अखिल भारतीय मांग दिवस, बुलडोजर से बेघर लोगों के पुनर्वास सहित विभिन्न मांगों को लेकर सीटू का प्रदर्शन
अखिलभारतीय मांग दिवस पर आज बुधवार 10 जुलाई को देहरादून में सैंटर ऑफ इंडियन टेड यूनियन (सीटू) ने जुलूस निकालकर जिला मुख्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। इस मौके पर देहरादून में बुलडोजर अभियान से बेघर हुए लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था सहित विभिन्न मांगों को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह को सौंपा गया। उन्होंने आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस अवसर पर बुलडोजर के भय से दिल का दौरा पड़ने से दिवगंत हुई सोनम का पूरा परिवार मौजूद रहा। उनके लिए मुआवजा की मांग की गई। इस पर भी सिटी मजिस्ट्रेट ने आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में राजपुर रोड स्थित गांधी पार्क के निकट सीटू जिला कार्यालय से जुलूस शुरू किया गया। घंटाघर, दर्शन लाल चौक, तहसील से होता जुलूस कचहरी पहुंचा। इस मौके पर जनसभा का भी आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की ओर से की गई बस्तियों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई मजदूर व गरीब विरोधी है। इससे भाजपा सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सड़क के निर्माण के नाम पर पांच सौ से अधिक घरों को तोड़ने से प्रभावित लोगों के पुर्नवास की व्यवस्था की जाए। या उन्हें मुआवजा दिया जाए। पहुंच वाले लोगों के अवैध निर्माण हैं, उन पर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता है। यहां तक कई सरकारी भवन भी नदी की जमीन पर हैं। सरकार इन्हें नजरअंदाज कर रही है। वक्ताओं ने एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग की। ताकि 50 हजार परिवारों को बेदखल ना होना पड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं प्रमुख मांग
-मलिन बस्तियों एवं कच्ची बस्तियों की सुरक्षा के लिऐ कानून लाया जाए। हाल ही में रिस्पना नदी के इर्दगिर्द बेघर हुए लोगों को मुआवजा दिया जाए। या उनका पुर्नवास किया जाये। एलिवेटेड रोड योजना को निरस्त किया जाए।
-मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी 28 हजार रुपये प्रतिमाह की जाए।
-केन्द्र सरकार के कार्यालयों में ठेका कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
-चार श्रम सहिताओं को निरस्त किया जाये।
-नये मोटर एक्ट को निरस्त किया जाये।
-आंगनवाड़ी, आशाओं तथा भोजनमाताओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाये।
-असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों को सामाजिक सुरक्षा दी जाये।
-भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करते हुये सीटू के सदस्यों को बोर्ड में आमंत्रित किया जाए।
-पुरानी पेंशन योजना बहाल करो।
– सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों में भर्ती की जाए।
-रेहड़ी, पटरी, फुटपाथ व्यवसायियों का उत्पीड़न बन्द हो। उनके लिए वैन्डरजोन घोषित किया जाए।
-निर्माणाधीन सभी जल विद्युत परियोजनाओं तथा रेलवे प्रोजेक्ट में समान कार्य के लिऐ समान वेतन दिया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे प्रदर्शन में शामिल
इस अवसर पर सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने सभा का संचालन किया। प्रदर्शन करने वालों में सीटू के जिला अध्यक्ष कृष्ण गुनियाल, राजेन्द्र पुरोहित, अनंत आकाश, प्रेमा, किरण, मंजू, नरेंद्र सिंह, जानकी चौहान, अभिषेक भंडारी, रजनी गुलेरिया, लक्ष्मी पंत, कृष्णा राणा, एसएस नेगी, शम्भू ममगाई, विकास कुमार, रविन्द्र नौडियाल, रामसिंह भंडारी, शेर सिंह, गुरु प्रसाद, बबीता, सुनीता, मुन्नी, मिथलेश, बिलाल, मुन्ना सिंह आदि शामिल थे।
मलिन बस्तियों का ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। बड़े पैमाने पर एमडीडीए की ओर से भी कार्रवाई की गई है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। बुलडोजर अभियान के दौरान एक बस्ती में दहशत से एक महिला की मौत भी हो गई थी। इसे भी अब मुद्दा बना दिया गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।