देहरादून में बुलडोजर अभियान, घर के निकट बुलडोजर आता देख सदमे में महिला की गई जान
इन दिनों देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे बने मकानों पर बुलडोजर अभियान चल रहा है। इस अभियान के तहत कुल 504 घर चिह्नित किए गए हैं और घरों के ध्वस्तीरण की कार्रवाई चल रही है। कार्रवाई के दौरान घर के निकट बुलडोजर आता देख सदमे में एक महिला की जान चली गई। एनजीटी के आदेश पर सोमवार 24 जून को देहरादून में फिर से अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई। इस बार मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगला और बीर गबर सिंह बस्ती में कार्रवाई की। इस दौरान एमडीडीए ने इन इलाकों में 11 मार्च 2016 के बाद बने 59 घरों को ध्वस्त किया। जाना था, इनमें 26 घरों को ध्वस्त कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दरअसल, एसडीडीए ने काठ बंगला क्षेत्र के 125 घरों को चिह्नित किया है। इनमें से सोमवार को 59 घरों पर कार्रवाई के लिए एमडीडीए की टीम गई। इनमें से कुछ घर ऐसे भी हैं, जिनके पास 2016 से पहले के कागजात थे। उन घरों के कागजात देखने के बाद उन पर रोक लगा दी गई। इसी बीच ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के चलते सदमे से एक महिला की जान चली गई। करीब पांच घंटे तक चली ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान रोते-बिलखते और गुस्से का इजहार करते लोग कभी एमडीडीए तो कभी सरकार पर सवाल उठाते रहे। अधिकारी जांच के आधार पर तैयार की गई सूची का हवाला देते रहे तो लोग कार्रवाई में भेदभाव का आरोप लगाते रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी दौरान वीर गबर सिंह बस्ती में उस समय लोगों में हड़कंप मच गया, जब एक महिला की सदमे में मौत हो गई। जैसे ही बुलडोजर उसके घर के निकट पहुंचा महिला बेहोश हो गई और वह दोबारा से आंखे नहीं खोल पाई। महिला की मौत पर क्षेत्रवासियों में प्रशासन और स्थानीय विधायक के खिलाफ आक्रोश है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीटू ने सरकार से की मुआवजे की मांग
बुलडोजर की कार्रवाई के विरोध में बस्तीवासियों के आंदोलन में विभिन्न राजनीतिक और समाजिक संगठन भी भागीदारी निभा रहे हैं। सीटू ने बस्ती के ध्वस्तीकरण के समय वीर गबर सिंह बस्ती की निवासी सोनम की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया। साथ ही सरकार से मुआवजे की मांग कर ध्वस्तीकरण की कार्यवही पर रोक लगाने की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीटू के जिला महामंत्री लेखराज, जिला कमेटी सदस्य नरेंद्र सिंह, प्रेमा, किरण व पंकज गौतम ने बस्ती में पहुँच कर शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी। मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि सोनम मात्र 25 वर्ष की थी। उसकी एक पुत्री साढ़े तीन साल व छः माह का बेटा है। सोनम की मृत्यु बस्ती तोड़ने और उनके घर का नोटिस पहुंचने के कारण हुई है। लोगों का कहना है कि वह बस्तियों के ध्वस्तीकरण से बहुत डरी हुई थी। वह परेशान थी कि छोटे छोटे बच्चों के साथ वे कहां जाएंगे। उनके पास तो कोई दूसरा ठिकाना भी नही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस घटना के लिए सीटू ने भाजपा सरकार के साथ -साथ क्षेत्रीय विधायकों को भी जिमेदार ठहराया है। हालांकि, मौत के कारण सोनम के घर पर बुलडोजर नहीं चल पाया है। बताया जा रहा है कि घर तोड़ने का नोटिस मिलने के दिन से ही वह बहुत परेशान थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। अब बड़े पैमाने पर एमडीडीए की ओर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेताओं ने मौके पर पहुंचकर किया था विरोध
