उत्तराखंड में नहीं मिला बहादुर बच्चा, एक बच्चा मिला, लेकिन उसकी भी जांच प्रक्रिया अधूरी, दोषी कौन
इसे अधिकारियों की उदासीनता ही कहा जाए या फिर सरकार की। उत्तराखंड सरकार इस बार उत्तराखंड से बहादुर बच्चों को सरकार तलाश नहीं पाई। हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर बहादुरी की मिसाल बनने वाले बच्चो को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा जाता है। इस बार राज्य के 13 जिलों में से 12 जिलों में जिला स्तर पर ही ऐसे बच्चों की तलाश तक नहीं हो पाई। साथ ही एक जिले से बहादुर बच्चा तो मिला, लेकिन उसकी जांच की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो सकी। ऐसे में उत्तराखंड से एक भी ऐसा बहादुर बच्चा नहीं है, जिसे गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका मिलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में बहादुर बच्चों की कमी है। राज्य में यदि पिछले साल भर के समाचार पत्रों की खबरों को टटोला जाए तो एक नहीं कई ऐसे बहादुर बच्चें मिल जाएंगे, जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाई है। फिर भी इनमें से एक भी बच्चे को इस बार राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार नहीं मिलेगा। क्योंकि अंतिम तिथि तक ऐसे बच्चों के आवेदन भेजे ही नहीं गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य बाल कल्याण परिषद के मुताबिक उत्तराखंड के बहादुर बच्चों को भी गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिल सके, इसके लिए जिलों के एसएसपी, डीएम, सीईओ, शिक्षा विभाग के निदेशक को कई बार पत्र भेजे। कहा गया कि छह से 18 वर्ष के उन बहादुर बच्चों के नाम परिषद को भेजें, जिन्होंने एक जुलाई 2022 से 30 सितंबर 2023 के बीच वीरता का प्रदर्शन किया हो। बावजूद इसके बागेश्वर को छोड़कर अन्य किसी जिले से अंतिम तिथि 31 अक्तूबर 2023 तक बहादुर बच्चों के आवेदन नहीं भेजे गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बागेश्वर जिले के जीआईसी अमस्यारी के छात्र भाष्कर परिहार का नाम राज्य बाल कल्याण परिषद को वीरता पुरस्कार के लिए भेजा गया था। उसने 24 अगस्त 2023 को एक छात्रा की गुलदार से जान बचाई थी। बताया गया कि इस आवेदन को जांच के लिए सीईओ को भेजा गया, लेकिन अब तक उसकी जांच रिपोर्ट ही नहीं मिली। ऐसे में इस बार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड का एक भी बहादुर बच्चा शामिल नहीं हो पा रहा है। छोटी छोटी बात को एक इवेंट का रूप देने वाली सरकार की इस दिशा में उदासीनता समझ से परे है। काम तो ये होना चाहिए कि जिलों से एक भी बहादुर बच्चा ना तलाशने के मामले में सबसे पहले तो ये तय करना चाहिए कि इसके लिए दोषी कौन है। इसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।