Video: उत्तराखंड में इगास पर्व की धूम, राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने किए समारोह आयोजित, खेले गए भैलू
ये है मान्यता
मान्यता है कि भगवान श्रीराम जब रावण का वध करने के बाद अयोध्या पहुंचे तो इसकी सूचना उत्तराखंड को 11 दिन बाद मिली। तब यहां दीपावली मनाई गई थी। इसी दीवाली को इगास पर्व या बूढ़ी दीपावली कहते हैं। एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार, श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों से योद्धा बुलाकर सेना तैयार की गई। इस सेना ने तिब्बत पर हमला बोलते हुए वहां सीमा पर मुनारें गाड़ दी थीं। तब बर्फबारी होने के कारण रास्ते बंद हो गए। कहते हैं कि उस साल गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली नहीं मनी, लेकिन दीपावली के 11 दिन बाद माधो सिंह भंडारी युद्ध जीतकर गढ़वाल लौटे तो पूरे क्षेत्र में भव्य दीपावली मनाई गई। तब से कार्तिक माह की एकादशी पर यह पर्व मनाया जाता है।
किए गए समारोह आयोजित
देहरादून में रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने एक शाम रायपुर की इगास बग्वाल, बूढ़ी दीपावली, देव दीपावली के नाम, का आयोजन किया। ये कार्यक्रम रिंग रोड लाडपुर में हुआ। इसमें लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देर रात रिंग रोड लाडपुर में आयोजित राज्य के लोक पर्व इगास बग्वाल (बूढ़ी दीपावली) कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी को इगास की बधाई देते हुए कहा कि हमारी लोक परम्परा देवभूमि की संस्कृति की पहचान है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य की लोक संस्कृति एवं लोक परम्परा उस राज्य की आत्मा होती है, इसमें इगास का पर्व भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हम राज्य की लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि अपनी लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये हम प्रयासरत है। हमारी युवा पीढ़ी अपनी लोक संस्कृति एवं लोक पर्वों से जुड़े इसके भी प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि इगास बग्वाल से कई एतिहासिक पहलु भी जुड़े हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने लोक पर्वो के माध्यम से अपनी संस्कृति को संरक्षित करने तथा प्रकृति के संरक्षण की भी हमारी परम्परा है। इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, विधायक उमेश शर्मा काऊ, खजान दास, पूरन सिंह फर्त्याल, पदमश्री प्रीतम भरतवाण सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित थे।वहीं, देहरादून में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, देहरादून नगर निगम के मेयर सुनील उनियाल गामा नृत्य करते नजर आए।
उधर, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी पत्नी दीप्ति बलूनी के साथ इगास मनाने पौड़ी गढ़वाल के कोट ब्लाक स्थित अपने पैतृक गांव नकोट पहुंचे। गांव पहुंचने पर सांसद का क्षेत्रीय विधायक मुकेश कोली और ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया। सांसद ने गांव में कुलदेवी की पूजा भी की और ग्रामीणों के साथ इगास का पर्व मनाया।
सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि भविष्य में इगास से उत्तराखंड की हर समस्या का समाधान होगा। कहा कि यह पर्व भविष्य में बढ़े स्तर पर मनाया जाना चाहिए। इसे मनाने के लिए लोग अपने गांवों को लौटें। इगास पर्व स्टेडियमों में भी मनाया जाए। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम हो, और लोग अपने घरों को लौंटे। कहा कि इससे यहां की आर्थिकी भी सृदृद्व होगी। और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
राज्य आंदोलनकारियों ने शहीद स्मारक स्थल पर मनाया पर्व
देहरादून में कचहरी स्थित शहीद स्मारक स्थल पर राज्य आंदोलनकारियों ने इगास पर्व मनाया। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम में राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा भी नृत्य करते नजर आए। उन्होंने सभी को पर्व की बधाई दी।
आम आदमी पार्टी ने मनाया इगास पर्व, कर्नल कोठियाल ने खेला भैलो
आज देहरादून में मोथरावाला रोड पर आप कार्यकर्ताओं ने इस मौके पर सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन किया। यहां उत्तराखंड में आप के वरिष्ठ नेता एवं सीएम प्रत्याशी कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल भी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने भैलों खेलकर इस त्योहार को मनाया। इस दौरान कई गढवाली गीतों में यहां महिलाओ ने इगास का जमकर लुत्फ उठाया। वो मेरी बाजो रंगा गाने के बोल पर जमकर थिरकी। उनके साथ शहनाज हिंदुस्तानी ने भी अपनी कविताओं से इस इगास के कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।
इसके बाद वहां पारंपरिक भैलो का आयोजन हुआ जिसमें पांरपरिक ढोल दमाऊ के साथ सभी मौजूद लोगों ने भैलो खेला। इस भव्य आयोजन में कर्नल कोठियाल ने भी भैलो का जमकर आनंद उठाया और सभी प्रदेश वासियों को इगास की बधाई देते हुए अपनी संस्कृति और लोकपर्वों को संरक्षित करने का संदेश भी दिया। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में आप कार्यकर्ताओं में खंडहर और वीरान हो चुके घरों में जाकर उम्मीद और परिवर्तन के दिए जलाए।
इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष भूपेन्द्र फरासी, प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद,योगेन्द्र चौहान,रजिया बेग प्रदेश उपाध्यक्ष, डॉ अंसारी,सीमा रावत,हिमांशू पुंडीर ,अमित कुमार,विनोद भट्ट,उपमा अग्रवाल, केजी बघेल, अरविंद गुरुंग, ओम प्रकाश, मोहमद नसीर खान , राजीव तोमर, श्रीचंद आर्य समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
खेले जाते हैं भैलू
इगास पर्व के उपलक्ष्य में धनतेरस से ही पहाड़ों में भैलू बनाए जाते हैं। भेलू के लिए चीड़ की लकड़ी का छोटा गट्ठर बनाया जाता है। इसे पेड़ की बेल या छाल से बांधा जाता है। इसका एक सिरा लंबा छोड़ दिया है। इगास पर्व के दिन इस पर आग लगाकर इसे घुमाया जाता है। मौके पर पूरे गांव के लोग एकत्र होते हैं। ढोल दमाऊ बजते हैं और लोग उत्सव मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो अपने ऊपर भेलू घुमाता है, उसके ऊपर से दीपावली के दिन सारे संकट दूर हो जाते हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।