राजपुर रोड़ पर काठ बंगला क्षेत्र में बने घरों को ध्वस्त करने का कांग्रेस नेताओं ने मौके पर पहुंचकर विरोध किया था। मौके पर पहुंचे कांग्रेस महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी तथा प्रदेश महामंत्री गोदावरी थापली ने कार्यकर्ताओं सहित विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही प्रशासन की कार्रवाई को अन्यायपूर्ण और जल्दबाजी का कार्य बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ जसविंदर सिंह गोगी ने कहा कि जिन लोगों के पास 2016 से पूर्व के आधार आदि दस्तावेज भी हैं, उनके निर्माण भी तोड़े जा रहे हैं। कई लोगों को कार्रवाई से पूर्व नियमानुसार नोटिस भी जारी नहीं किये गए। महानगर कांग्रेस गरीबों के साथ हो रहे अत्याचार का विरोध करती है। गोदावरी थापली ने कहा कि भाजपा सरकार एनजीटी के आदेश के नाम पर भेदभावपूर्ण व्यवहार कर रही है। लोगों को राहत देने के लिए कोई रास्ता भी नहीं तलाशा जा रहा है। उन लोगों के घर भी तोड़े जा रहे हैं जो कटऑफ डेट के आधार पर कार्रवाई के दायरे से बाहर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कहा NGT के आदेशों में स्पष्ट उल्लेख है कि 11.03.2016 से पहले वालों पर कार्यवाही नहीं होगी। फिर भी कई 2016 से पहले के निर्माण भी तोड़े गए। सरकार को ध्वस्तीकरण से पहले पुनर्वास का कार्य करना चाहिए। गरीबों को बारीश में उजाड़ने से पहले सरकार को कोई छत की व्यवस्था बनानी चाहिए थी। नगर निगम सोती रही और अवैध बस्तियां बनती रही। इन बस्तियों को बसाने वाले जिम्मेदार नेता भी आज गायब हैं। इस मौके पर पूर्व पार्षद उर्मिला थापा, भूपिंदर नेगी, सूरत क्षेत्री, संजय भारती आदि भी मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने की निंदा
आज विभिन्न जनसंगठनों तथा राजनैतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बस्तियों के हित में राज्य सरकार के 2018 कानून के बावजूद भी पुलिस के बल पर काठ बंगला, तरला नागल की बस्तियों को जबरन खाली करवाने की कड़े शब्दों में निन्दा की। संगठनों की बैठक में कहा गया कि सरकार एनजीटी के फैसले की आड़ में गरीबों को उजाड़ने का कार्य कर रही है। बड़े लोगों के कब्जों को बचाने का कार्य कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग पहले गरीबों से वोट मांगते हैं, फिर उजाड़ने का कार्य करते हैं। क्षेत्रीय विधायक बस्तियों को रक्षा करने की बजाय बस्तियों के खिलाफ खड़े हैं। बैठक में सीपीएम के जिला सचिव अनन्त आकाश, सीआईटीयू जिला महामंत्री लेखराज, जिला अध्यक्ष किशन गुनियाल, आयूपी अध्यक्ष नवनीत गुंसाई, चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल, राजेन्द्र शाह, बस्ती बचाओ अभियान के नरेन्द्र सिंह, राजेन्द्र शर्मा, भीम आर्मी के आजम खान, नेताजी संघर्ष समिति के प्रभात डंडरियाल, किशन गुनियाल, एसएस नेगी, हरीश कुमार, रामसिंह भण्डारी, रघुबीर सिंह, सोनू, डिम्पल, रेणु, ममता, सुनीता, कुसुम, जतिनी, सुनैना, मनीषा, मंजू, रीना, पिंकी, प्रेम फूल, संगीता, सोनी, विनोद, हरिओम, सोनू के साथ ही सपा, महिला समिति, एसएफआई, उत्तराखंड आन्दोलनकारी परिषद के लोग उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।