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April 24, 2025

भारत के बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में गहराने लगा कोयला संकट, कुछ के पास मात्र दस फीसद स्टॉक, बिजली देगी झटके

देश में कोयला संकट गहराने लगा है। इससे बिजली संकट और बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। कारण ये है कि बड़े थर्मल पावर प्लांट्स कोयले से ही चलते हैं।

देश में कोयला संकट गहराने लगा है। इससे बिजली संकट और बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। कारण ये है कि बड़े थर्मल पावर प्लांट्स कोयले से ही चलते हैं। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 19 अप्रैल, 2022 तक देश के करीब 30 फीसद थर्मल पावर प्लांट्स के पास 10 फीसद या उससे भी कम कोयला का स्टॉक बचा था। इसकी वजह से देश कई हिस्सों में डिमांड बढ़ने की वजह से पावर सप्लाई पर बुरा असर पड़ रहा है। पावर की डिमांड बढ़ती जा रही है, लेकिन कोयले की कमी की वजह से बिजली का प्रोडक्शन बाधित हो रहा है।
डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक 19 अप्रैल को देश के 164 बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में से 27 थर्मल पावर प्लांट्स के पास 0 फीसद से 5 फीसद तक ही जरुरत का कोयला स्टॉक बचा था, जबकि 21 थर्मल पावर प्लांट्स के पास 6 से 10 फीसद तक नोर्मेटिव स्टॉक के मुकाबले कोयला स्टॉक बचा था। यानी देश के 164 बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में से 48 यानी 29.26 फीसद के पास 10 फीसद या उससे भी कम कोयले का स्टॉक बचा था।
कोयले के इस संकट से निपटने की चुनौती बढ़ने लगी है। देश में बढ़ती गर्मी और आर्थिक गतिविधियों के तेज़ी से बढ़ने से ही बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है। कोयला मंत्रालय के मुताबिक कोयले के आयात में आई कमी कोयला संकट के पीछे सबसे बड़ी वजह है। कोयला मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, देश में कुल कोयला की जरूरत का 20 फीसद से कुछ ज्यादा ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों से आयात से पूरा होता है। हाल के महीनों में अंतराष्ट्रीय बाजार में कोयला काफी ज्यादा महंगा हुआ है इस वजह से कोयला इम्पर्टरों ने आयत कम कर दिया है। हालांकि, हाल के दिनों में कोल इंडिया और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों ने कोयला का प्रोडक्शन बढ़ाया है।
कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ट्वीट कर कहा, ‘कोल इंडिया लिमिटेड और दूसरे कैप्टिव ब्लॉक्स के पास 72 मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक उपलब्ध है। अप्रैल महीने में ही कोयले का प्रोडक्शन 27 फीसद तक बढ़ा है और पिछले साल के मुकाबले थर्मल पावर स्टेशनों सप्लाई 14 फीसद तक बढ़ी है। इसके बावजूद कोयला के आयात में आयी कमी की भरपाई नहीं हो पा रही है। जाहिर है, कोयले का संकट गहरा रहा है और इससे निपटना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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