सिर्फ त्रिपुरा में ही घाटे के साथ बीजेपी की जीत, प्रचार का खेल-तीन राज्यों में जीती बीजेपी, देखें सबकी हकीकत
तीन राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी में जश्न का माहौल है। साथ ही मीडिया भी ये ही प्रचारित कर रहा है कि तीनों राज्यों में बीजेपी ने भारी जीत हासिल की। जोड़तोड़ से सरकार बनाने या फिर उसमें शामिल होने के फार्मूले को ही जीत मान लिया जाए तो ये रणनीतिक जीत तो मानी जा सकती है, लेकिन राजनीतिक पार्टी को जनता ने कितना स्वीकारा या नकारा, इसका आंकलन तो उस दल को मिली सीटों के आधार पर ही किया जा सकता है। ऐसे में बीजेपी की बात कहें तो उसे त्रिपुरा में भी चार सीटों का घाटा हुआ है। हालांकि त्रिपुरा में बीजेपी ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर लिया और एक बार फिर से वहां सरकार बनाने जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नागालैंड और मेघालय में भी बीजेपी का प्रदर्शन ज्यादा बेहतर नहीं रहा है। ये स्थिति तब है, जब पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर तमान बीजेपी के बड़े नेताओं ने इन तीन पूर्वोत्तर राज्यों में पूरी ताकत झोंक दी थी। वहीं, कांग्रेस हर बार की तरह प्रचार को हल्के में लेती नजर आई। ऐसे में परिणाम भी कांग्रेस को धक्का देने वाले थे। मेघालय में तो चुनाव से पहले कांग्रेस के 12 विधायक टीएमसी में चले गए थे। ऐसे में कांग्रेस जहां वर्ष 18 के चुनाव में 21 सीटें लेकर आई, लेकिन इस बार उसे पांच पर संतोष करना पड़ा। वहीं, टीएमसी ने मेघालय में अपना खाता खोला और पांच सीटों में जीत दर्ज की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
त्रिपुरा में बीजेपी ने क्या खोया या क्या पाया
त्रिपुरा की बात की जाए तो यहां बीजेपी भले ही जीत गई, लेकिन उसे सीटों के लिहाज से भी नुकसान झेलना पड़ा। इस बार त्रिपुरा में बीजेपी 55 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे 32 सीटें मिली। वर्ष 2018 में बीजेपी 36 सीटें मिली थी। ऐसे में इस बार वोट प्रतिशत के मामले में बीजेपी को इस बार घाटा होता दिख रहा है। पिछली बार बीजेपी को 43 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे, वहीं इस बार उसे 38.97 प्रतिशत वोट मिले। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
माकपा को भी हुआ नुकसान
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 25 साल तक त्रिपुरा पर शासन करने के बाद 2018 में सत्ता खो दी थी। पिछली बार पार्टी ने केवल 16 सीट पर जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी ने 47 सीट पर चुनाव लड़ा और 24.62 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के साथ 11 सीट पर जीत हासिल की। अन्य वाम दल-फॉरवर्ड ब्लॉक, सीपीआई और आरएसपी-अपना खाता खोलने में विफल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस ने त्रिपुरा में खोला खाता
त्रिपुरा में कांग्रेस ने 13 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी तीन सीट ही जीत पाई। त्रिपुरा में 2018 के चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। तब कांग्रेस को 1.79 फीसदी वोट मिले थे, जबकि इस बार कांग्रेस 8.6 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नई पार्टी टीएमपी ने किया शानदार प्रदर्शन
त्रिपुरा में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही टिपरा मोथा पार्टी (TMP) ने दमदार दस्तक दी है। उसने 13 सीटें जीतकर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इस पार्टी का गठन 2021 में हुआ था, जिसके प्रमुख त्रिपुरा के पूर्व शाही वंशज प्रद्योत विक्रम माणिक्य देब बर्मा हैं। वह पहले कांग्रेस में शामिल थे। टिपरा मोथा पार्टी ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा। उसने किसी भी दल के साथ गठंधन नहीं किया है। इसकी वजह उसकी मांग ग्रेटर तिप्रालैंड के लिए किसी दल से कोई लिखित सहमति न मिलना है। पार्टी के प्रमुख देब बर्मा खुद चुनाव नहीं लड़े। उनका कहना है कि टिपरा मोथा एक छोटी पार्टी है, जो राजनीति की व्यवस्था को बदलने के लिए पारदर्शिता में विश्वास करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नागालैंड में 12 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई बीजेपी, वोट शेयर का हुआ फायदा
नगालैंड विधानसभा चुनावों में भी 59 सीटों पर बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन को वहां की जनता ने बहुमत दिया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी ने 12 सीटों पर जीत हासिल की। जबकि नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के खाते में 25 सीट आई हैं। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने 2 सीटें जीतीं। नागालैंड में 60 विधानसभा सीटों में सत्तारुढ़ एनडीपीपी 40 और बीजेपी 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। यहां एनडीपीपी ने 25 सीट और बीजेपी ने 12 सीट जीती। 2018 में भी बीजेपी को 12 सीटें मिलीं। लेकिन उसका वोट शेयर 15 फीसदी से बढ़कर 18.8 फीसदी हो गया है। बीजेपी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ मिलकर सरकार गठन की तैयारी में है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खाता भी नहीं खोल पाई कांग्रेस
नागालैंड में कांग्रेस 23 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन वह खाता तक नहीं खोल पाई। नागालैंड में एनपीपी को पांच, एनसीपी को 6 और निर्दलीय को चार सीटें मिली। कांग्रेस को नगालैंड में इस बार नागालैंड में 3.54 फीसदी वोट मिले। 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस नगालैंड में कोई सीट नहीं जीत पाई थी। तब पार्टी को 2.07 फीसदी वोट मिले थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सिर्फ दो सीटों को जीतकर मना रहे हैं जश्न
अब बात मेघालय की हो तो यहां वर्ष 2018 के चुनाव में बीजेपी 47 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और पिछली बार 2 सीटें जीती थी। तब पार्टी का वोट प्रतिशत 9.63 रहा था. इस बार मेघालय में बीजेपी सभी 60 सीटों पर लड़ी और 69 में मतदान हुआ था। इनमें बीजेपी की इस बार भी दो ही सीटें मीली। वहीं, मेघालय में 21 से पांच सीटों पर कांग्रेस आकर सिमट गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस को लगा तगड़ा झटका
मेघालय में कांग्रेस सभी 60 सीटों पर मैदान में उतरी थी। मेघालय में यहां कांग्रेस को 16 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। 2018 में कांग्रेस ने यहां 21 सीटों जीतीं थीं, हालांकि बाद में इनके ज्यादातर विधायक टूटकर टीएमसी में चले गए थे। इसका टीएमसी को लाभ मिला और पहली बार टीएमसी ने पांच सीटें जीतकर अपना खाता खोला। वहीं, कांग्रेस के खाते में मात्र पांच सीटें आई। एनपीपी 25 सीटें जीतकर दूसरे दलों से सहयोग से सरकार बनाने का दावा ठोकेगी। मेघायलय में यूडीपी को 11 और पीडीएफ को दो सीटें मिली।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।