चीन ने पहली बार कबूला, गलवान घाटी की खूनी झड़प में मारे गए उसके पांच सैनिक, जारी किए नाम
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच पिछले साल मई की शुरुआत से तनातनी जारी है। अब दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघल रही है। अब जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया का निर्णायक चरण चल रहा है। जल्द ही पूरा होने के करीब है तो चीन ने पहली बार माना है कि गलवान घाटी में हुए खूनी झड़प में उसके सैनिक भी मारे गए थे। ड्रैगन ने खूनी झड़प के दौरान मारे गए अपने पांच सैनिकों की जानकारी साझा की है। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले वर्ष पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत की सेना के साथ हुई झड़प में उसके पांच सैन्य अधिकारियों और जवानों की मौत हुई थी। चीन की सेना के आधिकारिक अखबार ‘पीएलए डेली’ की शुक्रवार की खबर के मुताबिक सेंट्रल मिलिट्री कमिशन ऑफ चाइना (सीएमसी) ने उन पांच सैन्य अधिकारियों और जवानों को याद किया जो काराकोरम पहाड़ियों पर तैनात थे और जून 2020 में गलवान घाटी में भारत के साथ सीमा पर संघर्ष में मारे गए थे।
ग्लोबल टाइम्स’ ने ‘पीएलए डेली’ की खबर के हवाले से बताया कि गलवान में झड़प के दौरान मरने वालों में पीएलए की शिनजियांग सेना कमान के रेजिमेंटल कमांडर क्वी फबाओ भी शामिल थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग ने काराकोरम पर्वत पर तैनात रहे पांच चीनी सैनिकों के बलिदान को याद किया है और सम्मानित भी किया है। मारे गए चीनी सैनिकों का नामा भी ड्रैगन ने साझा किया है। ये नाम हैं- पीएलए शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजीमेंटल कमांडर क्यूई फबाओ, चेन होंगुन, जियानगॉन्ग, जिओ सियुआन और वांग ज़ुओरन।
ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए की डेली रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि गलवान खूनी संघर्ष में उसके चार सैनिक मारे गए थे, वहीं एक की मौत गलवान के खूनी झड़प में रेस्क्यू के वक्त नदी में बहने से हुई थी। चीन ने अपने सैनिकों को लेकर लिखा है कि इन सैनिकों ने राष्ट्रीय संप्रभुता और अपनी जमीन की रक्षा करते हुए जान दे दी।
बता दें कि भारत और चीन के बीच गलवान संघर्ष 45 साल में सबसे बड़ा खूनी संघर्ष था। गलवान घाटी में झड़प के दौरान भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। पीएलए ने यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय की है जब पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से दोनों देश अपने जवानों को हटा रहे हैं।
इस पूरे मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं को पीछे हटाने का जो समझौता हुआ है। उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे। राज्यसभा में दिए एक बयान में रक्षा मंत्री ने यह आश्वासन भी दिया कि इस प्रक्रिया के दौरान भारत ने कुछ भी खोया नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अन्य क्षेत्रों में तैनाती और निगरानी के बारे में कुछ लंबित मुद्दे बचे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।