बाल कविता: रिमझिम बरसो बरखा रानी, रचना-कालिका प्रसाद सेमवाल

रिमझिम बरसो बरखा रानी
मौसम कितना सुहावना है
सावन जैसा ही लगता है
रिमझिम -रिमझिम पानी बरसे
छायी बदरिया है घनघोर।।
आओ सोनू आओ मोनू
बरखा का आनंद उठाये
मास्क पहन कर घर से आना
दो गज की दूरी बनाना।
सरिता ललिता तुम भी आओ
हम सब मिल कर नाचे गाये
पानी में भीग भीगकर
बरखा का आनंद उठाये।
बचपन में जो करे शरारत
उसकी बुद्धि प्रखर हो खिलती
जो भी बच्चा करे शरारत
उससे उसको उर्जा मिलती।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर बाल रचना?????