भाई बहन का त्योहार भैया दूज आज, जानिए शुभ मुहूर्त, आज पड़ रहे हैं चार योग, जानिए पूजन विधि, त्योहार की मान्यता
भाई की लंबी आयु के लिए करें यह उपाय
भाई की लंबी उम्र की कामना करें। इसके उपरांत यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रखें। यह उपाय करने से आपके भाई के जीवन की विघ्न-बाधाएं दूर हो जाएंगी।
भाई दूज 2022 तिथि
भाई दूज का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं द्वितीया तिथि का समापन 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि की मान्यतानुसार, भाई दूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भाई दूज के पड़ रहे हैं चार योग
सर्वार्थ सिद्धि योग- हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग आज 12 बजकर 42 मिनट से 28 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक है।
अभिजीत मुहूर्त- अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है।
सौभाग्य योग- सौभाग्य योग आज सूर्योदय से लेकर अगले दिन सुबह 4 बजकर 33 मिनट तक है।
आयुष्मान योग- आयुष्मान योग आज सुबह सूर्योदय से लेकर 7 बजकर 27 मिनट तक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भाई दूज पूजा विधि
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भाई दूज के दिन बहन और भाई दोनों सुबह उठकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई पूजा की थाली तैयार करें। पूजा की थाली में रोली, चंदन, अक्षत और धूप-दीप, मिठाई रखें। दीप जलाकर भाई की आरती उतारें। उसके बाद उनके माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। तिलक लगाते वक्त “भ्रातस्तवानुजाताहं भुंक्ष्व भक्तमिमं शुभं, प्रीतये यमराजस्य यमुनाया विशेषत:” इस मंत्र को बोलें। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। अगर भाई से बड़ी हैं तो उन्हें माथे पर हाथ रखकर आशीर्वाद दें। अगर बहन भाई को छोटी हैं तो भगवान से उनकी लंबी उम्र की कामना करें। भाई दूज की पूजा के बाद भाई को भोजन कराएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थी। यमराज और यमुना। भाई और बहन दोनों में बड़ा ही स्नेह था। बहन यमुना हमेशा चाहती थी भाई यमराज उनके घर आकर भोजन ग्रहण किया करें। लेकिन हमेशा काम में व्यस्त रहने वाले यमराज बहन की विनती को टाल देते थे। एक बार बहन यमुना ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर अपने घर के दरवाजे पर भाई यमराज को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुई। बहन यमुना ने बहुत ही प्रसन्न मन से भाई यमराज को भोजन करवाया। बहन के स्नेह और प्यार को देखकर भाई यमदेव ने वर मांगने को कहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तब बहन ने वरदान के रूप में यमराज से यह वचन मांगते हुए कहा कि आप हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं। साथ ही इस तिथि पर जो बहने अपने भाई को टीका लगाकर उन्हें भोजन खिलाएं उनमें आपका भय न हो। तब यमदेव ने बहन यमुना को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा। तब से यही परंपरा चली आ रही है कि हर वर्ष जो बहने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर भोजन कराएंगी उसे और उसके भाई को कभी भी यमदेव का भय नहीं सताएगा।
नोटः यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से लोकसाक्ष्य इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।