बात ये है कि जब वे सपा में थे, तब तक लखनऊ रिवर फ्रंट मामले में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे, लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दे दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन पर आरोपों के बावजूद जांच में नरमी
बी.एस. येदियुरप्पा: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा येदियुरप्पा भूमि और खनन घोटाले के आरोपी हैं। उनके यहां से बरामद डायरियों में शीर्ष भाजपा नेताओं और जजों और वकीलों को भारी रकम के भुगतान का ज़िक्र होने के बाद भी आज उनका बड़ा कद है, और वे अधिकतर आरोपों से बरी किए जा चुके हैं। येदियुरप्पा के खिलाफ वर्षों से जांच कर रही यही सीबीआई मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटा सकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बेल्लारी के रेड्डी बंधु: कर्नाटक के 2018 के चुनावों से पहले सीबीआई ने 16,500 करोड़ रुपये के खनन घोटाले में, किसी तार्किक अंत तक पहुंचे बिना, बेल्लारी बंधुओं के खिलाफ जांच को शीघ्रता से समेट लिया। भारत की संपदा की इस कदर खुली लूट के इस मामले में मोदी सरकार ने रेड्डी बंधुओं को यों ही जाने दिया, क्योंकि भाजपा को उनकी जीत की ज़रूरत थी। उनके मामले को उजागर करने वाले वन सेवा के अधिकारी को मोदी सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शिवराज सिंह चौहान: सीबीआई ने 2017 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री को व्यापम घोटाले में क्लीन चिट दे दी थी। क्या कांग्रेस पार्टी में होने पर शिवराज सिंह इस तरह छूट सकते थे? इस व्यापक परीक्षा घोटाले को उजागर करने वाले कई लोगों और कई गवाहों, मीडिया के अनुमानों के अनुसार 40 से अधिक, की रहस्मय परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’: उत्तराखंड के पूर्व सीएम एवं सांसद रमेश पोखरियाल मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह दो बड़े घोटालों के केंद्र में थे। एक भूमि से संबंधित और दूसरा पनबिजली परियोजनाओं से जुड़ा मामला है। भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों के कारण उनके शासन की छवि इतनी बुरी थी कि भाजपा को उन्हें 2011 में पद छोड़ने के लिए बाध्य करना पड़ा था। ज़ाहिर है, अब न तो सीबीआई को और न ही उत्तराखंड सरकार को पोखरियाल पर भ्रष्टाचार के आरोपों की तह में जाने की जल्दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नारायण राणे: भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को भी पार्टी में शामिल कर उन्हें राज्यसभा का सांसद बना दिया था। सीबीआई और ईडी को अब राणे के खिलाफ जांच करने या उनकी संपत्तियों पर छापे मारने की कोई जल्दबाज़ी नहीं है। राणे पर धनशोधन और भूमि घोटालों के आरोप हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में उनकी छवि ‘विवादों के शीर्षस्थ परिवार’ की है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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