अपने नेता की संलिप्ता पर सार्वजनिक माफी मांगे कांग्रेस : मनवीर सिंह चौहान
उत्तराखंड भाजपा ने हल्द्वानी घटना में कांग्रेसी नेता की संलिप्ता को लेकर निशाना साधा। कहा कि इससे स्पष्ट हुआ है कि दंगे के दोषियों की उनके बड़े नेता आलोचना क्यों नही कर रहे थे। कांग्रेस नेताओं को सार्वजनिक माफी मांगते हुए अपनी पार्टी में झांकना चाहिए कि वोट बैंक की चाह में कितने देवभूमि विरोधियों का जमावड़ा वहां लग गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हल्द्वानी की दुखद घटना को अंजाम देने वालों में हल्द्वानी विधानसभा के युवा कांग्रेस अध्यक्ष का नाम मुख्य आरोपियों में आना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंताजनक है। कांग्रेस के बड़े नेताओं को सामने आकर अपने युवा नेता की करतूत पर माफी मांगनी चाहिए। साथ ही आपसी विचार विमर्श कर अपनी पार्टी की अंदरूनी गतिविधियों को भी जांचना चाहिए कि किस तरह देवभूमि और समाज विरोधी लोगों का जमावड़ा उनकी पार्टी में लगा हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस ये सफाई दे कि उन्होंने आरोपी नेता को पहले ही पार्टी से निकाला हुआ है, यह किसी को हजम नही होने वाला है। यदि निकाला भी था तो सार्वजनिक क्यों नही किया। उन्होंने तंज किया कि कांग्रेस पार्टी को भी लगता है कि अपनी सरकारों की तरह बैक डेट में और चोरी छिपे धार्मिक छुट्टियां और शिक्षण संस्थान घोषित करने की आदत लगी हुई है। शायद इसी लिए पार्टी से निकालने की तथाकथित जानकारी छिपा ली होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि भाजपा शुरुआत से लगातार शांति व्यवस्था बनाए रखते हुए दोषियों पर कार्यवाही की बात कर रही है। इसको लेकर सरकार ने वहाँ त्वरित गति से अमन कायम करवाया और कुछ दोषियों को गिरफ्तार किया है। बाकी शेष आरोपियों में कांग्रेस नेता भी शामिल हैं, उसे भी कानून के दायरे मे लाया जायेगा। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाने और हाईकोर्ट जज से जांच करवाने की मांग तो करता रहा, लेकिन एक शब्द भी देवभूमि की शांति भंग करने और प्रशासन, पुलिस और मीडिया टीम पर जानलेवा हमले करने वालों के खिलाफ नही बोला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि अब जांच के बाद, कांग्रेसी नेता का नाम साजिश करने वालों में खुलकर सामने आया है, तो उससे एक ही बात स्पष्ट होती है कि शायद वे यह बात पहले से जानते थे। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि वोट बैंक को दरकिनार कर देवभूमि के हित में अब तो कांग्रेस नेताओं को दोषियों की खुलकर आलोचना करनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हल्द्वानी की घटना
गौरतलब है कि आठ फरवरी की शाम को बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण करार दिए गए मदरसे और नमाजस्थल को तोड़ने की कार्रवाई के दौरान पुलिस, प्रशासन की टीम पर पथराव हो गया था। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी। आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। फायरिंग करनी पड़ी। पथराव के दौरान छह लोगों की मौत की खबर है। वहीं, 60 पुलिस कर्मियों के साथ ही तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। भीड़ ने कई वाहनों को जला डाला। साथ ही थाने में भी आग लगा दी। हल्द्वानी में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही दंगाइयों को देखते गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही से ये घटना हुई। ना तो स्थानीय लोगों को विश्वास लिया। साथ ही धार्मिक नेताओं और क्षेत्रीय शांति कमेटी का भी सहयोग भी नहीं लिया गया। ऐसे में माहौल खराब हो गया। पथराव की घटना की हर एक ने निंदा की, लेकिन प्रशासन की लापरवाही को भी माना। लोगों का कहना था कि जब मामला कोर्ट में पहुंच गया था, तो कुछ इंतजार किया जाना साथ ही लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मस्जिद में बुलडोजर चलाने को राजनीतिक लाभ लेने की दृष्टि से भी देख रहे हैं।
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