अरुणाचल प्रदेश के निकट चीन ने बसाए तीन गांव, यहां भारत और चीन के बीच पहले से है सीमा विवाद
चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास तीन नए गांवों को बसाया है। सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, यह स्थान बुम ला दर्रे से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर भारत, चीन और भूटान की सीमा के नजदीक स्थित है। इतना ही नहीं, इन गांवों में चीन ने लोगों को भी बसा दिया है। बता दें कि इस क्षेत्र को लेकर चीन पहले से ही दावा करता रहा है।
अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करते आ रहे चीन ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे फिर से दोनों देशों में एक और नया विवाद पैदा हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने बुम ला पास से करीब पांच किलोमीटर दूर कम से कम तीन गावों का निर्माण किया है।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के पास कम से कम तीन गाँवों की स्थापना की है। रिपोर्ट की मानें तो पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश में भारत, चीन और भूटान के बीच त्रिकोणीय जंक्शन के पास गांवों का निर्माण किया गया है। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद है।
भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है, जिसे भारत हमेशा मजबूती से खारिज करता आया है। अब चीन की ये नई चाल उसके क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन गांवों का निर्माण तब किया गया था जब भारतीय और चीनी सैनिक लद्दाख विवाद में लगे हुए थे।
एनडीटीवी ने चीन की गतिविधियों पर नजर रखने वाले ब्रह्म चेलानी के हवाले से लिखा कि चीन अपने क्षेत्रीय दावों को मजूबत करने और सीमा पर घुसपैठ को बढ़ाने के लिए भारत की सीमा के पास कम्युनिस्ट पार्टी के हैन चाइनीज और तिब्बती सदस्यों को बसा रहा है। जैसे चीन दक्षिण चीन सागर में मछुआरों का इस्तेमाल करता है। चीन भारतीय गश्त वाले हिमालयी क्षेत्रों में घुसपैठ करने के लिए नागरिक संसाधनों- चरवाहों और ग्रेजर (घास खाने वाले जानवरों) का उपयोग करता है।
दोनों देश लद्दाख में पहले से ही एक बड़े विवाद में उलझे हुए हैं, जिसको लेकर कई उच्च-स्तरीय वार्ता के बावजूद अब तक सफलता नहीं मिली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन भारतीय गश्त वाले हिमालयी क्षेत्रों में घुसपैठ करने के लिए नागरिक संसाधनों- चरवाहों और ग्रेजर (घास खाने वाले जानवरों) का उपयोग करता है।
एक रिपोर्ट में कुछ नई सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें चीनी गांव दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि ये तस्वीरें ऐसे समय सामने आई है जब एक हफ्ते पहले भूटानी क्षेत्र में चीनी गांवों को बसाने की तस्वीरें सामने आई थीं। यह डोकलाम की उस साइट से करीब सात किलोमीटर दूर है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष की स्थिति बनी थी।
1962 के युद्ध के बाद दोनों देश तनाव के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। भारत और चीन ने सीमा पर भारी तैनाती कर रखी है। आठ दौर की सैन्य वार्ता होने के बावजूद अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है।
इस रिपोर्ट में दिखाई गई तस्वीरें प्लैनेट लैब्स से हासिल की गई हैं। 17 फरवरी 2020 तक इस क्षेत्र में सिर्फ एक गांव दिख रहा है। इसमें 20 से ज्यादा संरचनाएं (घर) नजर आ रही हैं। जिसे लाल रंग की छत के जरिये आसानी से पहचाना जा सकता है। दूसरी तस्वीर, 28 नवंबर की है, जिसमें कम से कम 50 स्ट्रेक्चर के साथ तीन अतिरिक्त एन्क्लेव नजर आ रहे हैं।
चीन इस क्षेत्र में सीमा की कानूनी स्थिति को चुनौती देता है और चीन के मानचित्र इस क्षेत्र के 65000 वर्ग किलोमीटर को चीन के तिब्बत क्षेत्र का हिस्सा बताते हैं। भारत दशकों से चीन के इस दावे को खारिज करता रहा है और इस बात पर जोर देता है कि 1914 शिमला समझौते में ब्रिटिश प्रशासक सर हेनरी मैकमोहन द्वारा प्रस्तावित ऐतिहासिक मैकमोहन लाइन यहां की सीमा को परिभाषित करती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।