चमोली आपदाः 12वें दिन भी रेस्क्यू जारी, अब तक मिले 61 शव, ऋषि गंगा में पानी बढ़ते ही बजेगा सायरन

उत्तराखंड के चमोली में आपदा में लापता लोगों की तलाश का काम 12 वें दिन भी जारी है। आज गुरुवार को तीन शव बरामद किए गए। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक प्राकृतिक आपदा में लापता कुल 204 लोगों में से अब तक कुल 61 शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किए जा चुके हैं। इनमें 34 की शिनाख्त हो चुकी है। 27 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। अभी 143 लोग लापता हैं। लापता समस्त लोगों के सम्बन्ध में कोतवाली जोशीमठ में अब तक कुल 179 लोगों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है। तपोवन में विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की मुख्य टनल और ऋषिगंगा के आसपास रेस्क्यू जारी रहा।
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक ऋषिगंगा नदी में अब पानी बढ़ते ही सायरन बजने लगेगा। इसकी आवाज एक किलोमीटर तक सुनाई देगी। एसडीआरएफ, उत्तरखंड पुलिस ने चमोली में रैंणी गाँव के करीब ऋषिगंगा में वाटर सेंसर युक्त अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया है। पानी का स्तर बढ़ने पर इसमें लगा अलार्म तुरंत बज जाएगा, जो एक किलोमीटर तक सुनाई देगा। ताकि लोग समय पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकें।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार 10 फरवरी की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। अब इसी टनल में लापता को खोजने का काम चल रहा है।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।