आरएसएस की गतिविधियों पर कर्मियों की रोक हटाना सीएम धामी का स्वागतयोग्य कदमः मनवीर सिंह चौहान
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस राम और राष्ट्रवाद का हमेशा विरोध करती रही है और इसी कारण वह आरएसएस के कार्यक्रमों मे सरकारी कर्मियों की भागीदारी पर सवाल उठा रही है। उन्होंने आरएसएस की गतिविधियों में राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लगी रोक हटने का स्वागत किया। साथ ही इसके लिए सीएम धामी का आभार व्यक्त किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्र एवं राज्य का यह ऐतिहासिक निर्णय देवभूमि के सांस्कृतिक, सामाजिक उत्थान एवं विकास की कोशिश को मजबूती देगा। उन्होंने कांग्रेस की आपत्तियों पर पलटवार किया कि उन्हें संघ के योगदान को राहुल गांधी के पुराने संसदीय क्षेत्र वायनाड के आपदा प्रभावितों से समझना चाहिए। क्योंकि राहुल गाँधी और कांग्रेसी प्रभावितों के बीच से नदारद रहे। संघ के स्वयंसेवकों ने पीड़ितों के बीच शानदार काम किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चौहान ने कहा कि 58 साल पहले 1966 में एक असंवैधानिक आदेश जारी किया गया था। इसमें सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था। पहले मोदी सरकार और अब धामी सरकार ने एक राष्ट्रभक्त संस्था से जुड़ने पर लगी असंवैधानिक रोक को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि देश की तरह प्रदेश में भी इस निर्णय के बाद उत्साह का माहौल है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में समर्पित है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय संघ के योगदान को लेकर देश के हर नेतृत्व ने प्रशंसा भी की है। अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन इंदिरा सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार रूप से प्रतिबंधित किया था। इसमें 1970 और 1980 में तत्कालीन कांग्रेस शासन ने और अधिक कड़ा किया। ऐसे में वर्तमान सरकारों का निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष की आपत्तियों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्र और राम विरोधी पार्टियों के समर्थन की उम्मीद बेमानी है। साथ ही उन्होंने राज्य के स्थानीय कांग्रेस नेताओं से पर कटाक्ष किया कि उन्हें विरोध करने से पहले कम से कम उत्तरकाशी, केदारनाथ, मालपा, कोविड आदि तमाम प्राकृतिक आपदाओं एवं देवभूमि के सनातन एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान में संघ के अद्वितीय योगदान का स्मरण करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि उन्हें अपने केंद्रीय नेतृत्व से पूछना चाहिए कि हाल में उनके पुराने संसदीय क्षेत्र वायानाड की जनता विकट प्राकृतिक आपदा से त्रस्त थी, तो वे कहां थे, लेकिन आरएसएस के कार्यकर्ता वहां आपदा से जूझ रहे लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बचाव कार्यों को अंजाम दे रहे थे। संघ आज भी वहां प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर लगातार कार्य कर रहा है। राष्ट्रभक्त और सांस्कृतिक पुनरोत्थान समर्थकों का विरोध करना कांग्रेस की फितरत है। कांग्रेस का ऐसा व्यवहार राष्ट्रवादी जनता माफ नही करेगी।
नोटः बीजेपी मीडिया प्रभारी ने मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि पुराने संसदीय क्षेत्र वायनाड के आपदा प्रभावितों के बीच से राहुल गाँधी और कांग्रेसी नदारद रहे। हो सकता है उन्हें इसकी जानकारी ना हो कि राहुल गांधी वायनाड गए या नहीं। यहां हम बताना चाहते हैं कि कांग्रेस नेता एवं वायनाड से पूर्व सांसद राहुल गांधी और उनकी बहन एवं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा गुरुवार एक अगस्त को केरल पहुंचे थे। दोनों नेता वायनाड जिले के चूरलमाला का दौरा कर भूस्खलन प्रभावित इलाकों में बनाए गए राहत शिविरों में भी गए। इसकी फोटो हम नीचे दे रहे हैं। वहीं, चार सितंबर को वायनाड पीड़ितों की मदद के लिए राहुल गांधी ने अपने एक माह के वेतन को दान करने की घोषणा भी की है। (अगले पैरे में देखें फोटो)
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