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November 15, 2024

गैरसैंण में सर्दी या उदासीनता, दो दिन पहले निपटेगा उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र, हिमाचल से सब ले लेते सरकार

इसे हमारे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहें या फिर उन्हें राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की सर्दी सहन नहीं हो रही है। क्योंकि इन दिनों चमोली जिले में हर दिन बारिश हो रही है। गैरसैंण में मौसम सर्द है। ऐसे में इस बार भी उत्तराखंड विधानसभा का सत्र दो दिन पहले निपटाने की तैयारी कर ली है। अब इसमें विपक्ष भी सरकार के साथ मिली है या फिर ये सरकार का एकतरफा फैसला है। इसकी जानकारी हमें नहीं है। हमें सिर्फ इतना पता है कि उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 13 मार्च से लेकर 18 मार्च तक चलना था, लेकिन इसे 16 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा। इससे पहले आज बुधवार 15 मार्च को बजट पेश होगा और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल इसे दोपहर दो बजे बजट पेश करेंगे। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 79 हजार करोड़ रुपये के बजट का अनुमान है। प्रदेश मंत्रिमंडल बजट प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे चुका है। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में अगले दिन का एजेंडा तय किया गया। 16 मार्च को बजट पर चर्चा के बाद विनियोग विधेयक पारित होगा और इसके साथ सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाएगी। यानी सत्र 16 मार्च तक ही चलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कम समय में क्या निकलेगा मंथन
उत्तराखंड में जहां सरकार पूरे छह दिन भी बजट सत्र को नहीं चला पा रही है और मात्र चार दिन में ही इसकी औपचारिकता पूरी की जा रही हैं। ऐसे में प्रदेश के विकास में पक्ष और विपक्ष की चर्चा, विभिन्न मुद्दों पर बहस, या फिर प्रदेश के लिए सुझाव आदि पर इतने कम समय में क्या मंथन होगा। क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी विधानसभा के सत्र को कम दिन में निपटाया गया हो, पहले भी उत्तराखंड में ऐसा ही होता आया है। ऐसे में लगता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष का आपसी गठबंधन है। जो पहले से ही तय कर लेता है कि हमें क्या करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दूसरे दिन सीएम रहे नदारद
अब सत्र की गंभीरता को देखा जाए तो दूसरे दिन 14 मार्च को सीएम पुष्कर सिंह धामी खुद सदन में नहीं थे। वह सत्र के पहले दिन 13 मार्च को विधानसभा पहुंचे और उसी दिन सोमवार की दोपहर बाद वह भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन से देहरादून के लिए रवाना हुए। जहां से देर शाम वह दिल्ली चले गए। दिल्ली में वह मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में शामिल हुए। आज 15 मार्च को वह विधानसभा सत्र में पहुंचेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विपक्ष कैसे करता चर्चा, सारे विधायक एक दिन को निलंबित
अब कहें कि बजट सत्र में यदि सीएम नहीं हैं और पक्ष और विपक्ष तो चर्चा कर सकता है। विपक्ष प्रश्न पूछेगा और सत्ता पक्ष उसका जवाब देगा। जैसा कि हर विधानसभा सत्र में होता है। उत्तराखंड में देखा जाए तो सत्र के दूसरे दिन ऐसा भी ठीक से नहीं हो पाया। प्रश्नकाल शुरू हुआ। वहीं, विशेषाधिकार हनन का मामला निरस्त करने पर विपक्ष ने सत्र में हंगामा कर दिया। विपक्ष के विधायक विस सचिव की टेबल पर चढ़ गए। इस पर कार्रवाई करते हुए विस अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सभी कांग्रेसी विधायकों को दिन भरने लिए निलंबित करने के आदेश दिए। अब विपक्ष के बगैर सत्र में क्या चर्चा हुई और किससे चर्चा हुई, ये भी सोचनीय प्रश्न है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हिमाचल से सबक ले लेते सरकार
उत्तराखंड की तरह हिमाचल भी छोटा राज्य है। यहां हिमाचल में 14 मार्च से बजट सत्र शुरू हो चुका है। यह सत्र छह अप्रैल तक चलेगा। बजट सत्र में कुल 18 बैठकें होंगी। 17 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए विधानसभा में बजट पेश करेंगे। सत्र के दौरान 16 मार्च और 24 मार्च को गैर सरकारी कार्य दिवस के लिए निर्धारित किया गया है। 20-21-22 मार्च और 23 मार्च को बजट पर चर्चा होगी। इसके अलावा 27-28 मार्च और 29 मार्च को बजट में की गई मांगों पर चर्चा होगी। इसके बाद 29 मार्च को ही वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रदेश का बजट पारित किया जाएगा। इसके आगे भी विधानसभा की बैठके छह अप्रैल तक होंगी। यदि इस अवधि से पहले विधानसभा का बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित नहीं किया जाता तो हिमाचल में चर्चा के लिए पर्याप्त समय है। उत्तराखंड सरकार भी हिमाचल से सबक ले लेती और इसे गंभीरता से लेती तो बेहतर होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले भी बजट सत्र को बीच में छोड़कर दिल्ली गए थे तत्कालीन सीएम
विधानसभा सत्रों को समय से कम अवधि में अचानक खत्म करने की परंपरा उत्तराखंड में नई नहीं है। वर्ष 2021 में उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में एक मार्च 2021 से 10 मार्च 2021 तक विधानसभा का बजट सत्र चलना था। अचानक छह मार्च को विधानसभा में बजट पारित कराने के बाद तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही सभी विधायक और मंत्री दिल्ली रवाना हो गए थे। उस समय पहले अफरा तफरी में बजट को पास किया जा रहा था। विपक्ष के हंगामे के चलते कुछ देर चर्चा की गई और आनन फानन बजट पारित कर दिया गया। साथ ही विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि, तब भी सत्र चार दिन कम चला और विपक्ष यही आरोप लगाता रहा है कि महत्वपूर्ण विषयों पर सरकार चर्चा से भागती रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फिर हुआ था ये राजनीतिक घटनाक्रम
गौरतलब है कि छह मार्च 2021 को अचानक भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक के चलते विधानसभा का बजट सत्र भी बीच में छोड़कर सीएम सहित कोर कमेटी के सदस्य विधायक देहरादून कूच कर गए थे। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा में बजट सत्र में विभागवार चर्चा होनी थी। ये चर्चा भी नहीं हो पाई। और बजट सत्र 10 मार्च से पहले छह मार्च तक ही चला और अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

