साझा मंच के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए सीएम ने बुलाया, हुई साकारात्मक बात, मिला ये आश्वासन, कार्मिकों में जगी आस
साझा मंच उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से वार्ता का आमंत्रण मिला। इस पर समिति के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से उनके आवास में भेंट की।
समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल ने सर्वप्रथम मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो प्रदेश के दस मान्यता प्राप्त कार्मिक एंव शिक्षक परिसंघों ने समन्वय समिति का गठन कर उसके बैनर तले आंदोलन की शुरूआत की। प्रदेश के समस्त कार्मिकों, अधिकारियों और शिक्षकों को प्रभावित करने वाली समस्याओं को एकत्र कर 18 सूत्रीय मांगपत्र में शामिल किया गया। अब मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन चलाया जा रहा है।
उन्होंने अवगत कराया कि इस संदर्भ में मुख्य सचिव से भी वार्ता हुई। वहां भी आश्वासन मिला। महंगाई भत्ता देने के शासनादेश आश्वासन के बाद भी जारी नहीं किए गए। बताया कि आंदोलन के तीसरे चरण में 27 सितंबर को जनपद स्तरीय रैलियां निकाली जाएंगी। चौथे चरण में पांच अक्टूबर को देहरादून राजधानी में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली प्रस्तावित है। उसी दिन आगामी अनिश्चित कालीन आन्दोलन की घोषणा की करने की कार्मिकों की रणनीति है।
उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव ने समस्त मांगों के समाधान के लिए कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन समन्वय समिति का मानना है कि मांगपत्र में अंकित मांगों पर शासन की और से तब तक सकारात्मक कार्यवाही नहीं की जायेगी जब तक की मुख्यमंत्री स्वयं समस्त समस्याओं से विज्ञ होकर संबंधित अधिकारियों को निर्देशित नहीं करेंगे। प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र की भांति उत्तराखंड के कर्मियों को भी महंगाई भत्ते की किस्त अनुमन्य किये जाने की विधानमंडल में की गयी घोषणा पर सीएम को धन्यावाद दिया। साथ ही शासनादेश न जारी होने की पर नाराजगी जताई। इस पर मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की आगामी बैठक में उस पर निर्णय का आश्वासन दिया। साथ ही शीघ्र ही समन्वय समिति के साथ मांगपत्र पर चर्चा कर निर्णय के लिए बैठक आयोजित करने का भी आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में प्रताप पंवार, अरूण पाण्डेय, सुनील कोठारी, शक्ति प्रसाद भटट, पंचम सिहं विष्ट, पूर्णानन्द नौटियाल, दिनेश गुसाई, बीएस रावत, बनवारी सिंह रावत, अनन्तराम शर्मा, राकेश रावत, इत्यादि कर्मचारी नेता शामिल थे।
ये हैं मांगे
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों/शिक्षकों/निगम/निकाय/पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाए।
2-राज्य कार्मिकों के लिए निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुए केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएसएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्च कोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये। तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाए।
3-पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाए।
4-केन्द्र सरकार की भांति प्रदेश के कार्मिकों के लिए 11 फीसद मंहगाई भत्ते की घोषणा शीघ्र की जाए।
5-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए।
6-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए। तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाए।
7-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
8-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाए।
9-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाए।
10-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाए।
11-सिंचाई विभाग को गैर तकनीकी विभागों (शहरी विकास विभाग, पर्यटन विभाग, परिवहन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग आदि) के निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में स्थाई रूप से अधिकृत कर दिया जाए।
12-राज्य सरकार की ओर से लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुए पदोन्नति के लिए निर्धारित मापदंडो के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा “अतिउत्तम” के स्थान पर “उत्तम” की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाए।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाए।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाए।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाए।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/एसीपी/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाए।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयों के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।