मुख्यमंत्री ने किया मिशन सिलक्यारा नाटक का अवलोकन, रैट माइनर्स का घर टूटना भी नाटक में दिखा देते

उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों के फंसने और उन्हें सकुशल बाहर निकालने की घटना को अब राजनीतिक प्रचार के रूप में भुनाया जा रहा है। इसे लेकर नाटक भी तैयार हो गया है और उसका मंचन भी किया गया। इस नाटक को खुद उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी देखा। साथ ही नाटक की तारीफ भी की। हालांकि, नाटक सिलक्यारा की घटना पर आधारित है। इसके बाद क्या हुआ, ये हो सकता है कि काफी लोगों को पता तक ना हो। क्योंकि नाटक में शायद ही इसे दिखाया गया होगा। वैसे भी कवि, साहित्यकार, पत्रकार, नाटककार अब जनता से जुड़े सवालों को भूलने लगे हैं। ऐसे में हम ही आपको बता देते हैं। हाल ही में 41 लोगों की जान बचाने वाले रैट माइनर वकील हसन के मकान को दिल्ली डिवेलपमेंट अथॉरिटी ने बुलडोजर से गिरा दिया। ये वही व्यक्ति है, जिसके साथ सिलक्यारा आपरेशन के सफल होने के बाद सीएम तक ने फोटो खिंचवाई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सायं दूरदर्शन केंद्र के समीप स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में मिशन सिलक्यारा नाटक का अवलोकन किया। मदन मोहन सती की मूल कृति ‘नायक से जननायक’ पर आधारित ‘मिशन सिलक्यारा’ नाटक के माध्यम से सिलक्यारा के श्रमिकों के संघर्ष को संजीदगी के साथ प्रस्तुत किया गया है। मुख्यमंत्री ने डॉ सुवर्ण रावत को इस नाटक के आलेख, परिकल्पना एवं निर्देशन के लिए भी बधाई देते हुए कहा कि यह नाटक निश्चित रूप से मानवीय अनुभवों को समझने में भी मददगार होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन सिलक्यारा की सफलता में बाबा बौखनाग जी की असीम कृपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन, प्रगाढ़ इच्छाशक्ति के साथ ही पग-पग पर उनके सहयोग से विभिन्न संस्थानों, सेना के जवानों, रेट माइनर्स और ग्राउण्ड जीरो पर राज्य सरकार के समेकित प्रयासों से सुरंग में फंसे मजदूरों को जीवन बचाने में हम सफल हो पाए। यह घटना कोई साधारण घटना नहीं थी इन 17 दिनों में सभी अपने-अपने तरीके से श्रमिकों व उनके परिजनों को प्रेरणा देते रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सिलक्यारा का घटनाक्रम
गौरतलब है कि जनपद उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण हो रहा था। इसमें सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका था। तब इसमें 12 नवम्बर 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिर गया था। इसमें 41 व्यक्ति फँस गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उसी दिन से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया। टनल के अंदर फंसने वाले मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के थे। चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये टनल बनाई जा रही है। 24 नवंबर से मशीन से खुदाई ठप हो गई थी। इसके बाद हाथ से खुदाई की गई और मंगलवार 28 नवंबर की रात रेस्क्यू के 17वें दिन श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया। हाथ से खुदाई को ही रैट माइनिंग कहा जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ढहा दिया गया रैट माइनर का मकान
हाल ही में नई दिल्ली डीडीए ने उत्तराखंड टनल में फंसे 41 लोगों की जान बचाने वाली रेट माइनर दल के सदस्य वकील हसन के घर को अवैध बताकर तोड़ दिया। वकील हसन और उनके साथी मुन्ना कुरैशी ने जब डीडीए की कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस उन दोनों को उठाकर थाने ले गई। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें रात आठ बजे थाने से छोड़ा, तब तक उनका पूरा मकान ध्वस्त किया जा चुका था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लगाए गए ये आरोप
वकील हसन ने बताया कि वह 2012 से सोनिया विहार स्थित 74 वर्गगज मकान में परिवार के साथ रह रहे है। इस मकान की रजिस्ट्री 1982 की है। उन्होंने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ किसी काम से अपनी ससुराल गए हुए थे। सुबह 10 बजे के करीब डीडीए के अधिकारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उनका आरोप है कि पुलिस और डीडीए के कर्मचारियों ने पहले जबरन उनके बच्चों को घर से बाहर निकाला। इसके बाद घर का सामान बाहर निकालकर उनके मकान को तोड़ दिया। उनके साथी मुन्ना कुरैशी ने फोन कर इस घटना की सूचना दी तो वह तुरंत सोनिया विहार स्थित अपने घर पहुंच गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वकील हसन ने डीडीए पर लगाया ये आरोप
रैट माइनर वकील हसन ने इस मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि दिल्ली के खजूरी खास स्थित श्रीराम कॉलोनी में 2023 में उन्होंने 80 गज का एक प्लॉट 38 लाख रुपये में खरीदा था। तब उन्हें नहीं पता था कि ये डीडीए की जमीन है। उन्होंने जिंदगी भर की कमाई, पत्नी के जेवर और गांव का प्लॉट बेचकर यहां मकान बनाया था। वकील हसन ने आरोप लगाया है कि डीडीए ने उनसे पैसे मांगे थे और नहीं देने पर घर गिराने की कार्रवाई की गई। वकील हसन का कहना है कि डीडीए ने ये कार्रवाई तब की जब वह घर पर नहीं थे। मकान गिराने से पहले डीडीए के अफसरों ने उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया। अब बताया जा रहा है कि डीडीए उसे दूसरी जगह मकान देगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।