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August 3, 2025

राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के धीमी गति से चल रहे चिह्निकरण पर कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने जताई नाराजगी

उत्तराखंड में चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के चिह्निकरण में राज्य की भाजपा सरकार की ओर से की जा रही देरी पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि अगले महीने नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य अपनी स्थापना का 22 वां वर्ष मनाने जा रहा है। खेद का विषय है कि कांग्रेस की ओर से सन 2005 में शुरू की गई चिह्निकरण की प्रक्रिया को पिछले छह-सात साल के भाजपा के कार्यकाल में ऐसा धक्का लगाया गया है की हजारों आंदोलनकारी आज भी चिह्निकरण से वंचित हैं। उनमें से अनेक चिह्निकरण का इंतजार करते-करते इहलोक से परलोक जा चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने बताया कुछ दिन पहले देहरादून में 31 आंदोलनकारी चयनित किए गए, जबकि ढाई सौ से 300 लोग आज भी प्रतीक्षा सूची में है। दिल्ली के 300 से ज्यादा लोग इसी प्रकार से वेटिंग लिस्ट में हैं, जिनकी सूची गृह विभाग के अनुभाग चार में धूल खाने पर लगी है। उत्तरकाशी जनपद में जिलाधिकारी उत्तरकाशी ने भटवाड़ी में नौ और डुंडा में सात, बड़कोट में सात लोगों की अनुशंसा की थी। इन सब आंदोलनकारियों की सूची भी देहरादून सचिवालय में रद्दी में पड़ी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसी तरह नैनीताल जनपद के लोग जरूर कुछ भाग्यशाली रहे। जहां करीब 87 लोग चिह्निकरण के दायरे में आ गए, लेकिन अभी भी कुछ लोग वहां पर बचें हैं, जिन्हें आंदोलन के दौरान गोली लगी। वहीं, भाजपा सरकार ने उन्हें आंदोलनकारी बनाना मुनासिब नहीं समझा। इसी तरह हरिद्वार की 170 लोगों की लिस्ट पिछले कई सालों से पेंडिंग है।जिलाधिकारी उसे लागू करने को तैयार नहीं है। पौड़ी में कुछ लोगों के नाम पर आपत्ति पाए जाने पर चयन प्रक्रिया पूरी तरह से रोक दी गई। आज कई लोग जो चिह्निकरण के योग्य भी थे, संदेह के दायरे में आने के बाद उनका चिह्निकरण रोक दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धीरेंद्र प्रताप में पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत और चमोली जनपद में भी अनेक वंचित आंदोलनकारियों को चिह्नित ना करने पर चिंता व्यक्त की। साथ ही सरकार से कहा है कि वह चिह्निकरण की धारा च को बहाल करें। जो उन्होंने राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के प्रथम अध्यक्ष के रूप में लागू की थी। इसके तहत अखबारों की कतरनों को आंदोलनकारियों की धरोहर बताते हुए उनके चिह्निकरण का आधार बताया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

धीरेंद्र प्रताप ने इस बीच उनके ड्रीम प्रोजेक्ट तुम कार्यों को 10 फीसद क्षैतीज आरक्षण को लागू किए जाने में भी भाजपा सरकार की हिलाहवाली की कड़ी निंदा की। कहा कि विधानसभा का एक दिवसीय आपातकालीन सत्र बुलाकर इस बिल फिर से पास कराए। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें अध्यादेश के माध्यम से भी इसे लागू किए जाने पर स्वीकृति दी गई थी। आंदोलनकारियों को पेंशन कम से कम ₹15000 प्रतिमाह दिए जाने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि आज राज्य जिनकी बदौलत बना है, उनको किनारे किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने उत्तराखंड में लोगों के ज्यादा प्रतिनिधित्व के लिए एक पृथक विधान परिषद का सदन बनाए जाने की भी मांग की और मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दिलाए जाने के लिए स्मार्ट कोर्ट के गठन की मांग की। उन्होंने कहा आज केंद्र, देहरादून और उत्तर प्रदेश में ट्रिपल इंजन की सरकार है। यदि आज भी मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा नहीं मिलती तो उसकी सारी जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी उसकी सरकार और उसके नेताओं पर होगी। इसका हिसाब उन्हें अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में देना होगा।

Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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