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December 14, 2024

विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से बैकों के वापस लौटे 18 हजार करोड़ः सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार

केंद्र सराकार ने सुप्रीम कोर्ट को आज बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की ओर से बैंकों को 18000 करोड़ रुपये लौटा दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई की।

केंद्र सराकार ने सुप्रीम कोर्ट को आज बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की ओर से बैंकों को 18000 करोड़ रुपये लौटा दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई की। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में प्रावधानों का बचाव किया। केंद्र ने कहा कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की ओर से से बैंकों को 18,000 करोड़ रुपये लौटाए गए हैं। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के मामलों में 67000 करोड़ रुपये के मामलों के केस सुप्राीम कोर्ट में लंबित हैं। केंद्र की ओर से जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रवि कुमार की बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखा।
तुषार मेहता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से 4700 पीएमएलए मामलों की जांच की जा रही है। पिछले पांच सालों में हर साल जांच के लिए उठाए गए मामलों की संख्या बढ़ रही है। साल 2015-16 में 111 मामले थे, 2020-21 में यह 981 तक हो चुके हैं। पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के दौरान ऐसे अपराधों के लिए 33 लाख प्राथमिकी (FIR) दर्ज हुईं, लेकिन PMLA के तहत केवल 2,086 मामलों की जांच की गई। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन (7,900), अमेरिका (1,532), चीन (4,691), ऑस्ट्रिया (1,036) हांगकांग (1,823), बेल्जियम (1,862) और रूस (2,764) में मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत मामलों के वार्षिक केसों की तुलना में PMLA के तहत जांच के लिए बहुत कम मामले उठाए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें PMLA के तहत अपराध की आय की तलाशी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय ( ED) को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई है। इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के PMLA संशोधनों के संभावित दुरुपयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर SC के समक्ष दलीलें दी हैं। कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना ना देना, ECIR (FIR के समान) कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय, और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई है। इस संबंध में 200 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मैराथन सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आगे भी जारी रहेगी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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