केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्रः कोरोना टेस्ट की तारीख या संक्रमण की पुष्टि के 30 दिन के भीतर मौत होगी कोविड डेथ में शामिल
कोरोना की टेस्टिंग की तारीख या कोविड-19 मामले में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित तारीख से 30 दिनों के भीतर होने वाली मौतों को कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के रूप में माना जाएगा।

हलफनामे में कहा गया है कि भले ही रोगी की मृत्यु अस्पताल या फिर इन-पेशेंट सुविधा की जगह हो। अगर कोई कोविड -19 मरीज, अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में भर्ती होने के बाद 30 दिनों से अधिक समय तक भर्ती रहता है और फिर उसकी मौत हो जाती है तो उसे कोविड -19 की मृत्यु के रूप में माना जाएगा। साथ ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना के कारण होने वाली मौतों के कारण होने वाली मौतों को कोविड-19 की मौत नहीं माना जाएगा। भले ही कोविड-19 भी इसके साथ हो।
दिशानिर्देशों के अनुसार, उन कोविड-19 मामलों पर विचार किया जाएगा, जिनका निदान आरटी-पीसीआर परीक्षण, आणविक परीक्षण, रैपिड-एंटीजन परीक्षण के माध्यम से किया गया है। या किसी अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में जांच के माध्यम से डॉक्टर द्वारा मेडिकल रूप से निर्धारित किया गया है।
कोविड-19 मामले जो हल नहीं हुए हैं। या तो अस्पताल में या घर पर मौत हुई। जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया गया है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969 की धारा 10 के तहत आवश्यक, दिशानिर्देशों के अनुसार, एक कोविड-19 मृत्यु के रूप में माना जाएगा।
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जहां एमसीसीडी उपलब्ध नहीं है या मृतक के परिजन एमसीसीडी में दी गई मौत के कारण से संतुष्ट नहीं हैं और जो इसके दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिला स्तर पर एक समिति का गठन करेंगे।
कोविड-19 मौत के लिए आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए एक विषय विशेषज्ञ समिति में एक अतिरिक्त जिला कलेक्टर, स्वास्थ्य के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, एक अतिरिक्त मुख्य चिकित्सास अधिकारी/प्रिंसिपल या मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा विभाग के प्रमुख (यदि कोई जिले में मौजूद है) शामिल होंगे। दिशानिर्देशों में समिति द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रिया को भी बताया गया है। मृतक के परिजन दस्तावेज जारी करने के लिए जिला कलेक्टर को एक याचिका प्रस्तुत करेंगे।
दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा कि सरकार जब तक कदम उठाएगी तब तक तो तीसरी लहर भी बीत चुकी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। मामले की अगली सुनवाई अब 13 सितंबर को है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।