सावधानः शूगर फ्री वाला दे सकता है डायबिटीज, पड़ सकता है हार्ट अटैक, डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
इन दिनों लोग व्हाट्सएप में दिए ज्ञान को अपना रहे हैं, तो हो सकता है ये आपके लिए घातक हो सकता है। खासकर आपकी सेहत के लिहाज से। क्योंकि अगर आप मोटापा कम करने या फिट रहने की कोशिश में बिना चीनी वाले मीठे को इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आप बड़ी गलती कर रहे हो। ऐसे में इन प्रयोगों को अपनाने से पहले ही आज ही रुक जाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सावधान किया है कि शुगर फ्री वाला मीठा आपको असल में डायबिटीज़ दे सकता है। इससे आपको दिल की बीमारी हो सकती है, आप और ज्यादा मोटे हो सकते हैं। विश्व स्वास्थय संगठन ने Non Sugar Sweeteners पर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके मुताबिक लंबे समय तक आर्टिफिशियल स्वीटनर के प्रयोग से जान को खतरा हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डब्ल्यूएचओ ने जारी की नई गाइडलाइंस
हाल ही में हुई रिसर्च के बाद WHO ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं। रिसर्च के मुताबिक वजन घटाने और लाइफ स्टाइल वाली बीमारियों को काबू करने में Non Sugar Sweeteners या आर्टिफिश्यल स्वीटनर्स बेकार साबित हो रहे हैं, बल्कि वो नुकसान कर रहे हैं। आर्टिफिशियल स्वीटनर असल में आपको मोटा बना सकते हैं या दिल की बीमारी दे सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डायबिटीज के मरीजों के लिए नहीं लागू
हालांकि, जो लोग डायबिटीज के मरीज हैं, ये गाइडलाइन्स उनके लिए नहीं है। डायबिटीज के मरीजों को उनके आर्टिफिशियल स्वीटनर की रोजाना खुराक के बारे में जानकारी दी जाती है। हालांकि, नो कैलोरी या ज़ीरो कैलोरी वाले बाजार में मौजूद विकल्प ये नहीं बताते कि उनका रोजाना कितना सेवन करना चाहिए और ज्यादा सेवन से क्या नुकसान हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये मीठा किसी काम का नहीं
लिस्ट के मुताबिक acesulfame K, aspartame, advantame, cyclamates, neotame, saccharin, sucralose, stevia and stevia derivatives इनमें से किसी से भी बना मीठा किसी काम का नहीं है। लोग इनसे बने प्रोडक्ट को जरुरत से ज्यादा खा लेते हैं। वे सोचते हैं कि वो फिट होने का काम कर रहे हैं। लंबे समय तक ऐसा करने से उन्हें नुकसान हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिसर्च में मिली ये जानकारी
रिसर्च में पाया गया कि तीन महीने तक ऐसा मीठा इस्तेमाल करने से थोड़ा वजन घटा और कैलोरी कम हुई, लेकिन शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम नहीं हुई, दिल की बीमारी में मदद नहीं मिली और ब्लड शुगर भी कम नहीं हुई। जिन लोगों ने 6-18 महीने तक ऐसा मीठा खाया, उनमें वज़न भी नहीं घटा। स्टडी में एक ग्रुप को आर्टिफिशियल स्वीटनर दिए गए, जबकि दूसरे को उसकी जगह पानी दिया गया। दोनों ग्रुप में कोई फर्क नहीं मिला। जिन लोगों को दस वर्ष तक Non Sugar Sweeteners या आर्टिफिश्यल स्वीटनर्स दिए गए, वो मोटे हो गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बढ़ गया बीमारी का खतरा
13 साल के फॉलोअप में कई लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ गया। यहां तक कि ऐसे लोग जो saccharin मिला मीठा खा रहे थे उनमें ब्लैडर कैंसर का खतरा बढ गया था।
बच्चों को नहीं हुआ फायदा
गर्भवती महिलाओं मे Non Sugar Sweeteners के इस्तेमाल से समय से पहले डिलीवरी होने के मामले ज्यादा पाए गए। शिशुओं में अस्थमा और एलर्जी की समस्याएं देखी गई। हालांकि गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज और आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल के बीच कोई लिंक नहीं मिला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चौंकाने वाले हैं आंकड़े
WHO के मुताबिक 2020 में दुनिया में 5 वर्ष से कम के मोटे बच्चों की तादाद लगभग 4 करोड़ थी। ऐसे में बहुत बड़ी आबादी डायबिटीज के खतरे में है या मोटापा कम करने के चक्कर में है। मोटापे की वजह से 2017 में 40 लाख लोग मारे गए थे। 2020 में दुनिया में कुल साढे 5 करोड़ मौतों में से 4 करोड़ से ज्यादा केवल लाइफस्टाइल वाली बीमारियों से हो गई। मोटापे का ऐसी बीमारियों से सीधा लिंक है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।