दिल्ली में किसान रैली पर लाठीचार्ज के विरोध में कांग्रेस ने किया प्रदर्शन, केंद्र का पुतला फूंका, आरएसएस पर लगाए आरोप

दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस की ओर से लाठीचार्ज के विरोध में और तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार का पुतला जलाया गया। साथ ही भाजपा सरकार और आरएसएस पर जमकर प्रहार किए।
देहरादून में महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लाल चंद शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में कार्यकर्ता एकत्र हुए। यहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। इस दौरान भाजपा सरकार है बेईमान, लड़वा दिये किसान और जवान, के नारे भी लगाए गए। इसके बाद जुलूस की शक्ल में एस्लेहाल पहुंचकर उन्होंने केंद्र सरकार का पुतला जलाया।
इस दौरान लालचंद शर्मा ने कहा कि किसानों के हक की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है। सरकार के मनमानी को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। किसानों पर लाठी-डंडे का प्रयोग कर आवाज दबाना बहुत ही शर्मनाक हरकत है। अगर सरकार ने तीनों अध्यादेश वापस नहीं लिए तो कांग्रेस पार्टी का सड़क से लेकर विधानसभा और संसद तक इन अध्यादेशों का विरोध जारी रहेगा। उन्होनें कहा पूरी दुनिया का पेट भर कर खुद भूखा सोने वाले किसानों पर हुए लाठीचार्ज की हम कड़ी निंदा करता है।
उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रवाद का ढोंग वे लोग कर रहे हैं, जिन्होनें कभी तिरंगे को अपनाया ही नहीं था। अगस्त 2013 को नागपुर की एक निचली अदालत ने वर्ष 2001 के एक मामले में दोषी तीन आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया था। इन तीनों पर यह आरोप था कि बाबा मेंढे, रमेश कलम्बे और दिलीप चटवानी का जुर्म तथाकथित रूप से सिर्फ इतना था कि वे 26 जनवरी 2001 को नागपुर के रेशमीबाग स्थित आरएसएस मुख्यालय में घुसकर गणतंत्र दिवस पर तिरंगा झंडा फहराने के प्रयास में शामिल थे।
राष्ट्रप्रेमी युवा दल के यह तीनों सदस्य दरअसल इस बात से क्षुब्ध थे कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर भी आरएसएस के दफ्तरों में कभी तिरंगा नहीं फहराया जाता। उन्होनें आरएसएस पर सवालिया निशान साधते हुए कहा कि जिस भवन पर यह युवक तिरंगा फहराया वो आरएसएस का राष्ट्रीय मुख्यालय था। फिर क्या वजह थी कि संघ इस कोशिश पर इतना तिलमिला गया कि तीनों युवकों पर मुकदमा दर्ज हो गया और 12 साल तक वो लड़के संघ के निशाने पर बने रहे।
उन्होनें कहा और महत्वपूर्ण बात ये कि जब ट्रैक्टर परेड का मार्ग निर्धारित किया जा चुका था तो निर्धारित रास्ते पर पुलिस द्वारा बेरीकेटस लगाने और आंसू गैस के गोले बरसाकर किसानों को पहले रास्ते से भटकाने और फिर लाठीचार्ज का भला क्या औचित्य था। पुलिस प्रशासन और किसान संगठनों के बीच आपसी बातचीत होने के बाद तो किसानों की रक्षा करने का दायित्व भी पुलिस का बनता था। पुलिस ने केन्द्र सरकार के इशारे पर अपने कर्तव्य के ठीक विपरीत प्रतिक्रिया दी। किसानों को जानबूझकर उकसाया तो सोचने वाली बात ये है कि पुलिस को ये सब करने का आदेश किसने दिया, क्योंकि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है।
उन्होनें कहा जिस दिन राजस्थान में न्यायालय पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया गया था, उसी दिन अगर तत्कालीन भाजपा सरकार ने कड़ी कार्यवाही की होती तो शायद फिर किसी सरकारी इमारत पर कोई और झंडा फहराने की हिमाकत नहीं करता।
पुतला दहन में पार्षद रमेश कुमार मंगू, पार्षद अनूप कपूर, नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष नीनू सहगल, अर्जुन सोनकर, सोम प्रकाश बाल्मीकि, अरूण शर्मा, सिद्धार्थ वर्मा, गुलशेर मौहम्मद, कैंट प्रभारी जगदीश धीमान, फारूक राव, डा. रवलीन कौर, महानगर प्रवक्ता डॉ प्रतिमा सिंह, देविका रानी, मीना रावत, सरिता रानी, अमृता कौशल, रजनी राठौर, जया भारद्वाज, अनुराधा तिवारी, संतोष सैनी, राजेश चमोली, सुलेमान, राहुल पंवार रौबिन, धीरेन्द्र सावन, आदर्श सूद, दिनेश गुप्ता, महानगर उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश जोशी, अजय बेलवाल, सूरज सिंह, मनीष यादव, संजय बिंदल, गुरविन्दर सिंह, दीपक धीमान, अनिल धीमान, संदीप, अरविन्द कश्यप, अमित जैन, राजेन्द्र सिंह, रामअवतार सिंह, एम0के0 दिवाकर, सुरेन्द्र सिंह रावत, शूरवीर सिंह पंवार, विक्रम नेगी, प्रदेश महासचिव युवा कांग्रेस संदीप चमोली, प्रदेश प्रवक्ता नवनीत कुकरेती, जिला महासचिव युवा कांग्रेस पुनित कुमार सिंह, कमल कुमार, रोहित सिंह, आशीष रतूड़ी, विजय गुप्ता, मुकेश रेग्मी, फरदीन, राजू मौर्य, राजेन्द्र धवन, गौतम सोनकर, अर्जुन नेगी, मनीष वर्मा, विपुल नौटियाल, अक्षय शर्मा, संजय शर्मा, तरूण भारद्वाज, आदी कांग्रेसजन मौजूद थे।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।