छह मार्च 2021 को केंद्रीय पर्यवेक्षक वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह देहरादून आए थे। उन्होंने भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद फीडबैक लिया था। इसके बाद उत्तराखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेताओं ने लिया था। इसके बाद मंगलवार नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत सीएम बनाए गए थे। उनका कार्यकाल भी ज्यादा नहीं रहा और पुष्कर सिंह धामी सीएम बने थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शीतकालीन सत्र भी सात दिन की बजाय दो दिन में निपटाया
पिछले साल उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी सात दिन की बजाय मात्र दो दिन में निपटा दिया दया। इसके समाप्त होते ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एमसीडी चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली का रुख कर दिया। ये सत्र 29 नवंबर 2022 से पांच दिसंबर तक देहरादून में प्रस्तावित था। इससे पहले ही 30 दिसंबर को ही सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके साथ ही सभी विधायक और बीजेपी के नेता दिल्ली रवाना हो गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस सत्र को भी जल्द निपटाने के पीछे कांग्रेस ने सरकार पर जमकर प्रहार किए। कहा कि विपक्ष के सवालों से बचने के लिए सत्र को पूरी अवधि तक नहीं चलने दिया गया। हालांकि, दिल्ली एमसीडी के चुनाव में उत्तराखंड बीजेपी की मेहनत भी रंग नहीं लाई और वहां आम आदमी पार्टी की जीत हुई। गौर करने वाली बात ये है कि चर्चा से पहले ही, या कहें विपक्ष से सवालों का जवाब देने से पहले ही सत्र को निपटाकर हम लोकतंत्र में किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

गैरसैंण में सत्र को लेकर किया ऐसा प्रचार
पिछले साल  ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की बजाय देहरादून में सत्र का आयोजन किया गया। तर्क दिया गया कि चारधाम यात्रा के कारण गैरसैंण में व्यवस्थाएं जुटाने में दिक्कत होंगी। अब इस बार गैरसैंण में सत्र का आयोजन किया गया तो मीडिया में भी ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि जैसे पहली बार गैरसैंण में सत्र का आयोजन किया जा रहा है। प्रचारित किया जा रहा है कि सीएम पहाड़ के विकास के लिए चिंतित हैं। इसलिए पहाड़ में ही सत्र का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, इससे पहले भी कई बार गैरसैंण में विधानसभा सत्र हो चुके हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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