चमोली आपदाः 38 शव बरामद, 13 की शिनाख्त, 166 लापता, झील से पानी हो रहा डिस्चार्ज, अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित

उत्तराखंड के चमोली में आपदा में लापता लोगों की तलाश का काम सातवें दिन भी जारी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से बताया जा रहा है कि आपदा में कुल 204 लोग लापता हुए थे। आपदा में अभी तक कुल 38 शव बरामद कर लिए गए हैं। इनमें 13 की शिनाख्त की जा चुकी है। 25 शवों की शिनाख्त बाकी है। अभी 166 लोग लापता हैं। साथ ही 19 मानव अंग भी बरामद किए गए हैं। वहीं, पैंग गांव पर बनी झील पर एसडीआरएफ की नजर है। किसी भी खतरे पर नीचले इलाकों को सचेत करने का सिस्टम बना दिया गया है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के मुताबिक एसडीआरएफ के कमान्डेंट नवनीत भुल्लर 14 हजार फुट की ऊँचाई पर ऋषिगंगा में बनी झील पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि झील से काफी अच्छी मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है। इसलिए खतरे की कोई बात नही है। डिस्चार्ज हो रहा है। मडी पानी नहीं है। साफ पानी है खतरे वाली बात नहीं है।
बरामद सभी शवों एवं मानव अंगों का डीएनए सैम्पलिंग और संरक्षण के सभी मानदंडों का पालन कर सीएचसी जोशीमठ, जिला चिकित्सालय गोपेश्वर एवं सीएचसी कर्णप्रयाग में शिनाख्त के लिए रखा गया था। शवों को नियमानुसार डिस्पोजल हेतु गठित कमेटी ने अभी तक 24 शवों एवं 11 मानव अंगों का पूरे धार्मिक रीति रिवाजों एवं सम्मान के साथ दाह संस्कार करा दिया है। साथ ही 184 पशु हानि हुई है। साथ ही चमोली से लेकर कर्णप्रयाग तक नदी में शव खोजने का कार्य भी चल रहा है।
चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आपदा की जद में तपोवन में टनल में फंसे 34 लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू के तहत मुख्य सुरंग के नीचे सिल्ट फ्लशिंग टनल (एसएफटी) तक ड्रिलिंग का काम चल रहा है। यह टनल मौजूदा सुरंग से 12 मीटर नीचे है। वहां मानव उपस्थिति की संभावना हो सकती है। उधर ऋषिगंगा में बन रही झील तक एसडीआरएफ की टीम पहुंची हुई है, लौटकर यह टीम अपनी रिपोर्ट देगी। ये झील रैंणी से पांच किलोमीटर ऊपर पैंग गांव के पास ऋषिगांव में झील बनी है। गढ़वाल विश्वविद्यालय और वाडिया इंस्टीट्यूट के भू वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी दी थी। इस झील से रिसाव भी हो रहा है। फिलहाल झील से कोई खतरा नहीं बताया जा रहा है।
झील पर नजर रखने को अर्ली वार्निंग सिस्टम
एसडीआरएफ ने पैंग से लेकर तपोवन तक मैनुअली अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया है। इसके तहत पैंग, रैणी व तपोवन में एसडीआरएफ की एक-एक टीम तैनात की गई है, जो सेटेलाइट फोन, पीए (पब्लिक अलार्मिंग) सिस्टम व दूरबीन से लैस हैं। कहीं भी कोई हलचल नजर आने पर यह टीमें आसपास के गांवों के साथ ही जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी।
एसडीआरएफ की टीम ने शुक्रवार शाम को झील तक मुआयना किया था। फिलहाल झील से किसी प्रकार का खतरा नहीं है। अब झील पर एसडीआरएफ की टीम स्थिति पर पूरी तरह नजर रखे हुए है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल के अनुसार मैनुअली तैयार किए गए अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत पैंग गांव में उस जगह टीम तैनात की गई है, जहां से झील साफ नजर आती है।
उन्होंने बताया तीनों ही स्थानों पर तैनात टीमें सेटेलाइट फोन के जरिये संपर्क में हैं। यदि थोड़ा भी जल स्तर बढ़ता है तो यह टीमें तत्काल सूचित कर देंगी। ऐसे में पांच से सात मिनट के भीतर नदियों के किनारे के क्षेत्र को सुरक्षा की दृष्टि से खाली कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ के दल ने रैणी से ऊपर के गांवों के प्रधानों के साथ भी पीए सिस्टम को वार्ता की है।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।
जुटे हैं इतने जवान
प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 100, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।