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August 25, 2025

17 साल पुराने मुकदमे में कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना दोषमुक्त, तब थे एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष, जानिए क्या है मामला

करीब 17 साल पुराने मुकदमें में उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष को देहरादून की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निहारिका मित्तल गुप्ता की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।

करीब 17 साल पुराने मुकदमें में उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष को देहरादून की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निहारिका मित्तल गुप्ता की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। घटना नौ जून 2004 की है। उन पर भीड़ के साथ दिलाराम बाजार के पास सड़क जाम करने और बलवे का आरोप था। पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए उन्हें अदालत ने दोषमुक्त किया। पूरा मामला राजनीतिक प्रदर्शन से जुड़ा है। धस्माना के साथ इस मामले में सपना, विमला थापा, मनोरमा गुरुंग, राजेंद्र गुरुंग और नरेंद्र क्षेत्री को कैंट पुलिस ने आरोपी बनाया था। इनके खिलाफ बलवा और राजमार्ग जाम करने का मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस का कहना था कि यह सभी लोग अन्य 150 लोगों के साथ दिलाराम चौक से हाथीबड़कला की ओर जाते हुए सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। इस दौरान उन्हें वहां रोका गया तो उन्होंने राजमार्ग जाम कर दिया। अभियोजन यह साबित करने में असफल हुआ कि धस्माना उस तिथि में मौके पर मौजूद थे या नहीं। इसी संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने उन्हें ससम्मान दोषमुक्त कर दिया।
उस समय धस्माना एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष थे। वह दिलाराम की तरफ से जा रहे थे, तो देखा कि कुछ लोग एक मृत युवक के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। पता चला कि युवक की हत्या हो गई है। हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धस्माना भी लोगों के आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी से फोन से बात की। इस मौके पर एनडी तिवारी ने मृतक के परिजनों को मुआवजे का आश्वासन भी दिया था। प्रदर्शन के दौरान धस्माना की तत्कालीन एसएसपी संजय गुंज्याल के झड़प हो गई। नतीजन उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया था।
इस मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी की गई। मुकदमे विचारण के दौरान विमला थापा की मौत हो गई। इसके कारण उनके खिलाफ कोर्ट की कार्यवाही बंद कर दी गई। सूर्यकांत धस्माना के अलावा बाकी अन्य आरोपियों ने अपना जुर्म इकबाल कर लिया। इसके चलते उनके खिलाफ चल रहे मामले का वर्ष 2009 में निपटारा किया गया।
अब केवल सूर्यकांत धस्माना के संबंध में ही ट्रायल चल रहा था। इस बीच कोर्ट में मुकदमे के विवेचना अधिकारी, तत्कालीन सीओ मसूरी आदि अधिकारियों के बयान दर्ज कराए गए थे। जिरह के दौरान अभियोजन के किसी भी गवाह ने सूर्यकांत धस्माना के मौके पर होने की पुष्टि नहीं की। सभी ने कहा कि उन्हें याद नहीं कि जुलूस का नेतृत्व कौन कर रहा था। ऐसे में कोर्ट ने माना कि इस बात में संदेह है कि सूर्यकांत धस्माना मौके पर थे। इस संदेह का लाभ देते हुए सूर्यकांत धस्माना को कोर्ट ने बरी करने के आदेश दे दिए।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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