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February 4, 2025

कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना की कोविड 19 शहीद श्रद्धांजलि यात्रा, मृतक का किया अंतिम संस्कार, हुए संक्रमित, नहीं बची जान

कोविड की दूसरी लहर में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों से मिल कर उन्हें सांत्वना देने के उद्देश्य से कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना की कोविड 19 शहीद श्रद्धांजलि यात्रा जारी है।

कोविड की दूसरी लहर में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों से मिल कर उन्हें सांत्वना देने के उद्देश्य से कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना की कोविड 19 शहीद श्रद्धांजलि यात्रा जारी है। देहरादून में वह मृतकों के परिजनों से मिल रहे हैं, उनकी परेशानियां सुन रहे हैं। साथ ही मृतकों को श्रद्धाजंलि दे रहे हैं। देवभूमि मानव सांसाधन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की ओर से शुरू की गई यात्रा अब कांवली क्षेत्र में प्रवेश कर गई। बारिश के बावजूद उन्होंने चार परिवारों के घर में जा कर कोरोना संक्रमण से मृत लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। परिवारों को सांत्वना दी व उनकी बात सुनी।
कांवली में यात्रा के तहत सबसे पहले धस्माना शास्त्रीनगर के लोकप्रिय समाज सेवक रहे देहरा ग्राम्य विकास समिति के संस्थापक व कोषाध्यक्ष रहे स्वर्गीय पूर्णानंद सेमवाल के निवास पहुंचे और स्वर्गीय सेमवाल की धर्मपत्नी व उनके दोनों पुत्रों से मिले व उनको सांत्वना दी। उनकी पत्नी ने बताया कि वे अच्छे खासे थे। दूसरों की मदद के जुनून ने ही उनको भी संक्रमित कर दिया। वे बताने लगी कि शास्त्रीनगर में ही 25 अप्रैल को किसी का कोरोना से निधन हो गया। उसके शव को दाह संस्कार करने की व्यवस्था के लिए कोई नहीं था तो इस बारे में पता लगते ही सेमवाल जी उसके घर पहुंच गए। उसकी अर्थी बंधने से लेकर दाह तक कि सारी व्यवस्था खुद कर आये। वहीं से संक्रमित भी हो गए।
बेटे रंजीत ने बताया कि उनको दो तीन दिन में जब बुखार नहीं उतरा तो महंत इंद्रेश अस्पताल ले गए और तक वहां इलाज करवाया। वे ठीक नहीं हो पाए और 20 मई को वे चल बसे। दूसरे बेटे नरेश सेमवाल ने कहा कि हमने बचपन से ही पिताजी को हमेशा समाज सेवा करते देखा। शास्त्रीनगर कांवली में जब 1998- 99 में न सड़क थी, ना बिजली पानी की व्यवस्था थी। तब पहली बार पिताजी आपको लेकर आये थे और आपने उनके साथ घुटनों घुटनों कीचड़ में चल कर क्षेत्र का दौरा किया था। इस क्षेत्र में सड़कें बिजली पानी और आज ये जो बड़ा सा सामुदायिक केंद्र बना है तब उसकी शुरुआत हुई थी। जो आज इतना बड़ा बन गया है।
श्रीमती सेमवाल ने कहा कि पूरे क्षेत्र में किसी की भी मृत्यु होती तो अर्थी से लेकर संस्कार की सारी व्यवस्था सेमवाल जी करते। अपने बेटों को भी हमेशा कहते कि ये जरूर सीखो, क्योंकि असली सत्य यही है और शव का दाह संस्कार करने की तैयारी में ही उन्होंने अपनी जीवन लीला ही दाव पर लगा दी।
धस्माना ने बताया कि वे पूर्णानंद सेमवाल को पिछले 25 वर्षों से केवल जानते थे। वे सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में हमेशा उनके साथ रहे। उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि वे शास्त्रीनगर के लोगों के लिए एक निशानी सामुदायिक केंद्र अपने पीछे छोड़ गए। इसके दूसरे तल का निर्माण हंस फाउंडेशन के सहयोग से करवा कर उन्होंने 2016 में उद्वघाटन किया था।

फोटोः वर्ष 2016 में शास्त्रीनगर कांवली में सामुदायिक भवन का उद्वघाटन करते प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के साथ स्वर्गीय पूर्णानंद सेमवाल (टोपी पहने हुए) व देहरा ग्राम्य विकास समिति के अन्य सदस्यगण।
धस्माना ने बताया कि स्वर्गीय सेमवाल के घरवालों ने उनकी बात तीसरे बेटे संजय सेमवाल से फोन के जरिये कराई। वह आइटीबीपी में है व वर्तमान में जम्मू कश्मीर में तैनात हैं। संजय ने उन्हें इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि वे उनके घर गए और परिवार की सांत्वना के साथ साथ भविष्य में किसी भी काम के लिए मदद का आश्वासन दिया।
इसके पश्चात कोरोना काल में ही संक्रमण से ग्रसित हो कर मृत स्वर्गीय तुलसी राम की विधवा नगिनी, स्वर्गीय प्रभु पंडित की धर्मपत्नी रजनी देवी व स्वर्गीय सुमन देवी के पति सन्त राम से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी।
धस्माना ने कहा कि उनकी इस श्राद्धाजंलि यात्रा का सिलसिला तब तक चलता रहेगा जब तक वे अंतिम मृत व्यक्ति के घर पहुंच कर उनको श्रद्धासुमन अर्पित नहीं कर देते।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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