कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति से मांगी माफी, बोले-गलती से फिसली जुबान

राष्ट्रपति को लेकर अपने आपत्तिजनक बयान पर मचे विवाद को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि बीजेपी राई को पहाड़ बना रही है। सदन के अंदर कामकाज ठप पड़ा हुआ है। महंगाई पर हम चर्चा की मांग कर रहे हैं। बेरोजगारी के मुद्दे पर सदन में आंदोलन कर रहे हैं। बाहर भी अग्निपथ को लेकर हम सदन में चर्चा चाहते हैं। ईडी, सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर बात करना चाहते हैं। लगातार सदन में हम मांग कर रहे हैं। इसके लिए हमें लगा कि चलो एक बार राष्ट्रपति जी से मिलकर अपनी बात रखें। वह देश की सर्वोच्च और सदन की सर्वोच्च हैं, चाहे लोकसभा हो या राज्यसभा। उनके बुलाए पर ही हम यहां आते हैं। हम लोग विजय चौक से उनकी तरफ यानी राष्ट्रपति भवन की तरफ मार्च करने की कोशिश की, इस दौरान हमें हिरासत में ले लिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उस वक्त किसी पत्रकार ने पूछा कि कहां जाना चाहते हैं तो हमने कहा कि हम राष्ट्रपति के पास जाना चाहते हैं। मेरे मुंह से ‘राष्ट्रपत्नी’ निकल गया। यह चूक हो गई। बांग्ला भारतीय आदमी हूं। हिंदी भाषी तो हूं नहीं, मुंह से निकल गया, हमारे इरादे में कोई खोट नहीं थी। वह देश के सर्वोच्च पद पर हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। अधीर रंजन ने आगे कहा था कि आप ही बताएं हमारी पार्टी की नेता खुद महिला हैं, अगर हम महिलाओं की इज्जत नहीं कर सकते तो अपनी पार्टी अध्यक्ष की बात सुनकर हम कैसे चलते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वे आरोप लगाते हैं, ठीक है, लेकिन मुझे भी तो जवाब देने का अधिकार है। सदन में एकतरफा मेरे खिलाफ आरोप थोंपा गया। स्पीकर साहब से मैंने दर्खास्त की कि मुझे बोलने का मौका दिया जाए। जवाब देने का मौका दिया स्पीकर साहब ने। इजाजत भी दी थी बोलने की, लेकिन सत्ता पक्ष ने हमें बोलने का मौका नहीं दिया। जिन वित्तमंत्री का दर्शन नहीं मिल रहा था, आज सदन में आकर मेरे ऊपर आरोप लगा रही हैं। एक मंत्री गोवा में क्या किया, उसका बदला लेने के लिए मेरे खिलाफ ये सब शुरू कर दिया है। उन्होंने आगे कहा था कि मैं एक बार नहीं सौ बार कह चुका हूं कि एक चूक हो गई है। क्या करूं गलती इंसान से हो सकती है। मैं बंगाली हूं, हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है। अगर इसके बावजूद हमारे राष्ट्रपति को खराब लगता है तो मैं उनसे जाकर मिलूंगा। उनको समझा लूंगा, बात करूंगा, मैं कोशिश करूंगा।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।